राजस्थान में आखरी जोर आजमाइश का दौर

राजस्थान में आखरी जोर आजमाइश का दौर rajasthan
- अरविन्द सिसोदिया
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2023 के अंत में 5 राज्यों में चुनाव हो रहे हैं, भाजपा के लिए 3 और कांग्रेस के लिए 4 राज्य अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। मिजोरम को लेकर कोई सीरियस नहीं है, क्योंकि वहाँ स्थानीय पार्टियों का बर्चस्व है। किन्तु इन चुनावों पर 2024 में होनें वाले आम चुनाव की गहरी छाया है, क्योंकि भाजपा इन प्रदेशों की अधिकांश सीटें जीतती है और उससे भाजपा की केंद्र सरकार बनाती है, कांग्रेस की कोशिश होगी कि वह भाजपा से सीटें छींनें,उन्हें कम करे।

अर्थात भाजपा को विधानसभा टिकिट वितरण में समन्वय की अधिक चिंता करनी है, इसलिए भाजपा बड़ी तादात में टिकिट नहीं काट सकती। जबकि कांग्रेस  पर इस तरह का दबाव नहीं है इसलिए वह अधिक टिकिट काट सकती है।

भारतीय जनता पार्टी और राजस्थान में सत्ता रूढ़ कांग्रेस नें अपनी -अपनी लिस्ट जारी कर दी है, किंतु कांग्रेस की अधिकांश सीटों पर अभी नाम बकाया चल रहे हैं, उनके 24 मंत्री अभी टिकट की लाइन में वेटिंग में है। इस से स्पष्ट है कि सत्तारुढ़ कांग्रेस बहुत ही फूंक फूंक कर कदम रख रही है।

क्योंकि कांग्रेस जानती है कि सत्ता विरोधी लहर या भ्रष्टाचारी मंत्रीमंडल के कारण वह चुनाव से बाहर हो सकती है और इसी कारण उसने अपने 24 मंत्रियों के टिकट रोके हुए हैं...स्पष्टता से अशोक गहलोत को भी मुख्यमंत्री घोषित नहीं किया है।

भारतीय जनता पार्टी यूँ तो विपक्ष में है, किंतु वह भी लगातार श्रीमती वसुंधरा राजे के नेतृत्व में सरकार बनाती रही है और इस बार सरकार की प्रमुख दावेदार है, प्रबल दावेदार है और सरकार बनाती हुई दिख भी रही है। भारतीय जनता पार्टी ने 124 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार करके चुनाव की रणभेरी भी बजा दी है और चुनाव में वह कांग्रेस से कहीं अधिक आगे है यह भी दिखा दिया है।

 कांग्रेस की सिर्फ 33 सीटों पर नाम जारी हुए हैं और भारतीय जनता पार्टी के 124 सीटों पर नाम जारी हुए....

भाजपा और कांग्रेस में अब अंतिम दौर का मंथन, चिंतन चल रहा है और जो जोर आजमाइस चल रही है, गुणा भाग भी चल रहा है, सौदेबाजी भी चल रहा है, गुटों की सौदेबाजी और उन्हें संतुष्ट करने के प्रयास चल रहे हैं। कुल मिलाकर अब बचे नामों को घोषित करने का दबाव पार्टियों के हाई कमानों पर है। यह इस तरह का दौर है कि मेरे दो - तेरे दो, ये तू यह ले और वह मुझे दे दो........

जब भी कोई निर्णय अंतिम समय के बिलकुल नजदीक पहुंच जाता है, तब सर्वे की कोई नहीं मानता, हार जीत के आंकड़े की कोई नहीं मानता, प्रत्याशी अच्छा बुरा है इसको भी कोई नहीं मानता, ऑल ओवर यह होता है की टिकट किसी को भी दे दो, सीट तुरंत भरो और इसमें जिसके भी पास स्टेट पावर होती है, प्रदेश में बर्चस्व होता है, वह अपने लोगों को टिकट दे देता है...।

कांग्रेस के प्रमुख नेता अशोक गहलोत और सचिन पायलट इनकी रस्सा कसी तो है ही, इसी के कारण कांग्रेस हाई कमान निर्णय की स्थिति में अभी तक नहीं आया।

लगता है कि अंत में अशोक गहलोत के फेवर के टिकट ही ज्यादा मिलेंगे क्योंकि कांग्रेस को अंतत 2024 में लोकसभा चुनाव भी लड़ना है और इसलिए कांग्रेस का दिल्ली का हाईकमान, मन ही मन जयपुर के हाईकमान से डरा हुआ है....इसलिए अंततः अशोक गहलोत कि ही चलेगी।

भारतीय जनता पार्टी नें बहुत ही समझदारी से स्टेट के लीडरों को ज्यादा तवज्जो दी है।

भाजपा के सामने भी 2024 का लोकसभा चुनाव है, केंद्र सरकार में राजस्थान का बड़ा रोल रहा है, दोनों बार 25 - 25 सीटें लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में दी गई है।

भारतीय जनता पार्टी भी को राजस्थान में लोकसभा सीटों के लिए अधिक की अपेक्षा है अर्थात वह फिर से सभी 25 सीटों चाहती है और इसलिए उसने भी राजस्थान के स्तर की जो राजनीतिक रस्साक्सी है, को दरकिनार करते हुए, वरिष्ठ नेतृत्व और वरिष्ठ विधायकों पर ही विश्वास किया है और उन्हें ही अधिकतम तब्बजो दी है, प्रत्याशी घोषित किये है।

 अब अंतिम दौर के प्रयास चल रहे हैं, खींचातानी चल रही है, कबड्डी चल रही है, कौन किसको मार दे, कौन किसको ले जाए, कौन किसको दिला दे..... इसका दौर चल रहा है और अगले आने वाले दो तीन दिनों में सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा। क्योंकि राजस्थान में भी अब नामांकन शुरू होने की तिथि निकट आ रही है।

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