सिप्ला से प्रेम और अडानी-अंबानी से दुश्मनी,क्या कांग्रेस धर्म देख कर निर्णय लेती है - अरविन्द सिसौदिया Ambani, Adani cipla,

 


सिप्ला से प्रेम और अडानी-अंबानी से दुश्मनी,क्या कांग्रेस धर्म देख कर निर्णय लेती है - अरविन्द सिसौदिया 

कांग्रेस का दवा कंपनी सिप्ला पर साहनभूति और अडानी पर अंगार, क्या आलोचना भी धर्म देख करती है कांग्रेस ?

- मेरा भी भारत सरकार से आग्रह है कि एक भारतीय कंपनी के नाते सिप्ला की मदद की जानी चाहिये, उसे किसी भी विदेशी अधिग्रहण में जानें से बचाया जाना चाहिये। यह कर्त्तव्य भारत सरकार ही नहीं प्रत्येक भारतीय को संभव क्षमता से निभाना चाहिये। 

किन्तु हमने देखा है कि यूपीए के द्वारा कांग्रेस के नेतृत्व में भारतीय उद्योग समूह अडानी और अंबानी पर लगातार हमले होते रहे क्यों कि ये कंपनियां भारतीय कंपनियां थीं, पूरे विश्व में भारत का नाम रौशन कर रहीं थीं, सफलता की कहानीयां लिख रहीं थीं। अडानी समूह को अमेरिकी झूठ कंपनी के द्वारा हिडनवर्ग रिपोर्ट के माध्यम से भ्रम फैला कर बहुत बडा नुकसान पहुंचाया गया, यह नुकसान भारतीय अर्थव्यवस्था को चौपट करनें की कोशिश विदेशी भूमी से हुई और उसका समर्थन कांग्रेस सहित उसके मित्र दलों नें किया। यूपीए ने अपने काले कारनामों को झुपानें के लिये अपना डॉट डॉट ..... नामकरण भले ही कर लिया हो, मगर किये गये कार्यों और बोले गये शब्दों का पीछा कभी नहीं छूटता है। इसीलिये यह आलेख आज आपके सामनें है। 


कांग्रेस के वरिष्ठनेता या यूं मानें की कांग्रेस में महान परिवार के बाद प्रथम तो खरगे जी ही है ि़द्वतीय स्थान पर शोभित महासचिव जयराम रमेश हैं ने आज एक वक्तव्य भारतीय दवा कंपनी सिप्ला को बचानें के लिये दिया है। जबकि उनका भारतीय राजनैतिक होनें के नाते यह कर्त्तव्य था कि वे हिडनवर्ग के खिलाफ खडे होते और भारतीय अडानी का पक्ष लेते मगर तब उन्होने इस तरह का कोई कर्त्तव्य निष्पादित नहीं किया। प्रश्न यहीं से उठता है कि क्या कांग्रेस सिप्ला के पक्ष में जाती धर्म पंथ देख कर खडी हुई है ....? क्यों कि जयराम रमेश का पूरा जोर,  समस्या का हल निकालने में नहीं ....! सिप्ला के मालिकों का धर्म बतानें पर स्पष्ट दिख रहा है। 

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सिप्ला का अधिग्रहण होता देख सभी को दुखी होना चाहिए : जयराम रमेश

जयराम रमेश ने एक खबर का हवाला भी दिया जिसमें दावा किया गया है कि दुनिया का सबसे बड़ा निजी इक्विटी कोष ‘ब्लैकस्टोन’ सिप्ला के प्रवर्तक की 33.47 प्रतिशत की हिस्सेदारी हासिल करने के लिए अगले सप्ताह तक गैर बाध्यकारी बोली लगा सकता है।

-  कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने शुक्रवार को कहा कि भारत की प्रमुख दवा कंपनी सिप्ला के ‘ब्लैकस्टोन’ द्वारा ‘आसन्न अधिग्रहण’ को लेकर दुखी होना चाहिए क्योंकि यह कंपनी भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक इतिहास का अभिन्न हिस्सा रही है। उन्होंने एक खबर का हवाला भी दिया जिसमें दावा किया गया है कि दुनिया का सबसे बड़ा निजी इक्विटी कोष ‘ब्लैकस्टोन’ सिप्ला के प्रवर्तक की 33.47 प्रतिशत की हिस्सेदारी हासिल करने के लिए अगले सप्ताह तक गैर बाध्यकारी बोली लगा सकता है।

कांग्रेस महासचिव रमेश ने ट्वीट किया, ‘‘यह जानकर दुख हुआ कि दुनिया का सबसे बड़ा निजी इक्विटी कोष ‘ब्लैकस्टोन’ भारत की सबसे पुरानी दवा कंपनी सिप्ला में पूरी 33.47 प्रतिशत की प्रवर्तक की हिस्सेदारी हासिल करने के लिए बातचीत कर रहा है। 

सिप्ला की स्थापना 1935 में ख्वाजा अब्दुल हामिद द्वारा की गई थी, जिन पर महात्मा गांधी, पं. जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल और मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का गहरा प्रभाव था। उन्होंने सीएसआईआर के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।’’

उन्होंने कहा, ‘‘सिप्ला जल्द ही भारतीय राष्ट्रवाद का एक चमकदार उदाहरण बनकर उभरा । उनके बेटे यूसुफ हामिद ने सिप्ला को कम लागत वाली जेनेरिक दवाओं का वैश्विक आपूर्तिकर्ता बनाया और अमेरिकी, जर्मन और ब्रिटिश एकाधिकार तथा पेटेंट धारकों को सफलतापूर्वक चुनौती दी।’’

उनके अनुसार, ‘‘यूसुफ हामिद ने कई अन्य भारतीय कंपनियों के लिए विभिन्न देशों में खुद को स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त किया। वह सबसे आकर्षक और दिलचस्प व्यवसायियों में से एक हैं जिन्हें जानने का मुझे सौभाग्य मिला है।’’रमेश ने कहा, ‘‘सिप्ला भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक इतिहास का एक अभिन्न अंग है और ब्लैकस्टोन द्वारा इसके आसन्न अधिग्रहण से हम सभी को दुखी होना चाहिए।’’

It was painful to learn that Blackstone, the world's largest private equity fund, is negotiating to acquire the entire 33.47% promoter stake in Cipla, India's oldest pharmaceutical company. Cipla was established in 1935 by Khwaja Abdul Hamied who was profoundly impacted by Mahatma Gandhi, Nehru Sardar Patel and Maulana Azad. He also played an important role in creating CSIR. 

Cipla soon emerged as a shining example of Indian nationalism and his son Yusuf Hamied made Cipla a global supplier of low-cost generic medicines and successfully challenged American, German and British monopolies and patent holders. He paved the way for many other Indian companies to establish themselves in different countries. He is one of the most charming and delightful businessmen I have had the privilege of knowing. 

Cipla is an integral part of India's political, economic and social history and its impending takeover by Blackstone should sadden all of us.



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