बंद हो मिनिमम बैंलेंस पेनाल्टी stopped Minimum balance penalty



मिनिमम बैंलेंस  पेनाल्टी बंद हो - अरविन्द सिसौदिया

Minimum balance penalty should be stopped - Arvind Sisodia

यदि वह व्यक्ति सक्षम होता, संपन्न होता, तो न्यूनतम मिनिमम बैलेंस मेंटेन करके चलता, वह गरीब है और अ क्षम है, उसकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, इसीलिए तो उसका न्यूनतम मिनिमम बैलेंस मेंटेन नहीं हुआ अर्थात तो राहत का पात्र है, दया का पात्र है, कृपा का पात्र है, ना कि दंड का पात्र.....भारत की विविध प्रकार की बैंकें, इन छोटे लोगों को ऊपर तो तुरंत दंड के रूप में  अकाउंट से पैसे काट लेते हैं। लेकिन जो लाखों रुपए, करोड़ों रुपए और अरबों रुपए ऋण के रूप में लेते हैं और जमा नहीं करते, उनके आगे हाथ जोड़ती है, विनती करती है, समझौता करती है, उन्हें राहत देती है यह दोहरा चरित्र पूरी तरह अनुचित है।


इसलिए केंद्र सरकार को एक स्पष्ट नीति, नियम, कानून बनना चाहिए, कि जो राहत के पात्र हैं, दया के पात्र हैं, कृपा के पात्र हैं, उनके साथ राहत दी जायेगी। मदद दी जाए, उन्हें सहयोग दी जाए, उन्हें संबल दिया जाए, ना की उनकी राशि दंड के रूप में काट ली जाए।

एक तरफ बैंकों में जो लोग उधार लेकर नहीं देते , उनसे अनुनय विनय और समझौते होते हैं, उन्हे छूटें दी जाती है। वहीं गरीब और असाह लोग जिन पर आमद नहीं है कम है या जिन्हे किसी न किसी सरकार योजना से प्राप्त सहायता राशि प्राप्ती के लिए अकाउन्ट जरूरी है। उनके खातें में जैसे ही राशी कम होती है। तुरन्त खाते के बैलेंस से बडी राशी दण्ड स्वरूप काट ली जाती है। यह लोककल्याणकारी राज व्यवस्था के सि़द्यांत के विपरीत है। एक तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी जीरो बैलेंस पर खाते खुलवाते हैं वहीं दूसरी तरफ बैंकिंग सेक्टर मोटी मोटी दण्डात्मक राशियां खाते से काट कर करोडा रूपया कमाते हैं। यह आर्थिक अन्याय है, इसे तुरन्त रोका जाना चाहिये। 

1- जो खाता धारक नागरिक वरिष्ठ नागरिक श्रैणी के हैं ।

2- जो खाता धारक नागरिक किसी सरकारी , कल्याणकारी योजना की पात्रता के कारण राशियां प्राप्त करते हैं।

3- जो खाता धारक  नागरिक गरीब हैं, गरीबी की रेखा ये नीचे आते हैं। 

4- जो खाता धारक किसी भी प्रकार की विकलांगता या गंभीर बीमारी से पीडित हैं।

5- जो खाता धारक बिना चेक बुक का बचत खाता रखते हैं।

इस तरह के नागरिकों पर न्यूनतम राशियां रखनें की अनिवार्यता का नियम लागू नहीं किया जाना चाहिये। इस तरह के नागरिकों के खातों को जीरो बेलेंस की अनिवार्य सुविधा की केटेगिरी में रखा जाना चाहिये तथा इस तरह की सुविधा समस्त बैंकिंग सिस्टम में लागू होना चाहिये।  

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बैंकों में बचत खाते में मिनीमम राशि रखनें सम्बंधि नियम-

1- पहले बैंक ग्राहकों को अपने खाते में 3000, 2000 या 1000 रुपए रखना पड़ता था। HDFC Bank की शहरी शाखा के ग्राहकों को मिनिमम बैलेंस 10000 रुपए रखना पड़ते हैं, वहीं सेमी अर्बन ब्रांच में यह लिमिट 2500 रुपए है। ICICI Bank में भी सेविंग अकाउंट में मिनिमम बैलेंस को मेंटेन करने की जरूरत है। (11 अग. 2023 )

