देश पे हमला नहीं सहेगा हिंदुस्तान -अरविन्द सिसोदिया
देश पे हमला नहीं सहेगा हिंदुस्तान -अरविन्द सिसोदिया
India will not tolerate any attack on the country - Arvind Sisodia
भारत को समझना होगा, भारत और हिंदुत्व को समाप्त करने का विश्वव्यापी एजेंडा
India has to understand, the worldwide agenda to end India and Hindutva
पिछले कुछ वर्ष पूर्व की ही बात है कि अमेरिका की जमीन से एक अभियान चला था जिसका नाम था डिसमेंटल ऑफ़ हिंदुत्व अर्थात हिंदू धर्म को समाप्त करो, इस अभियान में बड़ी संख्या में विश्वविद्यालयों नें भाग लिया, वामपंथी एवं हिन्दू विरोधी संस्थाओं नें भाग लिया। बहुत बडी धनराशि व्यय की गईं। हलांकि इसका विरोध भी हुआ, मगर विषय यह है की जब हिन्दू नें किसीका का बुरा ही नहीं किया तो इस तरह का आयोजन क्यों? इसका उत्तर तलाशना ही होगा, तभी सही तथ्यों तक पहुंचा जा सकेगा। क्यों कि इस भारत विरोधी अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस नें भी 2020 में कहा था कि भारत का प्रधानमंत्री मोदी भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाना चाहता है।
हमें सच समझने के लिए कुछ दशक पीछे चलना होगा, जब भारत की जमीन से ही ईसाई धर्मगुरु पोप नें घोषणा की थी कि ईसा की पहली सहस्राब्दी अर्थात पहले एक हजार वर्ष में यूरोप को ईसा मसीह के विश्वास में बदला गया (कन्वर्ट किया गया), दूसरे एक हजार वर्ष में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका सहित विश्व के अन्य हिस्सों में ईसाई पंथ स्थापित किया गया। अब तीसरी सहस्त्राब्दी अर्थात सन 2001 से 3000 तक के समय में एशिया को ईसा मसीह के विश्वास के नीचे लाना है और इसकी चाबी भारत है। अर्थात एशिया का ईसाइयत में कन्वर्जन भारत से ही किया जा सकता है।
एक बड़ा मकसद जो कि ईसाई मकसद है, उसको पूरा करने कि योजना पर काम हो रहा है।
कुछ सो साल पहले कि ही बात है जब भारत सहित विश्वभर में यूरोप के लोग व्यापार, हथियार और मिशनरीज को लेकर निकले, पहले व्यापार का लालच फेंका, फिर वहाँ के शासकों को फंसाया और फिर उन पर कब्जा कर लिया, इस तरह तमाम विश्व के देशों को गुलाम बनाया गया, जो उपनिवेश कहलाते थे। अकेले ब्रिटेन के 50 से ज्यादा उपनिवेश थे, जहां जहां ये देश गये, वहाँ वहाँ उनकी सेना के साथ मिशनरी गईं, इन मिशनरी के लोगों नें सेवा के द्वारा कंवर्जन के फार्मूले पर काम किया, अशिक्षित, पीड़ित और पिछड़ों को शिकार किया और ईसाइयत को तेजी से फैलाया।
जब औपनिवेशिक लूटपाट के चलते उनमें आपसी लड़ाइयां हुई दो विश्वयुद्ध हूए, तब उपनिवेशओं को स्वतंत्र किया गया, किन्तु तब भी मिशनरियां गुलाम देशों में ही रहीं और अपना काम करती रहीं, उनकी फंडिंग और साधनों की व्यवस्था यूरोप और अमेरिकन देशों से लगातार होती रही है जो अभी भी जारी है। ब्रिटेन नें तो अपने गुलाम देशों का संगठन बनाया हुआ है जो कॉमनवेल्थ कहलाता है।
ईसाई साम्राज्यवाद के विरुद्ध इस्लाम का निरंतर संघर्ष हुआ, इनके बीच कई धर्मयुद्ध हूए जी क्रूसेड़ कहलाते हैं। भारत में भी अंग्रेज 1857 तक मुसलमान विरोधी थे। भारत के बाहर अभी भी अंग्रेज मुस्लिम विरोधी हैं। किन्तु 1857 के विद्रोह जिसे प्रथम स्वतंत्रता संग्राम कहा जाता है के बाद अंग्रेजों ने नीति बदली, उन्होंने कहा भारत पर मुस्लिम और अंग्रेज दोनों ही हमलावर हैं। इसलिए दोनों भाई भाई हैं। ब्रिटिश भारत में हिन्दू मुसलमान लड़ाओ और अंग्रेज राज बचाओ की नीति पर काम हुआ, जो आज तक जारी है।
