राकेश टिकैत को गिरफतार कर किसान आन्दोलन में कथित विदेशी भूमिका जांच की जानी चाहिये - अरविन्द सिसौदियाRakesh Tikait

 

अरविन्द सिसौदिया

राकेश टिकैत को गिरफतार कर किसान आन्दोलन में कथित विदेशी भूमिका जांच की जानी चाहिये - अरविन्द सिसौदिया

पंजाब और यूपी के चुनावों में भाजपा को हरानें के लिये भारत की विपक्षी राजनैतिक पार्टियों के द्वारा, विदेशी मदद से खडा किया तथाकथित किसान आन्दोलन का कुछ - कुछ सच अब सामनें आनें लगा है। उस समय भी यह महसूस किया गया था कि इस आन्दोलन का हेतु मुख्यतः पंजाब और यूपी विधानसभा चुनाव है और सच भी साबित यही हुआ कि विधानसभा चुनावों के साथ ही यह आन्दोलन समाप्त हो गया । इस आन्दोलन का लाभ कांग्रेस और आप पार्टी मुख्यतौर से लेना चाहते थे, आन्दोलन के बीच में इनके साथ जयंत चौधरी की पार्टी और जुड गई थी। पंजाब में कांग्रेस ने अपनी ही गलती से आप पार्टी को जीत थमादी। इस पूरे मूमेंट का नियंत्रण एक टूलकिट से होना भी तब सामनें आया था। कनाडा और
खालिस्तानी कनेक्शन भी चर्चा में थे।
    
  किसान आन्दोलन के दौरान गणतंत्र दिवस पर निकाली गई टेक्टर रैली के दौरान बिना इजाजत के लाल किले पर पहुंच कर , तिरंगे का अपमान किया गया समानांतर दूसरा ध्वज लहराया गया। जो कि भारत का किसान कभी नहीं कर सकता न ही किसान यूनियन कर सकती थी। मगर यह सब राकेश टिकैत की यह भागिता से ही हुआ था। इस संदर्भ में बी बी सी लंदन ने रिपोर्ट प्रकाशित की थी कि -

क्या किसानों ने तिरंगा उतारकर लाल किले पर फहराया “ खालिस्तानी झंडा “ ?
सुमनदीप कौर, बीबीसी संवाददाता
26 जनवरी 2021 / अपडेटेड 27 जनवरी 2021
https://www.bbc.com/hindi/india-55818547
“.......इनमें से कुछ लोगों ने लाल किले की प्राचीर पर कुछ झंडे फहरा दिए. सोशल मीडिया पर कई लोगों ने दावा किया है कि इन लोगों ने लाल किले की प्राचीर से भारतीय झंडे को उतारकर “खालिस्तानी झंडा“  फहरा दिया। इसके बाद से लोग इसके ख़िलाफ़ कार्रवाई की माँग कर रहे हैं। “
किन्तु यह प्रमाणित नहीं हुआ कि तिरंगा उतारा गया या हटाया गया। हलांकी अनावश्यक अन्य झण्डों का फहरा कर गणतंत्र दिवस की गरिमा को अपमानित किया ।

कुल मिला कर किसान नेता राकेश टिकैत को गिरफतार कर , विदेशी हस्तक्षेप के सच को जानना और उजागर करना चाहिये । भारत में किसी भी राजनैतिक दलों या सामाजिक संगठनों को विदेशी षडयंत्रों अथवा सहभागिता से कोई भी देश विरोधी कृत्य करनें की इजाजत नहीं दी जा सकती।
......................
     भाकियू के नए अध्यक्ष राजेश सिंह चौहान ने दावा किया है कि हम किसी राजनैतिक दल से नहीं जुड़ेगे. हम किसान नेता महेन्द्र सिंह टिकैत के मार्ग पर चलने वाले हैं और हम अपने सिद्धांतों को विपरीत नहीं जाएंगे। राजेश सिंह चौहान ने कहा कि बीकेयू (अराजनैतिक) का अध्यक्ष हूं। हम 13 दिन आंदोलन के बीच रहे, आंदोलन के दौरान मैंने चंदे का रुपया नहीं छुआ, हमारा काम किसान को सम्मान दिलाना है।

