नितिश जातिवादी जनगणना के माध्यम से समाज में "मण्डल वाली आग" लगाना चाहते हैं - अरविन्द सिसौदिया

 

 nitish jaativaadee janaganana ke maadhyam se samaaj mein "mandal vaalee aag" lagaana chaahate hain - aravind sisaudia

नितिश जातिवादी जनगणना के माध्यम से समाज में "मण्डल वाली आग" लगाना चाहते हैं - अरविन्द सिसौदिया

Nitish wants to set a "mandal fire" in the society through caste census - Arvind Sisodia

नितिश जातिवादी जनगणना के माध्यम से समाज में "मण्डल वाली आग" लगाना चाहते हैं - अरविन्द सिसौदिया


नितिश जातिवादी जनगणना के माध्यम से समाज में "
मण्डल वाली आग" लगाना चाहते हैं - अरविन्द सिसौदिया

भारत की सत्ता में भाजपा के सहारे कांग्रेस के बागी विश्वनाथ प्रताप सिंह प्रधानमंत्री बन गये और उन्होनें भाजपा को समाप्त कर अपना जनाधार बडानें और विशाल करनें के लिये मण्डल आयोग का गठन किया था। ताकी ओबीसी जातियां उनकी पक्षधर हो जायें और वे अजेय हों जायें। मण्डल आयोग का विरोध भी उतना ही प्रबलता से हुआ था । पूरा देश इस आग में जलनें लगा था और तब भाजपा श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति के आन्दोलन पर निकली और तोडे गये समाज को पुनः एक किया । यह वाक्या मण्डल - कमण्डल घटनाक्रम के नाम से इतिहास का हिस्सा है।

 
इससे पहले भी जब आपातकाल के बाद जनता पार्टी बनीं और भारतीय जनसंघ ने भी इस में विलय किया तब भी जनसंघ की विचारधारा को और उससे जुडे नेताओं की राजनैतिक हत्या का प्रबंध हुआ था और भारतीय जनसंघ घटक के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को जनता पार्टी से बाहर आना पडा था तथा भारतीय जनता पार्टी बनानी पडी थी। यह एक मानसिकता है राजनैतिक बीमारी है भाजपा को समाप्त करनें की जो समाजवादियों में कुछ ज्यादा ही पाई जाती है। बिहार के मुख्यमंत्री नितिश कुमार इसी मानसिकता से काम कर रहे हैं, वे हिन्दू वोट बैंक को बिखेर कर , उसमें बिखराव पैदा करके समाज में आग लगाना चाहते हैं। ताकि भाजपा से अलग होकर भी उनके पास एक वोट बैंक हो , मगर पूर्व के अनुभव बताते है। कि जो खाई खोदनें निकलता है वो ही उसमें गिरता है। जनता पार्टी का और जनता दल का पतन सभी के ध्यान में है।

नितिश के मन में जो जातीवादी जनगणना का मण्डल कुलबुला रहा है वो समाज में टकराव उत्पन्न कर अपना उल्लू सीधा करने का षडयंत्र मात्र है। इससे गिरी हुई और काई राजनीति हो ही नहीं सकती । जब पूरा देश जातीवाद से बाहर निकलना चाहता हो तब जातीवाद के आाधार पर जनगणना की बात करना महज समाज में विघटन उत्पन्न करने की साजिश मात्र ही मानी जा सकती है।

भाजपा की ताकत महाराष्ट्र, बिहार,बंगाल और तेलंगाना  में बहुत तेजी से बडी है और आगे भी बडेगी। इसलिये वहां के दलों में घबराहट बडना स्वाभाविक है। नितिश घबराये हुये हैं कि जनता भाजपा के साथ जा रही है। उसे कैसे रोका जाये। उसका एक मात्र तरीका है हिन्दू वोट बैंक में टुकडन पैदा की जाये विभाजन पैदा किया जाये और वे इसी राह पर है।
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भाजपा की ताकत महाराष्ट्र, बिहार,बंगाल और तेलंगाना में बहुत तेजी से बडी है और आगे भी बडेगी। इसलिये वहां के दलों में घबराहट बडना स्वाभाविक है। नितिश घबराये हुये हैं कि जनता भाजपा के साथ जा रही है। उसे कैसे रोका जाये। उसका एक मात्र तरीका है हिन्दू वोट बैंक में टुकडन पैदा की जाये विभाजन पैदा किया जाये और वे इसी राह पर है।

 JD(U) की सीटों की गिनती जो साल 2015 में 71 थी, साल 2020 में 43 रह गई. दूसरी तरफ बीजेपी की सीटों की गिनती 53 से बढ़कर 74 हो गई. JD(U) वो पार्टी थी जो करीब दो दशकों तक अलायंस में सीनियर पार्टनर के तौर पर थी, लेकिन फिर उसे जूनियर बना दिया गया. चिराग की पार्टी, एलजेपी ने JD(U) की संभावनाओं को 28 सीटों पर नुकसान पहुंचाया.

हालांकि नीतीश की रुचि है कि वो बिहार के मुख्यमंत्री बने रहें, किसी भी कीमत पर. जहां बीजेपी के पास उनकी पार्टी से 30 ज्यादा विधायक हैं, ऐसा नहीं लगता कि साल 2025 में होने वाले चुनावों
में बीजेपी उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने के लिए तैयार होगी. यही बात नीतीश कुमार को परेशान कर रही है.

 

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