आंखे जिस पल को तरसी थीं,वह दृश्य दिखाया योगी ने
hindu yogi
मुझे यह कविता बहुत पसन्द आई आपको कैसी लगी खुद बताए
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*आंखे जिस पल को तरसी थीं,*
*वह दृश्य दिखाया योगी ने।*
*उस सदन बीच खुलकर हिन्दू*
*उत्कर्ष दिखाया योगी ने।।*
*निज धर्म, कर्म पर गौरव है,*
*ये सिखा दिया है योगी ने।*
*जो मोदी नहीं दिखा पाये,*
*वो दिखा दिया है योगी ने।।*
*बेशर्म जनेऊ धारी थे,*
*जो इफ़्तारो में जाते थे।*
*हाथों से तिलक मिटा करके जो,*
*टोपी गोल लगाते थे।।*
*वोटों की भूख जिन्हें मस्ज़िद*
*दरगाहों तक ले जाती थी।*
*खुद को हिन्दू कहने में जिनकी*
*रूह तलक शर्माती थी।।*
*उन ढोंगी धर्म कपूतों की*
*छाती पर चढ़कर बोल दिया।*
*क्यों ईद मनाऊं? हिन्दू हूं,*
*ऐलान अकड़कर बोल दिया।।*
*जड़ दिया तमाचा, और लिखी*
*इक नयी कहानी योगी ने।*
*लो डूब मरो, बंटवा डाला,*
*चुल्लू भर पानी योगी ने।।*
*संकेत दिखा है साफ़ साफ़*
*अब इस महन्त की बातों में।*
*अब होना दर्द ज़रूरी है,*
*आज़म खानों की आंतो में।।*
*पूरे प्रदेश में शान्ति अमन,*
*गर होना बहुत जरुरी है।*
*तो फिर गुण्डों में योगी का,*
*डर होना बहुत ज़रूरी है।।*
*चौबिस कैरट का बांका बीर*
*दिलेर मिला है यू पी को।*
*लगता है जैसे पहला बब्बर*
*शेर मिला है यू पी को।।*
*हिन्दू गौरव पर ग्रहण लगा जो,*
*जल्दी हटने वाला है।*
*जेहादी कुनबा सदमे में अब*
*शीश पटकने वाला है।।*
*वह राजनीति के नवयुग में*
*बजरंगी का अवतारी है।*
*थोड़ा सा बाल ठाकरे है,*
*थोड़ा सा अटल बिहारी है ।।*
*दीवाली फिर से चमकी है,*
*होली फिर से मुस्काई है।*
*शिवरात्रि लगी महकी महकी,*
*हर उत्सव में तरुणाई है ।।*
*हर हिन्दू को यह ध्यान रहे,*
*यह स्वाभिमान की बेला है ।*
*हर हिन्दू मिलकर साथ खड़ा,*
*योगी अब नहीं अकेला है ।।*
*आरम्भ हुआ है लो प्रचण्ड,*
*हम दिव्य चमकते बिन्दु हैं।*
*खुलकर के आज सभी बोलो,*
*हम हिन्दू हैं, हम हिन्दू हैं ।।*
*🚩ॐ जय श्री राम जी की ,🙏🙏🚩*
*जिसने भी यह कविता लिखी है बहुत ही सटीक लिखी है ।*
गर्व से कहो , हम हिन्दू है
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