2- आईसीआईसीआई बैंक में मिनिमम बैलेंस के नियम

आईसीआईसीाई बैंक में रेगुलर सेविंग्स अकाउंट के लिए एवरेज मिनिमम बैलेंस 10,000 रुपये और सेमी अर्बन ब्रांचों के लए 5,000 रुपये और ग्रामीण इलाकों में आने वाल ब्राचों के लिए मिनिमम सेविंग्स अकाउंट बैलेंस क्राइटेरिया 2,000 रुपये है.(2 सित॰ 2023)

3- पंजाब नेशनल बैंक

पंजाब नेशनल बैंक में मेट्रो और शहरी क्षेत्र के ग्राहकों को औसत न्यूनतम बैलेंस 2,000 रुपये रखना होता है। वहीं, अर्ध-शहरी क्षेत्रों के लिए ये सीमा 1,000 रुपये और ग्रामीण इलाकों के लिए 500 रुपये निर्धारित की गई है।

4-  बैंक ऑफ बड़ौदा (BOB) ने सेविंग्स अकाउंट के लिए मिनिमम क्वार्टर्ली एवरेज बैलेंस दोगुना कर दिया है. अब बैंक के ग्राहकों को अपने बचत खाते में ज्यादा पैसा रखना होगा. नया नियम 1 फरवरी 2019 से लागू होगा. बैंक ने एसएमएस भेजकर अपने ग्राहकों को इसकी जानकारी दी है.

बचत खाते में मिनिमम बैलेंस नहीं होने पर ग्राहक पर बैंक की तरफ से पेनाल्टी लगाई जाएगी. शहरी ग्राहकों के लिए मिनिमम बैलेंस 1,000 रुपये से बढ़ाकर 2,000 रुपये कर दिया गया है. अर्द्ध-शहरी शाखाओं के लिए इसे 500 रुपये से बढ़ाकर 1000 रुपये कर दिया गया है.

BOB ने ग्रामीण इलाकों की शाखाओं के लिए न्यूनतम बैलेंस की रकम में बदलाव नहीं किया है. बैंक ने ट्विटर पर भी इस बारे में जानकारी दी है. उसने कहा है, "1 फरवरी 2019 से बड़ौदा एडवांटेज सेविंग्स अकाउंट में मिनिमम क्वार्टर्ली एवरेज बैलेंस में बदलाव होगा."

बैंक के नियमों के मुताबिक, मिनिमम बैलेंस नहीं रखने पर शहरी और मेट्रो की शाखाओं के लिए पेनाल्टी 200 रुपये होगी, जबकि अर्द्ध-शहरी शाखाओं के लिए 100 रुपये होगी.

5 - निर्धारित मिनिमम बैंलेंस न रखने पर बैंक अपने आप पेनाल्टी के रूप में आपके अकाउंट से पैसा काट लेते हैं और इस थोड़ी -सी

रकम पर आप गौर भी नहीं करते. लेकिन आपको यह जा नकर अचरज होगा कि बचत खातों की ऐसी ही छोटी -छोटी कटौतियों से पिछले चार साल में बैंकों ने 11,500 करोड़ रुपये की कमाई कर ली है।

वित्त मंत्रालय के एक सूत्र के मुताबिक पिछले चार साल (वित्त वर्ष 2014-15 से 2017-18 के बीच) में 21 सार्वजनिक बैंकों और निजी क्षेत्र के तीन दिग्गज बैंकों ने बचत खातों में मिनिमम बैलेंस न रख पाने वाले ग्राहकों से कुल 11,500 करोड़ रुपये की कमाई की है।

सबसे ज्यादा कमाई स्टेट बैंक की

सिर्फ पिछले एक साल में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने न्यूनतम बैंलेंस न रखने पर मिलने वाले पेनाल्टी से 3,551 करोड़ रुपये की

कमाई की है। देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने 2017-18 में इस मद में 2,500 करोड़ रुपये की कमाई की है। निजी क्षेत्र के दिग्गज एचडी एफसी बैंक ने इस दौरान 600 करोड़ रुपये की कमाई की है।

गौरतलब है कि बड़े-बड़े डिफाल्टर्स की वजह से बैंकों का एनपीए साल 2017-18 में बढ़कर 10 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। बैंक इनसे अपना बकाया वसूलने में नाकाम रहे हैं। लेकिन बचत खाता धारक यदि न्यूनतम बैंलेंस एक महीने भी नहीं रख पाता तो उसकी अच्छी खासी रकम काट ली जाती है।

