तय हुआ,असली शिव सेना एकनाथ शिंदे गुट shiv sena
महाराष्ट्र की राजनीति में जबसे शिवसेना का कोंग्रेसीकरण हुआ तबसे ही उठापटक जारी है. आदित्य ठाकरे के मुस्लिमतुस्टिकरण के प्रति झुकाव और भाजपा से अलग होकर कांग्रेस और शरद पँवार कांग्रेस से हाथ मिलाते ही, असली शिव सेना और उसकी विचारधारा पर प्रश्न खड़े होने लगे थे। शिवसैनिक अंदर ही अंदर असहज थे और अपना भविष्य अंधकारमय महसूस कर रहे थे. अंततः शिवसेना में विद्रोह हुआ और शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे के विचारों का गुट अलग हुआ और यह शिंदे गुट के नाम से जानी गईं. इस गुट को सिर्फ विधायक ही नहीं सांसदों नें भी समर्थन दिया. इसके बाद से ही दोनों गुटों में आपसी संघर्ष चल रहा था.
शिवसेना के नाम और पार्टी के सिंबल पर हक को लेकर उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच पिछले कुछ समय से निर्णायक संघर्ष चल रहा था.
एक तरफ चुनाव आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है. EC के इस फैसले के बाद शिवसेना का नाम और पार्टी का निशान उद्धव ठाकरे से छिन गया है. चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को पार्टी का नाम और शिवसेना का प्रतीक तीर कमान सौंप दिया है.
वहीं दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट से आज उद्धव ठाकरे गुट को झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में सत्ता संघर्ष के मुद्दे को 7 सदस्यीय संविधान पीठ को सौंपने की मांग को खारिज कर दिया है.
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