हाँ मोदी जी ही भाजपा का चेहरा हैं - अरविन्द सिसोदिया pm modi ji, face of bjp

हाँ मोदी जी ही भाजपा का चेहरा हैं - अरविन्द सिसोदिया

एक समय था भारत में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू बहुत बड़ा नाम था और कांग्रेस उनके नाम पर चुनाव जीतती रही, उसे कभी मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की जरूरत नहीं हुई। कांग्रेस में लगभग यह परमपरा अभी तक भी चल रही है। गाँधी परिवार ही कांग्रेस का चेहरा है। हाल ही में कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश के चुनाव कांग्रेस बिना मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किए जीती है। राजस्थान में अशोक गहलोत के चेहरे पर 2018 का चुनाव नहीं लड़ा गया था तब प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलेट थे और उनके मुख्यमंत्री बनने के चांस भी थे।
आज भाजपा कि स्थिति भी उस समय के जवाहरलाल नेहरू जैसी हो गईं है। कोई माने न माने आज प्रधानमंत्री मोदी जी देश के ब्रांड हैं। जो भी देख रहा है वह मोदी जी को ही देख रहा है। किन्तु जब प्रदेश में भाजपा शासन में है और जनता उसे कुर्सी से उतारना चाहती है तो उसमें मोदी जी क्या कर सकते हैं। जनता अपना काम करेगी, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में सरकार को जनता हटाना चाहती थी, हटा दिया। गुजरात में संगठन नें पूरा मंत्रीमंडल बदल दिया था, वहाँ भाजपा रिपीट कर गईं, उत्तराखंड में मुख्यमंत्री बदल दिया था, सरकार रिपीट कर गईं...।

जब कांग्रेस जवाहरलाल नेहरू, श्रीमती इंदिरा गाँधी और अब राहुल गाँधी के चेहरे पर चुनाव लड़ती है, तो इसका मतलब वे मुख्यमंत्री होते या होंगे यह नहीं है। बल्कि उन पर जन विश्वास है, यह है।

यही अब भाजपा नेता और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नाम पर है, वे भाजपा के चेहरा हैं, उन पर जन विश्वास है कि वे जो करेंगे, ठीक ही करेंगे। यह मोदीजी नें परिणामों से साबित किया है।

अभी अभी एक प्रश्न उठाया जा रहा है कि प्रदेशों में चेहरे होनें चाहिए... यह प्रश्न जनता का है ही नहीं.... यह प्रश्न उन तथाकथित नेताओं के द्वारा उत्पन्न करवाया जा रहा है, जो संगठन को अपनी जेबी संस्था बनाये रखना चाहते हैं तथा सत्ता में बने रहना चाहते हैं। संगठन का शोषण और दोहन करते हैं। जनता सभी के कृत्य देखती है, बाहरी सांठ - गांठ और आंतरिक सांठ - गांठ को अच्छी तरह जानती है। इसलिए प्रदेश स्तरीय पुराने चेहरे अस्वीकार्य भी हैं और बदलाव की इच्छा भी है। राष्ट्रीय नेतृत्व को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए की राजनीति को पार्टी से ज्यादा, जनता प्रभावित करती है। हिमाचल में चेहरा बदल दिया जाता तो सरकार रिपीट कर जाती।

आज भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी जी सर्वोच्च लोकप्रियता पर हैं, जन स्वीकार्यता भी है, तब भी पार्टी किसी प्रदेश में चुनाव हारती है तो सहज प्रश्न बनता है...?

प्रश्न में पहली बात प्रत्याशी चयन की ही होती है। अक्सर चूक इसी जगह होती है। जिन प्रत्याशीयों को पुराना मान कर मज़बूत मान लिया जाता है, वे ही हार जाते हैं।

दूसरी बात प्रत्याशीयों को बहुत पहले से घोषित किया जाना भी तब नुकसान दायक होता है, जब पार्टी सरकार में हो। टिकिट की सार्वजनिक घोषणा अंतिम तिथि के एकाध दिन पूर्व ही घोषित होना ठीक रहता है।

कांग्रेस जनता की इच्छा से जितनी दूर होती गईं, उतनी सुकड़ती चली गईं, लोग उसे अब एक संम्प्रदायिक पार्टी मानते हैं जो एक संम्प्रदाय विशेष के लिए काम करती है।

दूसरी तरफ प्रधानमंत्री मोदी जी को आम भारत और मुस्लिम वर्ग का एक बड़ा वर्ग कल्याणकारी नेता मानता है।

