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क्या,आतंकवादी घटनाओं को प्रोत्साहन मिलेगा,सब बरी निर्णय से - अरविन्द सिसोदिया HC-jaipur-bomb-blast

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  क्या,आतंकवादी घटनाओं को प्रोत्साहन मिलेगा,सब बरी निर्णय से - अरविन्द सिसोदिया सही कौन है गलत कौन है, किससे चूक हुई यह अलग विषय है। आज की तारीख में 80 मुत्यु सुदा एवं 200 के लगभग घायलों का प्रश्न कि अपराधियों को सजा क्यों नहीं ? राजस्थान के गृहमंत्री के नाते मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को इस पूरे घटनाक्रम पर सही सही प्रतिक्रिया देनी चाहिये थी। उनसे प्रदेश पूछ रहा है, ऐसा कैसे हो गया ? सबसे बडी बात यह है कि इस निर्णय के बाद आतंकवादी घटना अंजाम देकर बचा जा सकता है। यह संदेश आतंकवादियों में चला गया है। राजस्थान हाईकोर्ट के द्वारा जयपुर बम ब्लास्ट काण्ड के सभी आरोपियों को बरी किये जानें के बाद अनेकानेक प्रकार की प्रतिक्रियायें समाज में व्याप्त हैं,जितने मुंह उतनी बातें जन चर्चाओं में है। भ्रष्टाचार से लकर राजनैतिक लाभ लेने तक की बातें हैं। मगर सबूत कहीं कोई नहीं है। यह बातें राजस्थान की कांग्रेस राज्य सरकार के विरूद्ध भी हैं, पुलिस आदि जांच एजेंसियों के विरूद्ध भी हैं और न्यायपालिका के विरूद्ध भी है। क्यों कि जयपुर में हुये इस जघन्य खून खराबे में 80 के लगभग निर्दोष नागरिकों की जान चली

Be brave be strong - Lord Shriram

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Be brave be strong - Lord Shriram  - Arvind Sisodia 9414180151         About 17.5 lakh years ago, there was the time of Shriram in Tretayuga, this is also true from the scientific point of view, because the age of Ramsetu also comes almost the same. The age of Treta Yuga was 17 lakh 28 thousand years in which Shri Ram was once born. After Tretayuga, Dwapar Yuga passed completely, it has been of 8 lakh 64 thousand years, at the end of which the period of Lord Krishna came. At present Kalyug is going on, Kalyug is believed to have started from 3102 BC, so in a way the 5125th year of Kalyug (in 2023) is going on. The present age of our earth is also about 2 billion years according to Hindu calendar and scientific calculations. which has passed. All this in the world only Hindutva has been saying, telling and explaining since thousands of years ago. The basic struggle of the universe is with samay (time), it is with Kaal, it is with time, that is, how to pass the time, how to pass the tim

भये प्रगट कृपाला

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सब में राम - सब के राम https://arvindsisodiakota.blogspot.com/2023/03/sab-men-ram.html सब में राम - सब के राम राम  सदा राष्ट्र समाज परिवार में सामान्जस्य रखनें तथा उर्जा भरने के लिए प्रतिबद्ध हैं। किसी भी दुर्धर्ष शत्रु का मुकाबला वे मजबूरी में नहीं अपितु मजबूती से अपना कर्तव्य समझकर करते हैं। राम सचमुच अनुदात्ताओं के विरुद्ध उदात्ताओं के संघर्ष द्वारा “सत्यमेव जयते“ की आर्य घोषणा को साकार करने वाले अग्रदूत हैं। उनका अनुशरण निश्चित ही स्वयं व समस्त जगती के लिये कल्याणकारी है। भगवान श्रीराम की स्तुती भये प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी . हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी .. लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुज चारी . भूषन वनमाला नयन बिसाला सोभासिन्धु खरारी .. कह दुइ कर जोरी अस्तुति तोरी केहि बिधि करौं अनंता . माया गुन ग्यानातीत अमाना वेद पुरान भनंता .. करुना सुख सागर सब गुन आगर जेहि गावहिं श्रुति संता . सो मम हित लागी जन अनुरागी भयौ प्रकट श्रीकंता .. ब्रह्मांड निकाया निर्मित माया रोम रोम प्रति बेद कहै . मम उर सो बासी यह उपहासी सुनत धीर मति थिर न रहै ..

