सुपरप्रधानमंत्री से सुपर राष्ट्रीय अध्यक्ष तक नेहरू वंशज soniya rahul priynka khrage

 

 सुपरप्रधानमंत्री से सुपर राष्ट्रीय अध्यक्ष तक नेहरू वंशज

कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद सबसे पहले प्रधानमंत्री बननें की कोशिश सोनिया गांधी ने की थी , मगर मुलायम सिंह के विरोध से वे प्रधानमंत्री नहीं बन सकीं। इसके बाद फिर जब वे प्रधानमंत्री बननें वालीं थीं तब संभवतः विदेशी मूल के कारण प्रधानमंत्री नहीं बन पाईं और प्रधानमंत्री पद की शपथ मनमोहनसिंह को दिलवाई गई। तब वे सुपर प्रधानमंत्री बन गईं थीं। इसके लिये वाकायदा एक संरचना गठित की गई थी।

कांग्रेस की सबसे खराब स्थिती को देखते हुये तयसुदा एक टूलकिट के तहत भारत जोडा यात्रा हुई और इसी दौरान गैर नेहरू परिवार का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी लाया गया है। अधिवेशन हुआ और भारत जोडो यात्रा -2 प्रस्तावित की गई है। कांग्रेस ने अपने आप को मजबूत करनें के लिये 500 गुणा ताकत छोंक दी है। वह जानती है कि अभी नहीं तो कभी नहीं । इसके अलावा बहुत सी विदेशी ताकतें भारत की प्रगति एवं हिन्दू आत्मविश्वास को बाधित करने के लिये, विफल करनें के लिये कांग्रेस को भारत की सत्ता पर आसीन करना चाहते हैं। यह कई दसकों से होता आ  रहा है कि विदेशी ताकते अपनी कठपुतली सरकारें बनवाने उन्हे सत्तारूढ करवाने और उनके माध्यम से अपने हित साधनें के कार्य करते रहते हैं।

कांग्रेस को आसीन करवानें के मजबूत प्रयास चल रहे हैं। इसी कारण कांग्रेस भी भारत के विपक्षी दलों को भाव नहीं दे रही है। यही नहीं कांग्रेस के अधिवेशन सम्पन्न हुये अधिवेशन में राष्ट्रीय अध्यक्ष से अधिक सुपीरियर नेहरू परिवार को दिखानें की कोशिश हुई। राहुल ने किसी को कोई भाव नहीं दिया। यहां तक कि तय आम सभा में भी वे और सोनिया गांधी नहीं गये। यह सुपीरियर दिखानें का ही टूलकिट था।

आम चुनाव 2024 तक भाजपा पर बहुत सारे आक्रमण होंगे, कल्पना से परे आक्रमण भी होंगे। किन्तु तब तक खरगे और राहुल के सम्बंध भी टीक रहेंगे इसमें गहरा संदेह है। क्यों कि राहल को सलाह कहां सं आती यह वे स्वंय ही जानते हैं अन्य कोई नहीं। इसलिये खरगे आदि सिर्फ दिखावटी तस्वीरें मात्र हैं।









 

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