ज्ञानवापी की सर्वे रिपोर्ट को सार्वजनिक ही किया जाना चाहिये - अरविन्द सिसौदिया gyanvapi-case-survey-report-leaked

ज्ञानवापी की सर्वे रिपोर्ट को सार्वजनिक ही किया जाना चाहिये - अरविन्द सिसौदिया



ज्ञानवापी की सर्वे रिपोर्ट को सार्वजनिक ही किया जाना चाहिये, क्यों कि गुप्त रहने जैसा कुछ बचा भी नहीं है। बल्कि इसे गुप्त रखनें पर फेरबदल के अनेकानेक आरोप प्रत्यारोप लगेंगे। मेरा मानना तो यह है कि इस तरह के सर्वे की ऑन स्पाट प्रसारण भी होना चाहिये ताकि बाद में बदलनें को कुछ बचे ही नहीं। एक दिन वह सार्वजनिक होनी भी है, उस पर तर्क विर्तक भी होने हैं।

वाराणसी जिला न्यायालय ने प्राप्त सर्वे रिपोर्ट मुकदमें के वादी एवं प्रतिवादी गणों को बंद लिफाफों में सौंपी थी और इसके कुछ समय बाद ही यह देश के विभिन्न चेनलों पर चलने लगी। जो कि न्यायालय के आदेश के अनुसार नहीं चलनी चाहिये थी। इसे गुप्त रखनें के निर्देश भी थे। हिंदू पक्ष ने अपने सीलबंद लिफाफे दिखाते हुये कहा है कि यह लीकेज साजिश के तहत हुआ है। इसकी सीबीआई जांच होनी चाहिये। न्यायालय को सर्वे रिपोर्ट लीक मामले में जिम्मेवारी तय करनी चाहिये।

वादी राखी सिंह के अधिवक्ता शिवम गौड़ ने कहा, मुख्य वादी को छोड़कर अन्य सभी 4 वादियों ने कोर्ट से सबूत के रूप में वीडियो और फोटो लिया था , जबिक मुख्य वादी तथा उनकी मुवक्किल राखी सिंह ने वीडियो लेने से मना कर दिया था। उन्होंने बताया कि विश्व वैदिक हिंदू सनातन संघ ने पहले ही वीडियो लीक की आशंका जताई थी। वहीं ज्ञानवापी केस में पक्षकार और विश्व वैदिक हिन्दू सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन कहते हैं, ‘आशंका जताए जाने के बाद भी वीडियो वायरल होना दुर्भाग्यपूर्ण है। वीडियो लीक के मामले में उच्चस्तरीय जांच हो और दोषी व्यक्ति को कड़ी से कड़ी सजा मिले।

मेरा मानना है कि इस वैज्ञानिक युग में, बडी हुई तकनीकी एवं गलाकाट
मीडिया प्रतिस्पर्धा के चलते,मीडिया के लिये यह बहुत ही महत्वपूर्ण थी। इसे बचानें का एकमात्र तरीका तो स्वयं न्यायालय को ही इसे अपने पास रखनें का था। किन्तु उसे यह पक्षकारों को देनी ही होगी। इसलिये जो दिया जा रहा है उसे सार्वजनिक रूप से दिया जाये ताकि छुपा कुछ भी नहीं रहे। बाद में बदलने को भी कुछ नहीं रहे।

 

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