पीके: कुछ दिन की फडफडाहट - अरविन्द सिसौदिया pk

 पीके: कुछ दिन की फडफडाहट - अरविन्द सिसौदिया


 

 

 पीके ( प्रशांत किशोर )का वास्ता पहली बार जमीनी राजनीति से पडनें जा रहा है। अन्यथा वे अभी तक किसी न किसी दल की जमीं जमाई जाजम पर ही बैठते रहे है। उन्होने राजनीति में नये नये ईवेन्ट लानें का प्रयोग नरेन्द्र मोदी जी से ही सीखा था । क्यों कि रामजन्म भूमि मुक्ति हेतु राम रथ यात्रा और कन्याकुमारी से कश्मीर में तिरंगा झण्डा फहरानें तक की एकता यात्रा का नवाचार राजनीति में नरेन्द्र मोदी के प्रबंधन में ही हुआ था। चाय पर चर्चा का प्रयोग भी मोदी जी ने ही किया था। इन्ही की नकल कर प्रशांत किशोर ने खूब धन्धेबाजी की है। वे जानते है कि,तीन पाटों के बीच फंसी कांग्रेस का कोई भविष्य नहीं है । वे फिलहाल बिहार में ही हैं और वहीं अरविन्द केजरीवाल की तरह नई पार्टी बनायेंगे। केजरीवाल की आप तो कांग्रेस के बेकअप से सत्ता में आई है। किन्तु बिहार में कांग्रेस पीके को बेकअप देनें की स्थिती में नहीं है। कुल मिला कर कुछ दिन की फडफडाहट के बाद पीके अन्ततः जनता के द्वारा घर बिठा दिये जायेगें। 

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