प्रधानमंत्री मोदी जी अपने परिणामदायी शासन के कारण ही लोकप्रिय और विश्वनेता बने हैं। जनता नें उन्हें नेता चुना है और सही नेता चुना है, यह मोदीजी नें चुनौतीयों, समस्याओं के बीच अपने आपको साबित किया है।
 इसलिए यदी भाजपा कोई उपचुनाव हारती है या प्रदेश का चुनाव हारती है तो इसका मतलब स्पष्टरूप से चयन में रही कमी ही होती रहती है, इसे ठीक किया जाना चाहिए।
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कुछ नाम दे रहा हूँ और उन नामो के आगे उनकी हैसियत भी दर्ज करा रहा हूँ, इस फेहरिस्त पर पहले नज़र डालें....*

1) *सोमभाई (75 वर्ष) रिटायर्ड स्वास्थ्य अधिकारी , आश्रम में प्रवास*  
*2)अमृतभाई (72 वर्ष) निजी फैक्ट्री में वर्कर, रिटायर्ड*  
*3)प्रह्लाद (64 वर्ष) राशन की दूकान*  
*4)पंकज (58 वर्ष) सूचना विभाग में कार्यरत* 
*5)भोगीलाल (67 वर्ष) परचून की दूकान* 
*6)अरविन्द (64 वर्ष) कबाड़ का फुटकर काम* 
*7)भरत (55 वर्ष) पेट्रोल पंप पर अटेंडेंट* 
*8)अशोक(51 वर्ष) पतंग और परचून की दूकान*  
*9)चंद्रकांत (48 वर्ष) गौशाला में सेवक* 
*10)रमेश (64 वर्ष ) कोई जानकारी नही* 
*11)भार्गव (44 वर्ष) कोई जानकारी नही* 
*12)बिपिन (42 वर्ष ) कोई जानकारी नही*

*ऊपर के चार व्यक्ति(क्र. 1 से 4 तक) प्रधानमंत्री मोदी के सगे भाई है। नंबर 5 से लेकर 9 तक मोदी के सगे चाचा नरसिंहदास मोदी के बेटे है। यानी प्रधानमंत्री के चचेरे भाई। नंबर 10 पर रमेश, चाचा जगजीवनदास मोदी के पुत्र है। नंबर 11 पर भार्गव, चाचा कांतिलाल के बेटे हैं. और सबसे अंतिम यानी बिपिन, प्रधानमंत्री मोदी के सबसे छोटे चाचा जयंती लाल मोदी के बेटे है।*

*मेरी गुजारिश टीवी के उन क्रांतिकारी पत्रकारों से है, जो एक वक़्त एक नीली वैगन 'आर' कार को दिन रात दिखाकर राजनीति की शुद्धिकरण की दुहाई देते थे। मेरी गुज़ारिश है कि ज़रा ऊपर दी गयी फेहरिस्त में दर्ज लोगों के पास भी कैमरा लेकर जाइयेगा। जरा गुजरात जाकर, हमें कबाड़ी वाले अरविन्द और पतंग बेचने वाले अशोक की कहानी भी दिखाएं। प्रधानमंत्री का भाई कबाड़ बेच रहा है और एक भाई पतंग और मांझा ....*
*और हाँ , वाडनगर के लालवाड़ा पेट्रोल पंप पर जाकर ज़रा अपनी टैक्सी में अटेंडेंट , अशोक भाई से तेल भरवाते हुए फोटो ज़रूर लीजियेगा। सब देखेंगे कैसे मोदी का भाई आपकी गाडी में तेल भर रहा है। मौक़ा मिले तो मोदी के एक और भाई अरविन्द जी से टीन के पुराने कनस्तर खरीद लाइयेगा। और हाँ वाडनगर के घी कांटा बाजार में मोदी की भाभी आपको एक फूड स्टाल में मिलेंगी ..भाभी जी से खरीदारी करके कुछ न कुछ तो हमारे लिए लाइयेगा।*

*ऐसे समय में जब राजनीति में व्यक्ति सिर्फ अपना और अपने परिवार का स्वार्थ सिद्ध कर रहा है, ऐसे में मोदी जी सिर्फ और सिर्फ देश के लिए काम कर रहे हैं।*

*ये न भूलें के नरेन्द्र मोदी 22 साल से CM + PM हैं (13+9 साल) और अपनों को एक पैसे का फायदाा नहीं दिया।* 
*जो अपने सगे सम्बन्धियों के लिए कुछ नहीं करता क्या वह अडानी, अम्बानी के लिए करेगा ? यह केवल विरोधियों की चाल है। मोदी केवल देशहित में सोचता है देश के लिए क्या उत्तम होगा वही करते हैं। चालों से सावधान रहें।*

*मित्रो! क्या इसे केवल पढ़कर छोड़ देंगे, या दूसरों से शेयर भी करेंगे??

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