अंग्रेजों नें पहले राजभक्त मुसलमान बनाये, फिर अलग दल बनवाया, मुसलमानों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्र बनाये, इसके बाद उन्हें अलग देश दिया और फिर लंबे समय तक उन्हें सैनिक संरक्षण भी दिया और अभी भी भारतीय मामलों में यह फूट डालो राज करो की नीति जारी है। जो कि हाल ही में अमेरिकी ईसाई अरबपति जॉर्ज सोरोस के वक्तव्यओं से सामने आया है।
दुर्भाग्य यह है कि हिन्दू हित चिंतन की कोई प्रभावी संस्था नहीं है, जबकि पोप के रूप में ईसाई संस्था है और उसका प्रभुत्व है, 100 के करीब ईसाई देश इसकी आज्ञा पालन को तत्पर रहते हैं। पहले खलीफा के रूप में इस्लाम पर केद्रीय संस्था थी, जिसे ब्रिटेन ने समाप्त करवा दिया किन्तु 50 के लगभग इस्लामिक देशों का संगठन इस्लामिक हित चिंतन को समर्पित रहता है।
हिन्दुओं के पास अभी तक भी इसका अभाव बना हुआ है। एक नेतृत्व एक नीति से अभी भी हिन्दू बहुत दूर है। किन्तु आर एस एस और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा भाजपा को केंद्रित कर हिन्दू एकजुट हो रहा है। इससे सबसे ज्यादा ईसाइयत परेशान है क्यों कि भारत ईसाई राष्ट्र नहीं बना तो एशिया महाद्वीप ईसाई महाद्वीप नहीं बन सकेगा।
भारत विरोधी संस्थायें चाहे वे ईसाइयत से हों, इस्लामिक हों, साम्यवादी हों या उद्योग-धंधों वाली (पूंजीवादी) हों... सभी के निशाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा भाजपा और संघ परिवार है।
क्योंकि इनके नेतृत्व में भारत का और हिन्दुओं का आत्मविश्वास जगा है। राष्ट्र दबी कुचली स्थिति से बाहर निकल रहा है। ज्ञान,विज्ञान और अनुसंधान के मोर्चे पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। असंभव को भी संभव कर रहा है। निश्चित ही ईश्वरीयकृपा से भारत को प्रधानमंत्री मोदी के रूप में देवदूत मिला है। जो वेक्सीन बना रहा है, कोरोना को भगा रहा है, गरीवों को अन्न भी दे रहा है, उद्योग धंधों को फिरसे खड़ा कर रहा है, सांस्कृतिक वैभव को नये आयाम दे रहा है। समस्या यही है कि भारत जाग गया या हिन्दू जाग गया तो, वह विश्व गुरु बन जायेगा। भारत और एशिया के ईसाईकरण की योजना पर पानी फिर जायेगा। इसलिए भारत विरोधी ताकतें पूरी तरह सक्रिय हो गई हैं और आरपार के मोड पर हैं।
इन तमाम भारत विरोधी ताकतों का एकमात्र लक्ष्य प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को 2024 में केंद्र सरकार बनाने से रोकना है। इसके लिए वे तमाम षड्यंत्रो के द्वारा सक्रिय हैं, बीबीसी की डाकयुमेंट्री भारत विभाजन पर नहीं बनी, मगर भारत में नये सिरे से वर्ग संघर्ष करवाने हेतु भ्रामक तथ्यों पर मोदीजी पर बनाई गई। भारत के बढ़ते उद्योगिकरण को रोकने व समाप्त करने की नियत से हिड्नेवर्ग रिपोर्ट आई। इस रिपोर्ट को नये सिरे से गति देनें अमरीकी अरबपति जॉर्ज सोरोस कूद पड़े। इससे पहले भी शाहीन बाग, कथित किसान आंदोलन और पेगासस जैसे षड्यंत्रपूर्ण मुद्दे क्रिएट किये गये। अर्थात विदेशी षड्यंत्रकारी खुल कर मैदान में आ चुके हैं। भारत, भारत सरकार और भारत के सभी राष्ट्रभक्तों को इसका प्रतिकार करना आवश्यक है।
षड्यंत्रकर्ता की गिरेबान उन देशों को भी पकडना चाहिये जहां से यह सब होता है.....
