इजराईल को भी जीने का हक है - सिसोदिया Israel – Hamas war

इजराईल को भी जीने का हक है - सिसोदिया
इजरायल और हमास के बीच में जो युद्ध चल रहा है, यह युद्ध पूरी तरह हमास के द्वारा थोपा हुआ, हमास मात्र आतंकवादी संगठन है, यह कतई नहीं माना जा सकता... जिस संगठन ने कुछ ही मिनट के अंदर 5000 मिसाइलें, किसी दूसरे देश पर दाग दी हों.... और अभी तक 10000 से ज्यादा मिसाइल है वह इसराइल पर दाग चुका हो!  उसे मात्र आतंकी संगठन नहीं कह सकते,  बल्कि वह एक संगठित योजनाबद्ध और किन्हीं किन्हीं राष्ट्रों के द्वारा पोषित पल्लवित शक्ति संपन्न राष्ट्र जैसा ही है, हमास का मुखौटा लगाकर, हमास की नकाब लगाकर, हमास का पर्दा डालकर, उसके पीछे से कुछ देश, एक देश विशेष को समाप्त करने की योजना से कार्य कर रहे हैं और यह आक्रमण इसी दिशा में एक मल्टीनेशन आक्रमण है.....! 

 जहां तक इजराइल का संबंध है और उसमें रहने वाले यहूदियों का संबंध है,  भारत एक मानवतावादी देश है और ईश्वर की दी हुई सभी संततियों की रक्षा करता है, कभी हमने यहूदियों को भी अपने यहाँ शरण दी थी, उन्हें जीने हक दिया था, आगे बढ़ाने की उनकी आकांक्षाओं को हमने पल्लवित और पोषित किया था, वे भी ईश्वर की ही देन है। ईश्वर के द्वारा बनाए हुए हैं और इसलिए उन्हें जीने का पूरा पूरा अधिकार है।