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वर्ष 2014-15 में बैंकिंग और बीमा क्षेत्रा में अनेक सुधर उपाय किए गए। इनमें 52 प्रतिशत

तक सरकारी हिस्सा कम करके पूंजी पर्याप्तता मानदंडों को पूरा करने के लिए बाजार से पूंजी

जुटाने हेतु बैंकों को अनुमति देना, प्रत्येक परिवार के लिए कम से कम एक साधरण बैंक खाते

की बैंकिंग सुविध व्यापक रूप से सुलभ करने के लिए प्रधनमंत्रा जन ध्न योजना शुरू करना

और बीमा क्षेत्रा में विदेशी इक्विटी सीमा बढ़ाने के संबंध् में अध्यादेश अध्सिचित किया जाना

शामिल है।

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RBI/2014-15/308

DBR.Dir.BC.No.47/13.03.00/2014-15

20 नवंबर 2014

सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक

(आरआरबी को छोड़कर)

प्रिय महोदय/महोदया

बचत बैंक खातों में न्यूनतम शेष राशि न बनाए रखने पर दंडात्मक शुल्क लगाना

कृपया 'बचत बैंक खातों में न्यूनतम शेष' पर 26 दिसंबर 2002 का हमारा परिपत्र DBOD.Dir.BC.53/13.10.00/2002-03 देखें, जिसमें बैंकों को ग्राहकों को न्यूनतम की आवश्यकता के बारे में पारदर्शी तरीके से सूचित करने की सलाह दी गई है। बचत बैंक खाते में शेष राशि और खाता खोलते समय उसका रखरखाव न करने पर दंडात्मक शुल्क लगाना।


2. इस संबंध में, उपभोक्ता संरक्षण की दिशा में कुछ उपायों का प्रस्ताव करने वाली 'विकासात्मक और नियामक नीतियों' के संबंध में 1 अप्रैल 2014 को घोषित प्रथम द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य, 2014-15 के भाग बी के पैराग्राफ 30 का संदर्भ आमंत्रित किया जाता है । उसमें शामिल प्रस्तावों में से एक यह था कि बैंकों को ग्राहकों की कठिनाई या असावधानी का अनुचित लाभ नहीं उठाना चाहिए। सामान्य बचत बैंक खातों में न्यूनतम शेष राशि न बनाए रखने पर दंडात्मक शुल्क लगाने के बजाय, बैंकों को ऐसे खातों पर उपलब्ध सेवाओं को मूल बचत बैंक जमा खातों तक सीमित करना चाहिए और जब शेष राशि न्यूनतम आवश्यक स्तर तक बढ़ जाती है तो सेवाओं को बहाल करना चाहिए। बैंकों में ग्राहक सेवा पर दामोदरन समिति की सिफारिशों का भी संदर्भ आमंत्रित किया जाता है, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ सिफारिश की गई थी कि ' बैंकों को खाते में न्यूनतम शेष राशि का उल्लंघन होने पर ग्राहक को तुरंत सूचित करना चाहिए और शेष राशि बनाए न रखने पर लागू दंडात्मक शुल्क की जानकारी देनी चाहिए। एसएमएस/ईमेल/पत्र द्वारा। इसके अलावा, लगाए गए दंडात्मक शुल्क देखी गई कमी के अनुपात में होना चाहिए।'

3. बैंकों के साथ व्यापक परामर्श के बाद नीति घोषणा की समीक्षा की गई है। इन विचार-विमर्श के परिणामस्वरूप और दामोदरन समिति की सिफारिशों पर विचार करने के बाद, यह निर्णय लिया गया है कि बचत बैंक खाते में न्यूनतम शेष राशि बनाए न रखने पर शुल्क लगाते समय, बैंक अनुबंध में दिए गए अतिरिक्त दिशानिर्देशों का पालन करेंगे । दिशानिर्देश 1 अप्रैल, 2015 से प्रभावी होंगे ।

4. इन दिशानिर्देशों को बैंक की वेबसाइट पर प्रकाशित करने के अलावा सभी ग्राहकों के ध्यान में लाया जाना चाहिए।

5. इस बीच, सभी बैंकों को ग्राहकों की जानकारी अपडेट करने के लिए तत्काल कदम उठाने की सलाह दी जाती है ताकि दिशानिर्देशों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए इलेक्ट्रॉनिक मोड (एसएमएस/ईमेल आदि) के माध्यम से अलर्ट भेजने की सुविधा मिल सके।