स्वतंत्रता, स्वच्छंदता और षड्यंत्रकर्ता तीनों में फर्क है। मीडिया,न्याय,प्रशासन,विधायिका , कार्यपालिका और प्रस्तुतिकरण जैसे विषय स्वतंत्रता पर आधारित तो हैं। मगर की लक्ष्मण रेखा सत्य की निष्पक्षता के साथ बंधी है। कोई भी मीडिया संस्थान, न्यायपालिका,प्रशासन,विविध प्रकार की रिपोर्ट बनाने वाली संस्थायें इसी लक्ष्मण रेखा के अन्दर हैं। जो भी इस लक्ष्मण रेखा को लांघेगा वह निष्पक्षता के दायरे से बाहर हो जायेगा। वह सिर्फ और सिर्फ अपराधी कहलायेगा। झूठ फैला कर सत्य को पराजित करना सिर्फ पाप है, अक्षम्य अपराध है। इसके लिए उन देशों को भी कानून और कार्यवाही के द्वारा सत्य के संरक्षण के प्रति जवाबदेह होना चाहिये जहां यहां से यह सब होता है।
ब्रिटेन को पूछना चाहिए कि उन्हे मोदी के खिलाफ डाक्यूमेंट्री बनाने की जरूरत क्यों पडी, अमेरिका को भी हिडनबर्ग पूछना चाहिये कि आपको अडानी के विरूद्ध कपोल कल्पित आरोप लगाने की जरूरत क्यों पड़ी, क्या आपने उनसे उनका बर्जन लिया था। नहीं लिया तो एक तरफा कुछ तो भी कैसे समाज में फैला दोगे । प्रेस का नियम है कि आरोप जिस पर लगाया जा रहा है, उसका बर्जन भी साथ में प्रकाशित किया जाये। कुछ तो भी किसी के विरूद्ध कैसे कह दोगे। तमाम सोशल मीडिया प्लेटफार्म अकूत पैसा कमाने के लिये मूल सिद्धांतों की अवहेलना करते हैं। जो कि सत्य के प्रति अपराध है। निष्पक्षता के प्रति अपराध है।
स्वतंत्रता, स्वच्छंदता और षड्यंत्रकर्ता तीनों में फर्क है। मीडिया,न्याय,प्रशासन,विधायिका , कार्यपालिका और प्रस्तुतिकरण जैसे विषय स्वतंत्रता पर आधारित तो हैं। मगर की लक्ष्मण रेखा सत्य की निष्पक्षता के साथ बंधी है। कोई भी मीडिया संस्थान, न्यायपालिका,प्रशासन,विविध प्रकार की रिपोर्ट बनाने वाली संस्थायें इसी लक्ष्मण रेखा के अन्दर हैं। जो भी इस लक्ष्मण रेखा को लांघेगा वह निष्पक्षता के दायरे से बाहर हो जायेगा। वह सिर्फ और सिर्फ अपराधी कहलायेगा। झूठ फैला कर सत्य को पराजित करना सिर्फ पाप है, अक्षम्य अपराध है। इसके लिए उन देशों को भी कानून और कार्यवाही के द्वारा सत्य के संरक्षण के प्रति जवाबदेह होना चाहिये जहां यहां से यह सब होता है।
ब्रिटेन को पूछना चाहिए कि उन्हे मोदी के खिलाफ डाक्यूमेंट्री बनाने की जरूरत क्यों पडी, अमेरिका को भी हिडनबर्ग पूछना चाहिये कि आपको अडानी के विरूद्ध कपोल कल्पित आरोप लगाने की जरूरत क्यों पड़ी, क्या आपने उनसे उनका बर्जन लिया था। नहीं लिया तो एक तरफा कुछ तो भी कैसे समाज में फैला दोगे । प्रेस का नियम है कि आरोप जिस पर लगाया जा रहा है, उसका बर्जन भी साथ में प्रकाशित किया जाये। कुछ तो भी किसी के विरूद्ध कैसे कह दोगे। तमाम सोशल मीडिया प्लेटफार्म अकूत पैसा कमाने के लिये मूल सिद्धांतों की अवहेलना करते हैं। जो कि सत्य के प्रति अपराध है। निष्पक्षता के प्रति अपराध है।
इन विदेशी ताकतों के शत्रुतापूर्ण मंसूबे विफल करने के लिए सभी राष्ट्रभक्त नागरिकों को भी पूरी ताकत से सक्रिय होना पड़ेगा। सबसे पहले इन विदेशी ताकतों को भारत में बैकअप देनें का काम कर रहे राजनैतिक दलों और संस्थाओं को पूरी तरह से शून्य पर लाना होगा। इनका पूर्ण बहिस्कार करना राष्ट्रधर्म है। इसलिए सभी राष्ट्र भक्तों को जागना होगा और आवश्यक प्रतिरोध भी उत्पन्न करना होगा। "देश पे हमला नहीं सहेगा हिंदुस्तान" की आवाज लगानी होगी। इस थीम पर सभी को उतरना होगा।
जय भारत जय हिन्द।
जय हिन्द 🇮🇳
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