जनता को मिलें अधिकार राज्यसभा सांसद चुनने का - अरविन्द सिसौदिया

जनता को मिलें अधिकार राज्यसभा सांसद चुनने का - अरविन्द सिसौदिया

संविधान संसोधन होना चाहिये कि - राज्यसभा के लिए राज्य का निवासी ही राज्य की जनता द्वारा चुना जाना चाहिये - अरविन्द सिसौदिया

यदि राजस्थान में राज्यसभा चुनाव सीधे जनता करे तो वर्तमान में राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी को एक भी सीट जनता नहीं देना चाहेगी। किन्तु चुनाव 2018 में निर्वाचित विधायकों के द्वारा होना है इसलिये, जनता की आकांक्षाओं एवं इच्छा के विपरीत परिणाम आयेगें। इसी तरह राजस्थान के लोग कांग्रेस के बाहरी प्रत्याशियों का कतई चयन नहीं करना चाहते हैं। मगर निर्वाचन की विधि में छूट के कारण वे रोक नहीं सकते हैं। यदि चुनाव का अधिकार जनता को होता तो यह नहीं होता कि कोई बाहरी चुनाव लडनें की भी हिम्मत कर पाता।
अर्थात राज्यसभा सांसद का निर्वाचन राज्य के स्थाई निवासी का राज्य की जनता से होना चाहिये।

संसद में अपर सदन राज्य सभा में 15 राज्यों की 57 राज्यसभा सीटों पर 10 जून को वोटिंग है। एक सहज जिज्ञासा होती है कि राज्य सभा क्या है, क्यों है और उसकी निर्वाचन विधि क्या है तथा वर्तमान जनमत इसमें क्या सुधार अथवा संसोधन चाहता है।

1- भारत में वर्तमान में राज्यसभा के सदस्य राज्यों एवं संघ राज्य क्षैत्र की विधानसभायें चुनती है। जबकि इनका चुनाव राज्यों की जनता के मतदान से होना चाहिये। ताकि वह जनता की सच्ची और वर्तमान अभिव्यक्ति हो सके। विधानमंडलों का निर्वाचन कई वर्षपूर्व हो चुका होता है। इसलिये उनकी अभिव्यक्ति वर्तमान नहीं हो सकती, न ही जनमत की हो सकती। इस तरह से यह वास्तविक जनमत से छल है। राज्य सभा सांसद चुनने का अध्किर राज्य की जनता को होना चाहिये।

2- वर्तमान में राज्यसभा सांसद किसी भी दूसरे प्रदेश का नागरिक होकर भी चुनाव लड सकता है। यह उस प्रदेश के अधिकारों का हनन है। वर्तमान में राजस्थान से कांग्रेस के टिकिट पर राज्यसभा चुनाव लड रहे तीनों प्रत्याशी गैर राजस्थानी नागरिक हैं। अर्थात यह राजस्थान की जनता के अधिकारों का हनन है। अर्थात यह कानून बनना चाहिये कि किसी भी प्रदेश से राज्य सभा एवं राज्य विधानमण्डल का चुनाव लडने वाला नागरिक उसी प्रदेश का कम से कम 10 वर्ष का निवासी होना चाहिये।
संविधान संसोधन होना चाहिये कि - राज्यसभा के लिए राज्य का स्थाई निवासी ही राज्य की जनता द्वारा चुना जाना चाहिये - अरविन्द सिसौदिया

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लुप्त हो गई राज्य सभा की मूल अवधारणा

 मूलरूप से राज्य सभा राज्य के लोगों के जनप्रतिनिधि का सदन है। मगर भारत के संविधान में जो निर्वाचन पद्यति अपनाई गई उसमें यह सदन राज्य के विधानमंण्डलों से भेजे गये प्रतिनिधियों की सभा बन गया । अब यह सदन राज्य के प्रतिनिधियों के सदन की भावना भी खो चुका है। क्यों कि राज्य से बाहर के नागरिक भी चुन कर जानें लगे हैं। 2022 के राज्यसभा चुनावों में कांग्रेस ने राजस्थान से तीनों सीटों के लिये बाहरी नेताओं को प्रत्याशी बनाया है जो कि मूल भावना के विपरीत है।

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राज्य सभा मूल रूप से राज्यों प्रतिनिधियों का सदन होता है 

     भारत में असकी स्थापना ब्रिटिश सरकार के समय संभवतः 1921 में हुई थी । तब राज्य सभा का प्रादुर्भाव मोन्टेग्यू-चेम्सफोर्ड प्रतिवेदन से हुआ। भारत सरकार अधिनियम, 1919 में तत्कालीन विधानमंडल के द्वितीय सदन के तौर पर "काउंसिल ऑफ स्टेट्स" का सृजन करने का उप सीमित था और जो वस्तुतः 1921 में अस्तित्व में आया। तब यह सदन उस समय के स्टेट्स के प्रतिनिधियों का हुआ करता था। गवर्नर-जनरल तत्कालीन काउंसिल ऑफ स्टेट्स का पदेन अध्यक्ष होता था । स्वतंत्र भारत में भी यही अवधारणा इस सदन के गठन की रही है । किन्तु यह बाद में धीरे धीरे पूंजीपतियों का तथा पराजित बडे नेताओं का सदन बनता चला गया।
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भारत में वास्तविक लोकमत का चयन नहीं हो पा रहा ---

