देव भूमि भारत अब भारत बन रहा है - अरविन्द सिसौदिया


देव भूमि भारत अपने खोये अस्तित्व को पुनः प्राप्त करने की दिशा में बढ रहा है - अरविन्द सिसौदिया

भारत के प्राण भारतीय संस्कृति ही है - अरविन्द सिसौदिया

भारत में सम्राट अशोक के बाद एवं ब्रिटिश साम्राज्य से पहले के कालखंड में , सबसे बड़े भूभाग का राजा बनने का अवसर मुगल औरंगजेब को मिला था। वे हिन्दुकुश पर्वत से लेकर दूर दूर तक भारतीय प्रायद्वीप पर राज्य कर रहे थे। तब किसी भी इस्लामी सत्ताधारी को यह कल्पना भी नहीं थी कि हिंसा के आधार पर खडा किया गया यह साम्राज्य ताश के पत्तों की तरह ढह जायेगा और सुदूर के अंग्रेज इस देश के बादशाह हो जायेगें। और जब अंग्रेज पूरी दुनिया पर शासन कर रहे थे उनके राज्य में सूर्य कभी अस्त नहीं होता था। तब भी कोई नहीं सोच पाता था कि अंग्रेजों को तमाम दुनिया के कब्जाये देशों से जान बचाकर भागना पडेगा। उन्हें स्वतंत्रता देनी पडेगी। मगर यह हुआ ।

भारत के लोग की सहनशीलता कोई मजाक नहीं है, यह वह जिजीविषा है जो अपने अस्तित्व को प्राप्त किया बिना चैन से नहीं बैठती। भारत स्वतंत्र भी हुआ और वह अपने अस्तित्व को पुनः प्राप्त करने की यात्रा पर है, जिसे कोई रोक नहीं सकता। यह भी सच है कि कांग्रेस और जवाहरलाल नेहरू तथा उनके वंशजों के द्वारा अभी तक इस रास्ते में बाधाएं भी खड़ी की गई मगर भारत भारत है और वह भारत ही बन कर रहेगा। जितनी बाधाएं उत्पन्न की जाएगी यह उतनी ही बड़ी ताकत से अपने लक्ष्य की ओर बडेगा। क्यों कि भारत देव भूमि है। ईश्वर की संतानों का स्थान है। वह उसी साहस और शौर्य से भरा हुआ है।

यह कोई ईश्वरीय प्रेरणा ही है जिसने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना करवाई, भारतीय जनसंघ की स्थापना करवाई, विश्व हिन्दू परिषद की स्थापना करवाई और भारतीय जनता पार्टी की स्थापना करवाई। परतंत्रता के दौर में भी आध्यात्मिक पुर्न जागरण हुआ था, तब इसकी अगुवाई ब्रह्म समाज, प्रार्थना समाज,आर्य समाज, थियोसोफिकल सोसायटी ने की थी , तब राजाराम मोहन राय, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, स्वामी दयानंद सरस्वती , भगनि निवेदिता, महर्षि अरविन्दो प्रमुख प्रवक्ता के रूप में लोकप्रिय हुए थे।

इसी तरह भारतीय संस्कृति के पुर्न उद्धारक के रूप में संघ के संस्थापक परम पूज्य केशव बलिराम हेडगेवार, द्वितीय सरसंघचालक माधव सदाशिवराव गोलवलकर अर्थात गुरू जी, सरदार वल्लभभाई पटेल , सुभाष चंद्र बोस , लोकमान्य की गंगाधर तिलक , डॉ राजेंद्र प्रसाद, डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, अशोक सिंघल वे प्रमुख व्यक्तित्व थे जिन्होंने भारत को भारत बनाने की दिशा में बीज बो कर वृक्ष बनाने का महती कार्य किया । वर्तमान में इसी महती कार्य को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में किया जा रहा है। भारत अब भारत बन रहा है। जिससे बहुत से भारत विरोधी तत्व परेशान हैं। जो पाकिस्तान लेकर भी 70 सालों से भारत में आतंक की भाषा बोल कर अव्यवस्था फैला रहे हैं वे भी जान लें की भारत अब जाग रहा है, अपने राजनीतिक, सांस्कृतिक , सभ्यतागत अधिकारों एवं कर्तव्यों के प्रति ।

कभी इसका उदघोष बना कश्मीर , कभी श्री राम जन्म भूमि तो अब हर हर महादेव ...! यह सभी को समझ लेना चाहिये कि भारत की आत्मा भारतीय संस्कृति है। उसके पूर्वज उसके अग्रज हैैं। उसके देवी देवता, उसकी परम्परायें , मान्यतायें ही उसके प्राण हैं जिनसे कोई भी उसे अलग नहीं कर सकता । भारत का सर्वोच्च विधान सनातन है हिन्दुत्व है। लाखों करोडो वर्ष पूर्व से चला आ रहा यही पथ हमारा  है और रहेगा।

जिस पथ ने विश्व को एक परिवार, सम्पूर्ण मानवता को बंधुत्व के साथ साथ समस्त प्रकृति को एक तत्व का अनुसंधान कहा है। उस प्राणवान ऊर्जा से  परिपूर्ण भारत की संस्कृति ही विश्व को अनादिकाल से मार्ग दिखती रही है और आगे भी दिखाती रहेगी । क्यों कि सत्य के , दया के , करुणा के, मानवता के , शांति के , सदभाव के हम ही आविष्कारक हैं और संरक्षक है। हमने कभी हिंसा का , अन्याय का असत्य का समर्थन नहीं किया है और न ही करेगें। क्योंकि हम ही सत्यं शिवम सुन्दर हैं।

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