ABVP के डर से छात्रसंघ चुनावों पर रोक - अरविन्द सिसोदिया
ABVP के डर से छात्रसंघ चुनावों पर रोक - अरविन्द सिसोदिया
राजस्थान कांग्रेस सरकार के कुशासन से त्रस्त है, गत वर्ष भी युवा वर्ग के छात्र संघ चुनावों में भी कांग्रेस पक्षधर छात्र संगठन की बुरी तरह हार हुई थी। गहलोत को पता है कि अगर छात्रसंघ चुनाव हुए तो NSUI फिर बुरी तरह से हारेगी, सूपड़ा भी साफ हो सकता है। इसलिए उन्होंने छात्रसंघ चुनाव पर बाहनेंबाजी कर बैन लगा दिया है। जो कि युवा वर्ग के साथ धोखा है।
मेरा व्यक्तिगत मानना है कि व्यावहारिक लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए, युवा वर्ग के बीच में लोकतंत्र व चुनाव का शिक्षण होना चाहिए और देश में एक युवा सांसद नाम का संगठन भी होना चाहिए।
इस तरह के तीसरे पक्ष का संगठन होने से या संस्था होनें से, देश के सत्तापक्ष और देश के विपक्ष दोनों पर ही समसामायिक सामाजिक दृष्टिकोण को अपनाने और वक्त जरूरत की जरूरतों को पूरा करने का दबाव बनता है।
राष्ट्र की रक्षा और सामाजिक संरक्षण को लेकर दबाव का कोई अतिरिक्त केंद्र नहीं होने के कारण, देश के लोकतंत्र में वास्तविक लोक सेवा, वास्तविक जन सेवा, वास्तविक सामाजिक सरोकारों का चिंतन, घट रहा है।
आजकल देश में राजनीतिक दल नई दिशा में चल बैठे हैं, जो कि एक सुनियोजित विदेशी षड्यंत्र है, फ्री बिजली, फ्री पानी, फ्री इलाज, फ्री भोजन और भी बहुत सारी चीजें फ्री फ्री ले लो! जैसा मोबाइल, लैपटॉप, साइकिल, स्कूटी कुल मिलाकर हमको लूटने दो और उस लूट में से कुछ आप भी लेलो, आपके हमारे बीच में देश के खजाने की लूट का एक गठबंधन, एक समझौता हो गया है। सत्ता लुटे, जनता लुटे और देश के खजाने को बर्बाद करके, देश को पिछड़ा बनाओ, भुखमरी ग्रस्त बनाओ और अंत में सेना के लिए हथियार भी ना रहे, ऐसा पराजित राष्ट्र बना कर, एकदिन फिर से गुलाम बनवादों, फिर दूसरे देश शासन करने लगे।
इस मनोवृति का विरोध समाज की तरफ से भी होना चाहिए कि आप हमें निकम्मा क्यों बना रहे हो.... मगर सामाजिक विरोध नहीं होनें से सभी राजनैतिक दलों को इस दलदल में फंसना पड़ रहा है।
चीन की स्टेटची पूरी दुनिया में यही है किसी भी देश को आर्थिक स्थिति से कमजोर कर दो, ताकि वह भुखमरी से ग्रस्त हो जाए, कर्ज से ग्रस्त हो जाए और अंत में अपने अंदर से ही टूट जाए। यह स्पष्ट रूप से श्रीलंका और पाकिस्तान में देखने को मिल रहा है। यही कोशिश आप पार्टी के रूप में दिल्ली में की गई, पंजाब में की गई। अब यह स्टैंड पूरे देश में चलाया जा रहा है। ताकी एक दिन भारत में भी भुखमरी हो, कंगाली हो, कर्जदार हो, पाई पाई को मोहताज हो। और अंततः वह अपनी सैन्य जरूरतों को भी पूरा ना कर पाए और फिर से गुलाम हो जाए।