     राजेश सिंह चौहान यूपी के फतेहपुर जिले के रहने वाले हैं और भाकियू के गठन से उसके साथ हैं। उनका कहना है कि हम अब नए सिरे से संगठन को तैयार करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि देश के किसान,किसान नेता राकेश तथा नरेश टिकैत के हर कदम से बेहद नाराज हैं। हमने तो हर मंच पर किसानों की समस्याओं को उठाने का संकल्प लिया है। लेकिन किसानों के हित की बात करने की जगह नरेश टिकैत तथा राकेश टिकैत कुछ चाटुकारों के बीच फंसे हैं।

प्रतीत होता है कि अराजनैतिक होने का दम भरने की नौटंकी के बावजूद विधानसभा चुनावों में खुलकर भाजपा के खिलाफ राजनीति करना टिकैत बंधुओं (नरेश टिकैत और राकेश टिकैत) को महंगा पड़ गया। उनके निकट सहयोगियों ने उनका साथ छोड़ते हुए नए किसान संगठन “ भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक“ का गठन किया है। इसमें जिले की दूसरी सबसे बड़ी गठवाला खाप के चौधरी को चेयरमैन और राष्ट्रीय संरक्षक बनाया गया है।

     किसान आंदोलन के दौरान प्रमुख संगठन रहे भारतीय किसान यूनियन में यूं तो 35 सालों में 11 बार टूट हुई है। भाकियू के विभाजन की नींव तभी पड़ गई थी, जब नवंबर 2021 में भाकियू के मुख्यालय सिसौली में भाजपा विधायक उमेश मलिक पर हमला हुआ था। भाकियू को विभाजन का झटका ठीक उसी दिन लगा, जब संस्थापक महेंद्र सिंह टिकैत की पुण्यतिथि थी। दरअसल चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत ने अपने अराजनैतिक स्वरूप को अपनाते हुए किसानों के लिए सरकार से ऐसी मांगें भी मनवा ली थी जिसके बारे में किसान सोच भी नहीं सकते थे। अराजनैतिक रहते हुए उन्होंने देश के प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को किसानों के पक्ष में घोषणा करने के लिए सिसौली आने पर मजबूर कर दिया। उनके समय में मंच से प्रधानमंत्री चंद्रशेखर, प्रधानमंत्री देवगौड़ा, मुख्यमंत्री वीरबहादुर सिंह, मुलायम सिंह यादव, राजनाथ सिंह आदि ने संबोधन किया, लेकिन उन पर कभी राजनैतिक होने का ठप्पा नहीं लगा। उनके जाने के बाद उनके पुत्रों नरेश टिकैत और राकेश टिकैत इस स्वरूप को बरकरार नहीं रख पाए।

भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल घिरे टिकैत बंधु
नए किसान संगठन भाकियू अराजनैतिक बनाने वाले नेताओं का कहना है कि चुनाव से काफी समय पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा कर दी थी। लेकिन पता नहीं क्या कारण रहे कि अराजनैतिक होने के बावजूद भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत और राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत खुलकर भाजपा विरोधी खेमे की आवाज बन गए। सिसौली में विपक्षी दल के उम्मीदवारों को बुलाकर भाजपा विरोधी पार्टियों के सिंबल दिए गए। जिला पंचायत चुनावों में भाजपा विरोधी खेमे के जिला पंचायत अध्यक्ष का नाम तय किया गया। इससे भाकियू की अराजनैतिक छवि को धक्का लगा।

मलिक ने टिकैत बंधुओं पर लगाया पैसे बनाने का आरोप
नई भाकियू में संरक्षक-चेयरमैन बनाये गए शामली के लिसाढ़ गांव निवासी बाबा राजेन्द्र सिंह मलिक ने टिकैत परिवार पर भाकियू के नाम पर राजनीति के साथ-साथ जमकर पैसा बनाने का आरोप लगाए। साथ ही कहा कि हम धरने को बीच में उठाकर भागने वाले लोग नहीं हैं। किसानों के मुद्दों को लेकर पूरी ईमानदारी से संघर्ष होगा और बात मनवाने के बाद ही धरने समाप्त किए जाएंगे। गठवाला खाप के चौधरी बाबा राजेन्द्र सिंह मलिक ने अपरोक्ष रूप से यूनियन को धन कमानें का साधन बनाने की ओर इशारा करते हुये कहा है कि भाकियू की स्थापना के समय और आज की आर्थिक स्थिति का आंकलन करने से राकेश और नरेश टिकैत की कारगुजारी का अंदाजा लगाया जा सकता है।

 

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