सब में राम - सब के राम

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" सब में राम सब के राम" - डॉ गीताराम शर्मा सह आचार्य-संस्कृत ‌(राजकीय कन्या महाविद्यालय धौलपुर) ‌ ‌राम लोकाभिराम हैं । अर्थात जो सम्पूर्ण लोक में अभिरमण शील हैं,व्याप्त हैं या सम्पूर्ण  चराचर  लोक जिनमें व्याप्त है ,वे हैं राम ।राम अभिव्यापक  आधार हैं| ।लोक शब्द व्यापक अर्थ में समस्त जड़ चेतनमय अस्तित्व  का द्योतक है। लोक का अभिप्राय केवल चर्मचक्षुओं  से दृश्य मान जगत  मात्र ही नहीं है अपितु दिव्य और आर्ष चक्षुओं से विभाव्यमान ,अणोरणीयान् महतोमहीयान्  ज्ञात अज्ञात समस्त  आधिभौतिक, आधिदैविक तथा आध्यात्मिक रुपों में पाया जाने वाला ,ब्रह्म से लेकर तृण पर्यन्त वेदान्तादि दर्शन में पारमार्थिक, व्यावहारिक और प्रातिभासिक रुपों में स्वीकृत शुद्ध चैतन्य और उसका विवर्तभूत समस्त जगत लोक है।ऐसे लोक के सार्वकालिक और सार्वभौमिक अधिष्ठान राम हैं,या सरल भाषा में कहें तो यह कि "सब में राम हैं,सब के राम हैं। गोस्वामी तुलसीदास राम के इसी लोकाभिराम स्वरुप की वन्दना करते हुए कहते हैं कि- ‌"जड़ चेतन जग जीव सब,सकल राममय जानि। ‌वन्दहुं सब के पद कमल सदा जोरि जुग पानि।।" ‌ ‌

कांग्रेस देश, संविधान और लोकतंत्र का अपमान बंद करें - अरविन्द सिसोदिया congress apmaan bnd kre

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कांग्रेस देश का अपमान करना बंद करें - अरविन्द सिसोदिया  कांग्रेस इन दिनों राहुल गांधी की संसद सदस्यता चले जाने से आंदोलनरत है और उसे इस तरह पेश कर रही है जैसे उनके साथ कोई बहुत बड़ा अत्याचार - अनचार हुआ हो।  जबकि इस तरह के निर्णय अदालतों के द्वारा पहले भी हुए हैं और पहले भी सदनों से सदस्यता गई हैं। किंतु उस समय यही कांग्रेस को एंजॉय करती थी। जब लालू प्रसाद यादव की सदस्यता जाने की स्थिति बन रही थी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह उसे रोकनेँ के लिए एक अध्यादेश लाए थे। तब उस अध्यादेश को फाड़कर फेंकने वाले भी राहुल गांधी ही थे और राहुल गांधी द्वारा अध्यादेश फाड़े जाने पर चुप रहने वाली पार्टी का नाम भी कांग्रेस था। इस तरह का दोहरा चरित्र स्वार्थी चरित्र अपने मतलब का चरित्र जनता देख रही है, समझ भी रही है और उसी के हिसाब से आगे निर्णय भी करने वाली है। राहुल गाँधी नें लालूप्रसाद यादव की सदस्यता समाप्ति को एन्जॉय किया और अब खुद पर बीती तो तूफान खड़ा कर रहे हैं।  1- 2013 में लालू प्रसाद यादव की संसद सदस्यता चली गई  2- 2014 में मुख्यमंत्री रहते हुए जयललिता की सदस्यता चली गई 3-  2023 में पीप

कांग्रेस का विलाप, सहानुभूति बटोरने का प्रयास - अरविन्द सिसौदिया Congress tries to garner sympathy

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  कांग्रेस का विलाप गलत , राहुल के निर्णय को ही अदालत नें पूरा किया कांग्रेस का विलाप, सहानुभूति बटोरने का प्रयास - अरविन्द सिसौदिया Congress laments, tries to garner sympathy - Arvind Sisodia  कांग्रेस अनाप सनाप बातें कर रही है, विपक्ष के कई अन्य नेता गण भी राहुल की सजा और सदस्यता समाप्त को लेकर निंदा कर रहे हैँ। अब एक बार फिर कथितरूप से लोकतंत्र और संविधान खतरे में आ गया है। जबकि सूरत की अदालत के निर्णय पर कांग्रेस का विलाप पूरी तरह अनुचित है और सत्तापक्ष पर मिथ्यारोपण का तो उन्हें कोई अधिकार ही नहीं है । कांग्रेस का यह छलपूर्ण आचरण भी अपराध है। अदालत का निर्णय तो क़ानून में लिखें शब्दों के अनुरूप ही आया है, यह सब तो स्वयं राहुल गाँधी के निर्णय के कारण ही हुआ, उनके ही सिद्धांत के कारण हुआ। जब 10 साल पहले , लालू प्रसाद यादव की इसी तरह सदस्यता जाने वाली स्थिति से बचानें के लिये उनकी ही पार्टी के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सरकार द्वारा लाये गये आध्यादेश अर्थात कानूनी बचाव के उपाय को , उन्होंने " नानसेन्स " कह कर फाड़ दिया था । प्रेस के सामने सार्वजनिक रूप से फाड़ा था। अब वे उसमें

