गौ वंश रक्षा की जबावदेही कौन पूरा करेगा - अरविन्द सिसोदिया gou vansh raksha
गौ वंश रक्षा की जबावदेही कौन पूरा करेगा - अरविन्द सिसोदिया
gou vansh raksha
भारत हिन्दुओं का अनादिकालीन देश है और हिन्दुओं के लिए गौ वंश पवित्र और पूज्यनीय है, वर्ष में अनेकों अवसरों पर गोवंश की पूजा की जाती है। उसके शरीर में 32 करोड़ देवी देवताओं का निवास माना गया है। किन्तु लगातार गौ वंश की हत्या करने हेतु तस्करी की घटनायें सामने आती रहती हैं। जबकि संविधान सभा नें बहुत स्पष्टता से गोवंश की सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रावधान किया हुआ है। हरियाणा में भरतपुर के गौ तस्करों को जिन्दा जलाने की घटना को बहुत दिन गुजरे भी नहीं थे कि राजस्थान के झालावाड जिले में गोवंश ले जाते वाहन जनता द्वारा पकड़े जानें से एकबार फिर गौतस्करी सामने आई है । आखिर यह क्रम कब थमेगा यह एक त्रासदी की तरह है। गैर भाजपा शासित राज्यों में गौ तस्करी व गौ वध की सांम्प्रदायिकता को शासन का अपरोक्ष संरक्षण रहता है।
यह पुलिस का घोर निकम्मा पन है या पाप ही कहा जायेगा कि गौ वंश को बचाने के लिए समाज के लोगों को अपना जीवन दाव पर लगाना पड़ रहा है। सार्वजनिक मार्गो से सार्वजनिक वाहनों से सरे आम गौ तस्करी क्यों होती है? क्या इसके लिये पुलिस जबाव देह नहीं है। यह प्रश्न पूरे देश में कमोवेश खड़ा है, पुलिस की भूमिका हमेशा ही संदिग्ध रहती है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 48 में राज्यों को गायों और बछड़ों की हत्या को प्रतिबंधित करने का आदेश दिया गया है। 26 अक्टूबर 2005 को, भारत के सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय में भी भारत में विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा अधिनियमित गौ हत्या विरोधी कानूनों की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा गया है । भारत के राज्यों में से 20 में वर्तमान में गौ वध को प्रतिबंधित करने वाले विभिन्न नियम क़ानून हैं। वहीं केरल, पश्चिम बंगाल, गोवा, कर्नाटक, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मेघालय, नागालैंड और त्रिपुरा ऐसे राज्य हैं जहां गौ वध पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
कांग्रेस सहित अनेकों गैर भाजपा दल गौ वध रोकने के लिये कभी भी जबावदेह या गंभीर नहीं हैं, बल्कि हिन्दुओं के धर्मिक अधिकारों मान्यताओं के प्रति इनका व्यवहार नकारात्मक ही रहता है। गौ वंश विरोधी मानसिकता को ठीक करने के लिये हिन्दू समाज को ही सक्रियता से अपनी बात मुखर करनी होगी। अन्यथा गौ वंश की हत्या भी होती रहेगी ओर उसे लेकर हिन्दुओं को निशाना भी बनाया जाता रहेगा। हिन्दू ही नहीं गौ वंश की रक्षा के लिये बौद्ध पंथ, सिख पंथ एवं जैन पंथ भी कटिबद्ध है। सिख गुरू रामसिंह कूका सहित सैंकउों सिखों ने अपना बलिदान गौ वंश की रक्षार्थ किया है।
इसलिये गौ वध हिन्दू जैन सिख एवं बौद्ध सभी के लिये सनातनियों के प्रति आस्थ का अपमान है। इस हेतु सभी स्तरों पर सरकारों एवं राजनैतिक दलों को गौ वध रोकनें के लिये आगे आना चाहिये।
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