भये प्रगट कृपाला


सब में राम - सब के राम
https://arvindsisodiakota.blogspot.com/2023/03/sab-men-ram.html
सब में राम - सब के राम
राम  सदा राष्ट्र समाज परिवार में सामान्जस्य रखनें तथा उर्जा भरने के लिए प्रतिबद्ध हैं। किसी भी दुर्धर्ष शत्रु का मुकाबला वे मजबूरी में नहीं अपितु मजबूती से अपना कर्तव्य समझकर करते हैं। राम सचमुच अनुदात्ताओं के विरुद्ध उदात्ताओं के संघर्ष द्वारा “सत्यमेव जयते“ की आर्य घोषणा को साकार करने वाले अग्रदूत हैं। उनका अनुशरण निश्चित ही स्वयं व समस्त जगती के लिये कल्याणकारी है।
भगवान श्रीराम की स्तुती
भये प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी .
हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी ..

लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुज चारी .
भूषन वनमाला नयन बिसाला सोभासिन्धु खरारी ..

कह दुइ कर जोरी अस्तुति तोरी केहि बिधि करौं अनंता .
माया गुन ग्यानातीत अमाना वेद पुरान भनंता ..

करुना सुख सागर सब गुन आगर जेहि गावहिं श्रुति संता .
सो मम हित लागी जन अनुरागी भयौ प्रकट श्रीकंता ..

ब्रह्मांड निकाया निर्मित माया रोम रोम प्रति बेद कहै .
मम उर सो बासी यह उपहासी सुनत धीर मति थिर न रहै ..

उपजा जब ग्याना प्रभु मुसुकाना चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै .
कहि कथा सुहाई मातु बुझाई जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै ..

माता पुनि बोली सो मति डोली तजहु तात यह रूपा .
कीजे सिसुलीला अति प्रियसीला यह सुख परम अनूपा ..

सुनि बचन सुजाना रोदन ठाना होइ बालक सुरभूपा .
यह चरित जे गावहि हरिपद पावहि ते न परहिं भवकूपा ..

     बिप्र धेनु सुर संत हित लीन्ह मनुज अवतार .
     निज इच्छा निर्मित तनु माया गुन गो पार ..
-----------
करुना-सुख-सागर, सब गुन आगर, जेहि गावहिँ स्रुति सन्ता।
सो मम-हित-लागी, जन-अनुरागी, भयउ प्रगट श्रीकन्ता॥

दया व करुणा के सागर, जन-जन पर अपनी प्रीति रखने वाले मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम संपूर्ण जगत पर अपनी कृपा-दृष्टि बनाए रखें, यही कामना है।

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

Veer Bal Diwas वीर बाल दिवस और बलिदानी सप्ताह

जन गण मन : राजस्थान का जिक्र तक नहीं

अटलजी का सपना साकार करते मोदीजी, भजनलालजी और मोहन यादव जी

इंडी गठबन्धन तीन टुकड़ों में बंटेगा - अरविन्द सिसोदिया

छत्रपति शिवाजी : सिसोदिया राजपूत वंश

खींची राजवंश : गागरोण दुर्ग

स्वामी विवेकानंद और राष्ट्रवाद Swami Vivekananda and Nationalism