राष्ट्र के प्रति इतने बड़े षड्यंत्र को ठंडे दिमाग से समझा तो जा सकता है, इसकी रोकथाम भी की जा सकती है। मगर हम लोग देश हित से बड़ा फ्री - फ्री का माल समझते हैं। यही कारण है कि देश को लूटने वाले तमाम राजनीतिक दल जिन पर लगातार भ्रष्टाचार के आरोप लगाते रहे, किसी न किसी प्रकार से जनता के द्वारा चुनकर फिर शासन में आ जाते हैं। चारा घोटाले वाले वोट पाते हैं, बोफोर्स घोटाला वाले वोट पाते हैं, 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले वाले वोट पाते हैं, कोयला घोटाले वाले वोट पाते हैं।क्योंकि समाज की दृष्टि से कोई एक ऐसा नियंत्रक दबाव समूह नहीं है, जो राष्ट्र हित के लिए राजनैतिक दलों को मजबूर कर सके।
मेरा मानना यह है कि युवा वर्ग के लोगों को, लोकतंत्र से अधिकतम जोड़ा जाए, प्रखर राष्ट्रवाद की भावना से उन्हें ओतप्रोत किया जाए, निश्चित रूप से एक ऐसा दबाव समूह तैयार हो सकता है जो देश के हित को चितक हो सकेगा।
गहलोत सरकार ने जो आरोप लगाया है वे गलत व राजनीति से प्रेरित हैं।यह आप बिल्कुल गलत है निराधार है और झूठ हैं।
छात्र संगठनों के चुनाव की प्रक्रिया इतनी सरल और सुव्यवस्थित होनी चाहिए उसमें वास्तविक रूप से अच्छा छात्र चुनकर के आए, इसके लिए मार्कशीट पर उनके पिछले साल का परिणाम देखा जा सकता, फॉर्म भरने की दिनांक और मतदान के दिन के बीच में आप अधिकतम 3 दिन रखिए क्या जरूरत पड़ी है अधिक दिन रखने की, चंदा और समूह के रूप में एकत्र होने पर भी कानूनी निषेध कीजिए। यह व्यवस्था का मामला है चंदे के धंधे के आरोप तो सरासर झूठा है, और यह आरोप वह गहलोत सरकार लगा रही है जो स्वयं ही प्रलोभन के धंधे में फंसी हुई है।
गहलोत सरकार का वर्तमान में चल रहा राग का स्वर यही है कि मैंने साढ़े चार साल में कुछ नहीं किया, अब मैं 5 महीने में आपके ऊपर पूरा खजाना लुटा दूंगा, राजस्थान को इतने कर्ज में डुबो दूंगा कि आने वाली 10/20 सरकारें भी कर्ज चुकाने में ही चली जाएँ। आप मुझे अगले 5 साल के लिए और चुनो, क्योंकि मुख्यमंत्री रहते की मेरी इच्छा पूरी नहीं हुई है, मुझे अगला मुख्यमंत्री और बनाओ। में किसी युवा को, किसी दूसरे कार्यकर्ता को अवसर नहीं दूंगा। मुख्यमंत्री सिर्फ मुझे बनना है , इस तरह के लक्ष्य में फंसा हुआ मुख्यमंत्री छात्र संघ चुनाव को रोककर राजस्थान की युवा शक्ति के साथ अन्याय कर रहा है। यह अघोषित अत्याचार है, स्वस्थ लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है।
पूरा राजस्थान जानता है कि छात्र राजनीति में अब लगभग कांग्रेस छात्र संगठन को नकार दिया गया है। चुनावी समय है विधानसभा के मतदान से ठीक पहले राजस्थान की छात्रा नीति ने राष्ट्रवादी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को जीता दिया और कांग्रेस की एनएसयूआई को हरा दिया तो गहलोत सरकार के लिए एक नया संकट खड़ा हो जाएगा और इस संकट से बचने के लिए ही सरकार ने चालाकी पूर्वक युवा वर्ग के चुनावों पर रोक लगाई है।
यह इस बात का संकेत भी है कि राजस्थान की गहलोत सरकार को यह ध्यान में है कि वह चुनाव हारने जा रही है, इससे बचने के लिए उसने छात्र संगठन चुनाव पर ही बैन लगा दिया है । जो कि शर्मनाक है।
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