  अमेरिका में संसद को अमेरिकी कांग्रेस कहते हैं और राज्य सभा को सीनेट कहा जाता है। वहीं लोकसभा को हाउस ऑफ रिप्रेजेन्टेटिव्स कहा जाता है। मोटे तौर पर भारत की राज्य सभा एवं लोकसभा का स्वरूप अमेरिकी कांग्रेस से मिलता भी है और कुछ मामलों में भिन्न भी है।

अमेरिका की राज्य सभा सीनेट में दो - दो सदस्य प्रत्येक राज्य से आते हैं और इनका निर्वाचन वहां की जनता करती है। सबसे बडी बात यह है कि राज्य सभा का प्रतिनिधि उसी राज्य का निवासी होना अनिवार्य है। जबकि भारत में राज्य सभा की सीटें जनसंख्या के आधार पर राज्यवार आबंटित हैं और उनका निर्वाचन राज्य के निर्वाचित सदन से होता है। अर्थात विधानसभायें करतीं हैं। संघराज्य क्षैत्र जहां विधानसभा नहीं है वहां का निर्वाचन एक निर्वाचक मण्डल होता है। अर्थात भारत में राज्य सभा के जनप्रतिनिधि दलगत चयन पर आधारित हैं। जबकि जनता का वास्तविक मत बदलता रहता है। उदाहरण के तौर पर राजस्थान में राज्यसभा चुनाव 2022 हो रहे हैं, उनका निर्वाचक मण्डल 2018 में हुये चुनाव से चुना गया है। तब जनता का जो मत था वो अब नहीं हो सकता , वह बदलता है। किन्तु वर्तमान जनमत के विपरीत राज्य सभा चुनाव होगा। जबकि अमेरिका में वर्तमान जनता अपना प्रतिनिधि चुन कर भेजती है। जिससे वास्तविक लोकमत का चयन होता है।

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Upper And Lower House Of Parliament: भारत की संसद मुख्य रूप से तीन भागों से मिलकर बनी है इनमें पहला है राष्ट्रपति, दूसरा है लोकसभा तथा तीसरा है राज्यसभा । लोकसभा को निम्न सदन कहा जाता है और राज्यसभा को उच्च सदन कहा जाता है।

राज्यसभा
जैसा कि इसके नाम से पता चलता है, राज्यसभा राज्यों की परिषद है। यह अप्रत्यक्ष रीति से लोगों का प्रतिनिधित्व करती है। राज्यसभा के सदस्य का चुनाव राज्य विधान सभाओं के चुने हुए विधायक करते हैं। प्रत्येक राज्य के प्रतिनिधियों की संख्या ज्यादातर उसकी जनसंख्या पर निर्भर करती है। इस प्रकार,छत्तीसगढ़ के राज्यसभा में 5 सदस्य हैं, उत्तर प्रदेश के राज्यसभा में 31 सदस्य हैं। मणिपुर, मिजोरम, सिक्किम, त्रिपुरा आदि छोटे राज्यों के केवल एक एक सदस्य हैं। राज्यसभा में 250 तक सदस्य हो सकते हैं। इनमें राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत 12 सदस्य तथा 238 राज्यों और संघ-राज्य क्षेत्रों द्वारा चुने सदस्य होते हैं। इस समय राज्यसभा के 245 सदस्य हैं। इनमें से 233 सदस्य निर्वाचित और 12 राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत है । राज्यसभा के प्रत्येक सदस्य की कार्यावधि छह वर्ष है। उपराष्ट्रपति, संसद के दोनों सदनों के सदस्यों द्वारा निर्वाचित किया जाता है। वह राज्यसभा का पदेन सभापति होता है। उपसभापति पद के लिए राज्यसभा के सदस्यों द्वारा अपने में से किसी सदस्य को चुना जाता है।

व्याख्या: राज्य सभा या राज्यों का परिषद् भारत के संसद का ऊपरी सदन है। इसकी निरंतर बैठकें होती हैं और संसद के निचले सदन लोकसभा के विपरीत भंग नहीं होती है। भारत का उप-राष्ट्रपति राज्य सभा का पदेन सभापति होता है।

राज्यसभा में ऐसे होती है वोटिंग

राज्यसभा चुनाव में विधायक हर सीट के लिए अलग-अलग वोट नहीं डाल सकते हैं। वोटिंग के समय हर विधायक को एक सूची दी जाती है, जिसमें उसे राज्यसभा प्रत्याशियों के लिए अपनी पहली पसंद, दूसरी पसंद, तीसरी पसंद आदि लिखनी होती है। इसके बाद एक फॉर्मूले की मदद से तय किया जाता है कि कौन सा प्रत्याशी जीता। किसी प्रत्याशी को राज्यसभा सीट जीतने के लिए कितने विधायकों का वोट चाहिए, इसके लिए राज्य की कुल विधानसभा सीटों में जितनी सीटों पर राज्यसभा चुनाव होना है उससे एक अधिक से भाग देते हैं और जो हल आता है उसमें एक जोड़ देते हैं।


 

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