क्या बिहार से नितिश बनाम लालू होनें वाला है - अरविन्द सिसौदिया kya Nitish banaam Lalu hoga
Is it going to be Nitish vs Lalu from Bihar - Arvind Sisodia
kya bihaar se nitish banaam laaloo honen vaala hai - Arvind Sisodia
क्या बिहार से नितिश बनाम लालू होनें वाला है - अरविन्द सिसौदिया
बिहार के नितिश कुमार से ज्यादा पापूलर तो देश में लालू प्रसाद यादव हैं
जब कोई सबूत नहीं मिले तो परिस्थितीजन्य साक्ष्यों के आधार पर निर्णय लिये जाते है।
करीब करीब 8 साल पहले तत्कालीन राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव नें पटना में कहा था कि मुख्यमंत्री जनता बनाती है। लोकतंत्र में जनता ही मालिक है। मैं मुख्यमंत्री नहीं बन सकता। अदालत से बरी हो जाने के बाद सीएम क्या, पीएम भी बन सकता हूं। सीएम पद के लिए मेरे घर में कोई इंट्रेस्टेड भी नहीं है पर जनता की इच्छा होगी तो कोई रोक भी नहीं सकता है। सभी राजनीति में ही हैं। हलांकी तब से अब तक गंगा में बहुत पानी बह गया मगर राजनीति में सब संभव है और बहुत सारे संभव असंभव भी हो जाते हैं।
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भारत में अपने साथियों से सबसे ज्यादा धोकेबाजी का कोई रिकार्ड है तो वह बिहार के मुख्यमंत्री नितिश कुमार के नाम है, इसलिये उनका नाम पलटू चाचा के नाम से ख्याती प्राप्त है। कई बार ज्यादा अक्लमंदी उलटी पड जाता है। इस बार येशा ही कुछ नितिश कुमार के साथ होता दिख रहा है।
क्यों कि नितिश कुमार को केन्द्रीय राजनीति में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विरूद्ध खाली मैदान दिख रहा था। उन्हे लग रहा था कि पप्पू की इमेज में कैद कांग्रेस राजकुमार राहुल गांधी,राष्ट्रीय राजनीति से साईड लाईन लग चुके हैं और उन्हे आसानी से कांग्रेस सहित विपक्ष अपना नेता स्विकार कर लेगा । इसी योजना पर कार्य करते हुये उन्होनें अपने घ्रुर विरोधी लालूप्रसाद यादव परिवार की ओर हाथ बडाया और तेजस्वि को उपमुख्यमंत्री तथा भविष्य का मुख्यमंत्री बनानें के आश्वासन के साथ भाजपा का साथ छोड कर, राजद के साथ सरकार बनाली।
नितिश - तेजस्वि सरकार बनते ही बिहार में अचानक बदलाव आने लगा, तेजस्वि मंजे हुये खिलाडी की तरह केन्द्रीय राजनीति में अपना कद बढानें लगे , क्यों कि वे जानते हैं कि साथी नितिश कुमार भरोषे का साथी नहीं है। कब साथ छोड भाग जाये कुछ पता नहीं और आगे पीछे उन्हे सब कुछ अपने बलबूते ही करना है। इससे नितिश कुमार बहुत परेशान हैं।
नितिश भूल जाते हैं कि तेजस्वि यादव उनके ज्यूनियर नहीं हैं ,बल्कि भारत की राजनीति में मंजे हुये खिलाडी लालूप्रसाद यादव के पुत्र व उत्तराधिकारी भी हैं। जैसे ही नितिश कुमार ने अपना नाम प्रधानमंत्री प्रत्याशी के लिये आगे किया वैसे ही बिहार के ही लोगों ने लालूप्रसाद यादव का नाम भी लेना प्रारम्भ कर दिया । निश्चित ही बिहार के बाहर की राजनीति में लालप्रसाद यादव नितिश पर सौ गुना भारी पडते हें। सभी तरह से वे नितिश पर बीस ही हैं। और 2024 में अभी समय भी है तब तक लालूप्रसाद स्वस्थ भी हो जायेंगे।
सही मानें तो नितिश अब फंस चुके हैं क्यों कि तेजस्वी यादव खुद को राजनीतिक रूप से गढ़ने में तेजी से लगे हैं। खुद के फेस को आगे बढ़ाने में पूरी ताकत लगाये हैं। तेजस्वी को पता है कि बिहार से नीतीश कुमार का बेदखल होना तय है। केद्रीय राजनीति से भी नीतीश कुमार अस्विकार्य हैं।