अद्भुत है ईश्वर का पक्षी विज्ञान pakshiyon ka vigyan

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 विज्ञान सिर्फ मनुष्य की थाती हैं?? बाज को यह ज्ञान किसने दिया जिसे सीखने में पायलटों को वर्षों लग जाते हैं.... ईश्वर विज्ञान और ज्ञान को उत्पन्न कर्ता है, उसकी विविध कौशलता को सबसे आश्चर्य चकित करने वाली स्थिति पक्षी हैं, तितलियां हैं। फूल हैं। एक उदाहरण आपको ईश्वर की परम सत्ता को मानने के लिये विवश कर देगा... एक बाज़ को उपकरणों से सुसज्जित कर दक्षिण अफ्रीका से उड़ाया गया। फिनलैंड तक उन  उपकरणों से मिली यह तस्वीर सैटेलाइट से उसकी यात्रा मार्ग को दिखाती है। उस छोटे पक्षी ने यह 10,000 किलोमीटर की दूरी 42 दिनों में तय की। वायुमार्ग से उसने औसतन 230 किमी प्रतिदिन उड़ान भरी है। । दर्शाये मार्ग के समानांतर उसने उड़ान भरी। यदि हम उपग्रह पर उसके मार्ग को करीब से देखें, तो हम देखेंगे कि जब वह पानी या समुद्र के एक बड़े हिस्से के सामने आता है, तो वह वहाँ से रास्ता बदल लेता है जैसे कि वह आराम करना चाहता है और जमीन खोजना चाहता है। फिर मिस्र-सूडान के रेगिस्तान को भी छोड़ते हुए उसने उड़ान भरी ताकि पानी के अभाव में प्यासा न रहे। ये अतिजटिल और कठिन मैपिंग,रूटिंग, एल्टीट्यूड नॉल

अपराधियों से मुक्त विधायिका ही लोकसंरक्षक हो सकती है - अरविन्द सिसोदिया Rahul Disqualified and Act challenged

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अपराधियों से मुक्त विधायिका ही लोकसंरक्षक हो सकती है - अरविन्द सिसोदिया Only a legislature free from criminals can be a protector of the people - Arvind Sisodia हाल ही में आपराधिक मानहानि के प्रकरण में, कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं सांसद राहुल गांधी को 2 साल की सजा अदालत नें सुनाई है तथा इसी क्रम में उनकी लोकसभा की संसद सदस्यता स्वतः समाप्त हो गईं है। उनके खिलाफ अभी भी कई मानहानि केस न्यायालयों में चल रहे हैं। जिनमें सजा होनें की भी संभावना है। भारत के राजनीतिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार, आय से अधिक संपत्ति, शब्दों एवं मिथ्या आरोपों के द्वारा अपराधिक मानहानि सहित विभिन्न प्रकार के हिंसात्मक व आपराधिक मामले दर्ज होते रहते हैं। इसका मूल कारण यह है कि वोट बैंक के ठेकेदार, जातीवादी नेता गण, राजनीतिक वर्चस्व, राजनैतिक मान सम्मान, और राजनीति से मिलने वाली ताकत के कारण इस तरह के अनेक व्यक्ति कानून व्यवस्था पर अपना बर्चस्व स्थापित कर लेते है। कानून व्यवस्था एवं अदालतों की प्रक्रिया को इस तरह के लोग कार्यपालिका एवं प्रशासन में अपनी पहुंच सहित भय एवं डर का बातावरण निर्माण कर आपराधिक एवं भ