भारत जियो और जीने दो के सिद्धांत पर विश्वास करता है. भारत का इसराइल को समर्थन पूरी तरह से नैतिक न्याय प्रिय और सारगर्वित है। यह हमारी सांस्कृतिक विरासत और हमारे विराट हृदय का परिचय भी है और इसलिए भारत ही नहीं पूरी दुनिया को इसराइल को जीने देने में सहयोग करना चाहिए। जो इसराइल को समाप्त करना चाहते हैं, वे मानवता के भी दुश्मन  है और ईश्वर के भी शत्रु है, क्योंकि ईश्वर ने ही बनाए हुए प्राणियों में इजरायल के यहूदी भी है। इजराईल की रक्षा करना ईश्वरीय कर्तव्य है।
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*इब्रानी भाषा में इजराइल के राष्ट्रध्यक्ष बेंजामिन नेतन्याहू का राष्ट्र के नाम संदेश का हिंदी अनुवाद,कृपया!आधा मिनट निकाल कर अवश्य पढ़ें और भारत के सौ करोड़ हिन्दुओं को प्रसारित भी करें।*
" 75 साल पहले हमें मरने के लिए लाया गया। हमारे पास ना कोई देश था, ना कोई सेना थी। तब भी सात देशों ने हमारे विरुद्ध जंग छेड़ दी। हम सिर्फ 65,000 थे। हमें बचाने के लिए कोई नहीं था। हम पर हमले होते रहे, होते रहे।
लेबनान, सीरिया, ईराक़, जॉर्डन, मिस्र, लीबिया, सऊदी अरब जैसे कई देशों ने हमारे ऊपर कोई दया नहीं दिखाई। सभी लोग हमें मारना चाहते थे। किंतु हम बच गये।
संयुक्त राष्ट्र ने हमें जो धरती दी,उसका 65% भाग रेगिस्तान था। हमने उसको भी अपने खून से सींचकर अपना देश माना क्योंकि हमारे लिए वही सब कुछ था। हम पर जितने जुल्म हुए, उनमें से कुछ भी नहीं भूले। 
हम फिरऔन,यूनान,रोमन,स्पेन,हिटलर, अरब,सद्दाम और गद्दाफी जैसे आतंकियों से बच गये। हम संकल्प लेते हैं कि हमास,हिजबुल्ला और ईरान से भी बचेंगे।
*हमारे येरूसलम पर अब तक 52 बार आक्रमण किया गया,23 बार घेरा गया, 39 बार तोड़ा गया, तीन बार बर्बाद किया गया, 44 बार कब्जा किया गया लेकिन हम अपने येरूसलम को कभी नहीं भूले।*
वह हमारे हृदय में है,वह हमारे मस्तिष्क में है और जब तक हम रहेंगे,जेरूसलम हमारी आत्मा में रहेगा।
संसार यह याद रखें जिन्होंने हमें बर्बाद करना चाहा वह स्वयं मिट गये। 
मिस्र,लेबनान,बेबीलोन,यूनान,सिकंदर, रोमन सब खत्म हो गये,हम फिर भी बचे रहे।
हमें इस्लामवादी खत्म करना चाहते हैं।
उन्होंने हमारे रस्म रिवाज,परंपराओं, उपदेशों और हमारे पैगंबर को कब्जाया। कुछ समय पश्चात अब्राहम को इब्राहीम,सोलोमन को सुलेमान,डेविड को दाऊद और मोजेज को मूसा बना दिया गया।
फिर एक दिन उन्होंने कहा तुम्हारा पैगंबर मुहम्मद आ गया है,हमने उसे स्वीकार नहीं किया। करते भी कैसे? उनके आने का समय नहीं आया था। उन्होंने कहा, स्वीकारो! कबूलो!हमने नहीं कबूला।
फिर हमें मारा गया,हमारे शहरों को कब्जाया गया। हमारे ही शहर यसरब को मदीना बना दिया गया। हम कत्ल हुए  भगा दिए गये।                                   
मक्का के काबा में हम 2 लाख थे सभी को मार दिया। हमें दुश्मन बता कर कत्ल किया गया,फिर सीरिया और ओमान में भी यही हुआ वहां हम तीन लाख थे सभी का वीभत्स नरसंहार किया गया।
ईराक़ में हम दो लाख,तुर्की में चार लाख, हमें मारा जाता रहा। 
इस्लामी आतंकवाद हमें मार रहा है,मारते जा रहे हैं। हमारे शहर,धन,दौलत,घर, पशु,मान-सम्मान सब कुछ कब्जाये जाते रहे। फिर भी हम बचे रहे।
1300 सालों में करोड़ों यहूदियों को मारा गया फिर भी हम बचे रहे।
75 साल पहले वे हम पर थूकते थे, जलील करते थे,मारते थे। हमारी नियति यही थी किंतु हम स्वयं पर,अपने नेतृत्व पर,अपने विश्वास पर टिके रहे।
आज हमारे पास एक अपना देश है। एक स्वयं की सेना है,एक अर्थव्यवस्था है। इंटेल,माइक्रोसॉफ्ट,आईबीएम,फेसबुक, जैसी कई संस्थायें हमने इस दौर में बनायी हैं। आज हमारे चिकित्सक जो दवाए बना रहे हैं,लेखक किताबें लिख रहे हैं,वैज्ञानिक आविष्कार कर रहे हैं वो सब मानवता के कल्याण के लिए है।
हमने रेगिस्तान को हरियाली में बदला। हमारे फल,दवाएं,उपकरण,उपग्रह सभी मानवता के लिए है।
हम किसी के दुश्मन नहीं है,हमने किसी को खत्म करने की कसमें नहीं खाईं। हमें किसी को बर्बाद भी नहीं करना,हम साजिशें भी नहीं करते,हम सम्मान से जीना चाहते हैं। वो भी अपने देश में, अपनी जमीन पर और अपने घर में।
पिछले हजार सालों से हमें मिटाया गया, खदेड़ा गया,कब्जाया जाता रहा। 
हम मिटे नहीं,हारे नहीं और न कभी हारेंगे। हम जीतेंगे और जीत कर रहेंगे। हम 3000 सालों से यरुशलम में ही थे। आज हम अपने पहले देश इजराइल में हैं। यह हमारा ही था,हमारा ही है और हमारा ही रहेगा। येरूसलम हमसे है और हम येरूसलम से हैं।"

*यह जिजीविषा भारत के हिंदुओं में भी पनपनी चाहिए।* मानसरोवर,तिब्बत,कैलाश,अक्साई, काबुल,कंधार,पेशावर,लाहौर,बंगाल,
ढाका,चटगांव ये सब अपनी संतानों की प्रतीक्षा में हैं।

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