सिखों के नरसंहार वाली कांग्रेस की मणिपुर पर कांव कांव - अरविन्द सिसोदिया
सिखों के नरसंहार वाली कांग्रेस की मणिपुर पर कांव कांव - अरविन्द सिसोदिया
संसद में फ्लाइंग किस और मेज थपथपाना ख़ुशी का इजहार होता है... कहां है मणिपुर की पीड़ा...? सिर्फ राजनीति वह भी हल्केपन की..!
मणिपुर में हिंसा का जन्म चर्च की दादागिरी से प्रारंभ हुआ, मणिपुर की मूलनिवासी हिंदू जनजाति जो की कभी वहाँ की राजा थी को, पंडित जवाहरलाल नेहरू ने किस कारण से जनजाति स्टेट्स से बाहर किया यह अभी तक समझ के बाहर बात है। किंतु हाल ही में हाई कोर्ट ने मणिपुर की हिंदू जनजाति को उसका एस टी स्टेटस में रखने का निर्देश क्या दिया, चर्च आगबबूला हो गया और इसाईं जनजातीय ने हिंसा का शुभारंभ किया, चर्च प्रेरित गुंडागर्दी, हिंसा और बर्चस्व की दादागिरी में मणिपुर जल रहा है। यह घटनाक्रम दूसरे देशोँ के दुष्प्रेरण से भी हो रहा है। यह सब नया नहीं है, कई कई दसकों से हो रहा है।
भारत के पूर्वांचल में जनजातियाँ हैं,चर्च है और कनबरजन है इनक़ी पहुंच अमेरिका तक है, कांग्रेस की राजमाता सोनिया गांधी तक भी है। यह अपनी दादागिरी और बर्चस्व के आधार पर मणिपुर से हिंदू जनजातियों को भगा देना चाहती है। मणिपुर में चल रहे संघर्ष का मूल यह है हिंदू जनजाति वहां से किसी भी तरह से पलायन कर जाए भाग जाए, पलायन हुआ भी है। वर्तमान में जागृत केंद्र सरकार यह सब समझ रही है और हिन्दू जनजाती के हितों क़ी रक्षा कर रही है। केंद्र सरकार पर दबाव बनाने, केंद्र सरकार को विश्व राजनीति के आधार पर डराने धमकाने की कोशिश हो रही है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति के द्वारा दिया गया वक्तव्य और यूरोपीय संसद में पारित किया गया प्रस्ताव यही है। केंद्र सरकार को चर्च और ईसाई जनजाति के पक्ष में कैसे लिया जाए, इस तरह का विश्व दवाब क़ी, एक प्रकार की सीन जोरी चल रही है। कोई भी सजग राष्ट्र, कोई भी ईमानदार राष्ट्र, मूलनिवासीयों के साथ नाइंसाफी कभी सहन नहीं करेगा।
मणिपुर में हिंदू जनजातियों को एस टी स्टेटस का अधिकार था, है और रहेगा, जल्द से जल्द यह उन्हें मिले इस बात की चिंता करना केंद्र सरकार का प्रथम कर्तव्य है। केंद्र सरकार हिन्दू जनजाती को अधिकार नहीं दे, इसी के लिए कांग्रेस और चर्च का सारा षड्यंत्र है।
दुर्भाग्य देखिए कि भारत के मणिपुर पर हल्ला मचा रही कांग्रेस ने कभी गिरेवान में झाँक कर नहीं देखा कि उन्होंने सिख नरसंहार किया है , पांच हजार सिखों के हत्यारे मणिपुर पर बात कर रहे हैं। यह वही कांग्रेस जिसने विभाजन में 20 लाख से अधिक लोगों की बलि ले ली थी। यह वही कांग्रेस है जिसने श्रीलंका में शांति सेना भेजकर वहां के हिंदू तमिलों को मरवाया और भारत की सेना को भी शहीद करावाया।
कांग्रेस अपने इतिहास को भूल जाती है, जिस पार्टी ने नागरिकों के जीवन से अधिक सत्ता को समझा हो, वह न्याय कि बात कर भी नहीं सकती।
छल कपट और झूठ में लपेटकर मणिपुर में असत्य से सत्य को पराजित करना और असत्य को स्थापित करना ही कांग्रेस की नीति में है। यही नीति मणिपुर में भी कम कर रही है। विदेशी ताकतों से सांठ गांठ रखना, भले ही भारत का अहित होता रहे।
मणिपुर के पूरे सत्य का अध्ययन भी करना चाहिए, मणिपुर में रहने वाली पुरातन स्थानीय जनजाति जो हिंदू जन जाति है उसका पक्ष लेना चाहिए, उसको सपोर्ट करना चाहिए, उसके हितों की रक्षा करना चाहिए।
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