नीतीश कुमार परेशान चल रहे हैं क्यों कि -
1- कुढ़नी में विधानसंभा उपचुनाव में जेडीयू की हार
2- राजद नेता सुधाकर सिंह के नीतीश कुमार पर आरोपों से
3- शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर सिंह ने रामचिऱत मानस पर एक बड़े वर्ग को नाराज करने वाला बयान दे दिया। रामचरितमानस वाले विवाद से नीतीश कुमार को परेशानी हुई।
4- नितिश कुमार को समाधान यात्रा के दौरान कई जगहों पर लोगों की नाराजगी झेलनी पड़ रही है
5- उनकी पार्टी के नेता उपेंद्र कुशवाहा नें विद्रोह कर दिया है
6- नीतीश की पार्टी के अंदर चल रही खींचतान एवं भविष्य के अंधकार के कारण जन्में अविश्वास से भी परेशान हैं।
7- तेजस्वी यादव अपनी राष्ट्रीय स्तर पर ठवी सुधार एवं लोकप्रियता में वुद्धि कर रहे हैं।
8- नितिश कुमार के प्रमुख सलाहकार रहे प्रशांतकिशोर ने उनके ही विरूद्ध मोर्चा खेला हुआ है।
9- नितिश कुमार इभी तक विपक्षी एकता में फैल रहे है, वे एक मात्र कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद से सार्गिदी तक ही आगे बढ पाये है। हलांकी वे लगातार भाजपा के विरूद्ध कुल न कुछ कह कर लाईन में बनें रहना चाहते हैं।
बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पिछले साल बंगाल की सीएम और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सुप्रीमो ममता बनर्जी से मुलाकात की थी। वहीं तेजस्वी ने तेलंगाना के सीएम और भारत राष्ट्र समिति प्रमुख के चंद्रशेखर राव और तमिलनाडु के सीएम और डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन से मुलाकात की थी। तेजस्वी इस दौरान यूपी के पूर्व सीएम और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से कई बार मुलाकात कर चुके हैं। उन्होंने शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता आदित्य ठाकरे का भी गर्मजोशी से स्वागत पटना आगमन पर किया था। तेजस्वी यादव ने दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की। वहीं उन्होने इससे पूर्व झारखंड के सीएम और झामुमो नेता हेमंत सोरेन से रांची में उनके घर पर मुलाकात की। तेजस्वी ने हेमंत से आगामी लोकसभा चुनाव में क्षेत्रीय दलों के एक साथ चुनाव लड़ने की संभावना पर चर्चा की। अर्थात वे लगातार अपनी स्वयं की मेलमुलाकात से उच्चस्तरीय राजनीति में स्थापित करनें में लगे हुये हैं।
माना जाता है कि राजद का मानना है कि देश के मसलों को लेकर तेजस्वी यादव मूकदर्शक नहीं बने रह सकते। राजद का स्पष्ट मानना है कि तेजस्वी यादव अब बड़ी जिम्मेदारी संभालने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। तेजस्वी ने राष्ट्रीय राजनीति के अहम मुद्दों पर स्टैंड लेने का मन बना लिया है। इसलिए तेजस्वी यादव बिहार की राजनीति से इतर सियासी मेल-मुलाकात में लगे हुए हैं। लालू यादव स्वास्थ्य कारणों से राष्ट्रीय राजनीति में अब उतने सक्रिय नहीं हैं। तेजस्वी पिता के पदचिह्नों पर चलते हुए "बड़े गेम प्लान" पर काम कर रहे हैं। जरूरत हुई तो बिहार से नितिश कुमार के स्थान पर प्रधानमंत्री के प्रत्याशी के रूप में तेजस्वी स्वंय को अथवा लालूप्रसाद यादव को प्रोजेक्ट कर सकते है । उनकी विश्वसनीयता एवं लोकप्रियता नितिश से सौ गुणा ज्यादा तो है ही ।
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