आपका विश्वासी

(लिली वडेरा)

मुख्य महाप्रबंधक


उपभवन -

बचत बैंक खाते में न्यूनतम शेष राशि न बनाए रखने पर शुल्क लगाना निम्नलिखित अतिरिक्त दिशानिर्देशों के अधीन होगा :-

(i) बैंक और ग्राहक के बीच सहमति के अनुसार न्यूनतम शेष/औसत न्यूनतम शेष के रखरखाव में चूक की स्थिति में, बैंक को ग्राहक को एसएमएस/ईमेल/पत्र आदि द्वारा स्पष्ट रूप से सूचित करना चाहिए कि न्यूनतम शेष की स्थिति में नोटिस की तारीख से एक महीने के भीतर खाते में राशि बहाल नहीं होने पर दंडात्मक शुल्क लागू होगा।

(ii) यदि उचित अवधि के भीतर न्यूनतम शेष राशि बहाल नहीं की जाती है, जो कि कमी की सूचना की तारीख से एक महीने से कम नहीं होगी, तो खाताधारक को सूचित करते हुए दंडात्मक शुल्क वसूल किया जा सकता है।

(iii) लगाए जाने वाले दंडात्मक शुल्क की नीति बैंक के बोर्ड की मंजूरी से तय की जा सकती है।

(iv) दंडात्मक आरोप सीधे देखी गई कमी की सीमा के अनुपात में होने चाहिए। दूसरे शब्दों में, खाता खोलने के समय सहमति के अनुसार बनाए गए वास्तविक शेष और न्यूनतम शेष के बीच अंतर की राशि पर शुल्क एक निश्चित प्रतिशत होना चाहिए। शुल्कों की वसूली के लिए एक उपयुक्त स्लैब संरचना को अंतिम रूप दिया जा सकता है।

(v) यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ऐसे दंडात्मक शुल्क उचित हों और सेवाएँ प्रदान करने की औसत लागत के अनुरूप न हों।

(vi) यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि केवल न्यूनतम शेष न बनाए रखने पर शुल्क लगाने के कारण बचत खाते में शेष राशि नकारात्मक शेष में न बदल जाए।

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बचत बैंक खातों में न्यूनतम शेषराशि

संदर्भ संख्या डीबीओडी। डिर. ईसा पूर्व. 53/13.10.00/2002-03


26 दिसंबर 2002

सभी वाणिज्यिक बैंक

(आरआरबी और एलएबी को छोड़कर)


प्रिय महोदय,

बचत बैंक खातों में न्यूनतम शेषराशि

भारतीय रिजर्व बैंक ने बचत बैंक खातों में न्यूनतम शेष राशि बनाए रखने के संबंध में कोई दिशानिर्देश जारी नहीं किया है। बैंक ऐसे खातों को बनाए रखने और उनकी सेवा में आने वाली लागत को ध्यान में रखते हुए न्यूनतम शेष राशि बनाए रखने का निर्धारण कर रहे हैं और न्यूनतम शेष राशि बनाए नहीं रखने पर विशिष्ट शुल्क भी लगा रहे हैं। हालाँकि, इस संबंध में कोई एक समान दृष्टिकोण नहीं है।

2. हमें यह बताया गया है कि बैंक ग्राहकों को खाता खोलते समय न्यूनतम शेष राशि की आवश्यकता के बारे में सूचित नहीं करते हैं और न्यूनतम शेष राशि बनाए नहीं रखने पर शुल्क लगाने आदि जैसे निहितार्थों पर भी प्रकाश नहीं डालते हैं। . बैंक ग्राहकों को न्यूनतम शेष राशि की आवश्यकता में किसी भी बदलाव के बारे में सूचित करना भी सुनिश्चित नहीं करते हैं।

3. हमने मामले की समीक्षा की है और सलाह दी है कि अब से बैंकों को ग्राहकों को खाता खोलते समय पारदर्शी तरीके से न्यूनतम शेष राशि की आवश्यकता के बारे में सूचित करना चाहिए। इस संबंध में किसी भी बाद के बदलाव के बारे में खाताधारकों को भी सूचित किया जाना चाहिए। बैंक यह तय कर सकते हैं कि ग्राहकों को जानकारी किस प्रकार उपलब्ध कराई जाए।

4. कृपया रसीद स्वीकार करें।

आपका विश्वासी,

(आरसी अग्रवाल)

महाप्रबंधक


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