पीपल पूर्णिमा : पीपल में देवी-देवताओं और हमारे पितरों का वास रहता है

 पीपल पूर्णिमा  Peepal Purnima

peepal poornima


पीपल पूर्णिमा

वैशाख मास की पूर्णिमा को अनादिकाल से पीपल पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। क्यों कि पीपल में सभी देवों का वास होनें से इसकी पूजा अर्चना की जाती है। बाद में भगवान बुद्ध का जन्म,ज्ञान की प्राप्ती एवं निर्वाण इसी दिन होनें से इसे बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जानें लगा है। यूं इसे सामान्यतौर पर वैसाख पूर्णिमा भी कहते है।

जानिए पीपल वृक्ष की महिमा के बारे में
हिंदू धर्म में पीपल के पेड़ का बहुत महत्व माना गया है। शास्त्रों के अनुसार इस वृक्ष में सभी देवी-देवताओं और हमारे पितरों का वास रहता है। पीपल वस्तुतः भगवान विष्णु का जीवन्त और पूर्णतः मूर्तिमान स्वरूप है। भगवान श्रीकृष्ण ने भी कहा है की वृक्षों में मैं पीपल हूं।

कहते हैं पीपल से बड़ा मित्र कोई भी नहीं है, जब आपके सभी रास्ते बंद हो जाएं, आप चारों ओर से स्वयं को परेशानियों से घिरा हुआ समझें । आपकी परछाई भी आपका साथ ना दे, हर काम बिगड़ रहे हो तो पीपल की पूजा अर्चना करें, निश्चित रूप से कुछ ही समय में आपके कष्ट दूर हो जाएंगे।
 
धर्म शास्त्रों के अनुसार हर व्यक्ति को जीवन में एक बार पीपल का पेड़ अवश्य लगाना चाहिए। पीपल का पौधा लगाने वाले व्यक्ति को जीवन में किसी भी प्रकार का संकट नहीं रहता है। पीपल का पौधा लगाने के बाद उसे रविवार को छोड़कर नियमित रूप से जल भी अर्पित करना चाहिए। जैसे-जैसे यह वृक्ष बढ़ेगा आपके घर में सुख-समृद्धि भी बढ़ती जाएगी। पीपल का पेड़ लगाने के बाद बड़े होने तक इसका पूरा ध्यान भी अवश्य ही रखना चाहिए, लेकिन ध्यान रहे कि पीपल को आप अपने घर से दूर लगाएं, घर पर पीपल की छाया भी नहीं पड़नी चाहिए।
 मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति पीपल के वृक्ष के नीचे शिवलिंग स्थापित करता है तो उसके जीवन से बड़ी से बड़ी परेशानियां भी दूर हो जाती हैं। पीपल के नीचे शिवलिंग स्थापित करके उसकी नियमित रूप से पूजा भी अवश्य ही करनी चाहिए। इस उपाय से जातक को सभी भौतिक सुख सुविधाओं की प्राप्ति होती है।

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

‘फ्रीडम टु पब्लिश’ : सत्य पथ के बलिदानी महाशय राजपाल

‘‘भूरेटिया नी मानू रे’’: अंग्रेजों तुम्हारी नहीं मानूंगा - गोविन्द गुरू

“Truth is one — whether witnessed in a laboratory or realized in the depths of meditation.” – Arvind Sisodia

सत्य एक ही है,वह चाहे प्रयोगशाला में देखा जाए या ध्यान में अनुभव किया जाए - अरविन्द सिसोदिया Truth is one

छत्रपति शिवाजी : सिसोदिया राजपूत वंश

खींची राजवंश : गागरोण दुर्ग

कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान

हम विजय की ओर बढ़ते जा रहे....