क्या राहुल गाँधी संसद के योग्य हैं ....? - अरविन्द सिसोदिया

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क्या राहुल गाँधी संसद के योग्य हैं - अरविन्द सिसोदिया Rahul gandhi  rahul gandhi ki sansad sadasyata samapt  कांग्रेस के युवराज और पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं भावी प्रधानमंत्री पद के दावेदार राहुल गाँधी को पूरे मोदी समाज के अपमान करने एवं उस अपमान को लेकर माफ़ी नहीं मांगने की हठधर्मिता के चलते 2 साल की सजा हो गईं और सजा से साथ ही कानूनी निर्णय के चलते लोकसभा की सदस्यता भी समाप्त हो गईं। इससे पहले भी राहुल गाँधी न्यायालय के समक्ष माफ़ी मांग चुके हैं। सारा घटनाक्रम कानूनी प्रक्रिया से हुआ और मेरी निजी राय में यह सब अहंकारयुक्त मानसिकता के कारण हुआ। संसद जनता के उन जनप्रतिनिधियों का सदन होता है जो जिम्मेवारी से देश की सुरक्षा , देश के विकास और समाज को सुव्यवस्थित रखनें की चिंता करते हैं। देशहित और जनहित के लिये क़ानून बनाते हैं, संसोधित करते हैं, व्यवस्था निर्माण करवाते हैं।  यह सही है कि भारत के संविधान में एक संसद सदस्य होने के लिये जिस तरह के आचरण होना चाहिए, उस पर न के बराबर ही लिखा गया है। लेकिन कुछ आचरण व नैतिकतायें इस तरह की होती हैं कि वे स्वतः ही परंपरागत लागू होती है।

जबरदस्त परिपक्व मशीन है हमारा शरीर

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*🛑 अनोखा है, इंसानी जिस्म 🛑*       जानिए जिस्म के बारे में *जबरदस्त फेफड़े* हमारे फेफड़े हर दिन 20 लाख लीटर हवा को फिल्टर करते हैं. हमें इस बात की भनक भी नहीं लगती. फेफड़ों को अगर खींचा जाए तो यह टेनिस कोर्ट के एक हिस्से को ढंक देंगे. *ऐसी और कोई फैक्ट्री नहीं* हमारा शरीर हर सेकंड 2.5 करोड़ नई कोशिकाएं बनाता है. साथ ही, हर दिन 200 अरब से ज्यादा रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है. हर वक्त शरीर में 2500 अरब रक्त कोशिकाएं मौजूद होती हैं. एक बूंद खून में 25 करोड़ कोशिकाएं होती हैं. *लाखों किलोमीटर की यात्रा* इंसान का खून हर दिन शरीर में 1,92,000 किलोमीटर का सफर करता है. हमारे शरीर में औसतन 5.6 लीटर खून होता है जो हर 20 सेकेंड में एक बार पूरे शरीर में चक्कर काट लेता है. *धड़कन, धड़कन* एक स्वस्थ इंसान का हृदय हर दिन 1,00,000 बार धड़कता है. साल भर में यह 3 करोड़ से ज्यादा बार धड़क चुका होता है. दिल का पम्पिंग प्रेशर इतना तेज होता है कि वह खून को 30 फुट ऊपर उछाल सकता है. *सारे कैमरे और दूरबीनें फेल* इंसान की आंख एक करोड़ रंगों में बारीक से बारीक अंतर पहचान सकती है. फिलह

गणगौर gangour

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--- गोर गोर गोमती ईश्वर पूजे पार्वती पार्वती का आला लीला गोर को सोना का टीला टीला दे टपका रानी व्रत करे गोरा दे रानी करते-करते आस आयो मास आयो खेडे खाण्डे लाडू आए लाडू ने बीरा ने दियो बीरो लेम्हेन साड़ी साड़ी में सिंगोड़ा बाड़ी में बिजोरा राण्या पूजे राज मेंन्हका सवाग में स्वाग भाग कीड़ी ये, कीड़ी थारी जात है जात पड़े गुजरात है गुजरात्यारो पाणी आयो दे दे खूटया ताणी आयो आँखा फूल कमल की डोरी ------ खेलन देओ गणगौर, पूजन देओ गणगौर, भँवर म्हाने पूजन खेलन देओ गणगौर। राजस्थान में आजकल हर गली-मोहल्ले चौबारे में यह गीत सुनने को मिल जाएगा। यह है रंग-रंगीले राजस्थान की लोक संस्कृति की एक बानगी। जब मेले-त्योहार की बात चले और राजस्थान का नाम जुबाँ पर नहीं आए, यह तो हो नहीं सकता। आखिर राजस्थान का दूसरा नाम है ही लोक संगीत, त्योहार और मेले। चैत्र मास में रंगों का त्योहार होली दहन के दूसरे दिन से ही सजी-धजी चहकती नवयौवनाएँ सोलह श्रृंगार किए नवविवाहिताएँ उमंग उल्लास से एक-दूसरी सहेली से हँसी- मजाक ठिठोली करते हुए 'बाड़ी ताला बाड़ी की किवाड़ी खोल, छोरियाँ आई दूब ने, थे कुणजी री बेटी हो, थे कुणजी री