कांग्रेस की भारी पराजय तय, एक कार तक सिमट जायेगी कांग्रेस - सिसोदिया rajasthan election



कांग्रेस की भारी पराजय तय, एक कार में आनें तक सिमट जायेगी कांग्रेस - सिसोदिया

2018 में जब राजस्थान में विधानसभा चुनाव हुए थे, तब 199 सीटों के चुनाव परिणाम आए और जिनमें कांग्रेस को 99 सीटें मिली यानी बहुमत नहीं मिला....., फिर एक सीट का और चुनाव हो गया और कांग्रेस 200 में से 100 सीट हो गई यानी उसे फिर भी बहुमत नहीं मिला...., कांग्रेस नें राजस्थान में जोड़तोड़ की सरकार बनाई.... उसे जनता ने बहुमत नहीं दिया था।

जब 2018 में कांग्रेस को बहुमत नहीं दिया तो.... अब जब 5 साल बाद अपने कुकर्मों की कुर्सी पर बैठकर के वह बहुमत की कैसे सोच सकती है...? खुद कांग्रेस के व्यक्ति ने कहा है कि इस चुनाव में कांग्रेस की पास विधायकों की संख्या इतनी रह जाएगी कि एक कार में बैठकर विधानसभा भवन चले जाएं और यही होने वाला है.....!

क्योंकि 2018 में कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलेट प्रदेश अध्यक्ष थे और जनता नें जो वोट दिया वह सचिन को देख कर दिया..... किन्तु अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बनकर बैठे गये.... सचिन देखते रह गए। गहलोत की सरकार राजस्थान में थी इसके बावजूद मात्र 5 महीने बाद हुए लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को,राजस्थान की 25 की 25 सीटें मिली,भारतीय जनता पार्टी गठबंधन ने सभी 25सीटें जीत करके यहां दोबारा से लगातार इतिहास रचा! इससे पहले 2014 में भी राजस्थान नें सभी 25 सीटें भाजपा नें जीतीं थीं। अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत यह कल्पना भी कैसे कर सकते हैं कि उनकी सरकार राजस्थान में रिपीट हो सकती या जनता द्वारा फिरसे बनाई जा सकती है।

अशोक गहलोत ने राजस्थान की जनता को लगातार साडे चार साल अपराधियों, भ्रष्टाचारियों के भरोसे रखा, जम कर लूट हुई, कोई काम बिना पैसा नहीं हुआ, चाहे उनकी ही पार्टी के व्यक्तियों की नियुक्तियाँ ही क्यों न हो....जम कर लूटपाट हुई, क्यों की गहलोत पहले दिन से ही जानते थे कि उन्होंने मुख्यमंत्री पद हड़पा है और कभी भी जा सकता है..., इसलिए एक ही काम इस सरकार का 24 घंटे सातों दिन रहा.... वह था पैसा बनाओ.. पैसा बनाओ.... अर्थात महाभ्रष्टाचार का युग गहलोत सरकार कि यह टर्म मानी जायेगी।

गहलोत को सचिन से खतरा पहले दिन से ही था... सो मुख्यमंत्री बनते से ही मुख्यमंत्री के असली दावेदार सचिन पायलट को गहलोत नें काटना, छाँटना, बदनाम करना, उपेक्षित करना, अर्थात छोटा करना शुरू कर दिया....सारी ताकत सचिन हटाओ अभियान में लगा दी....सचिन - गहलोत के अंतरयुद्ध में राजस्थान पिसता रहा, किन्तु कांग्रेस का हाई कमान लगातार इस मुर्गे लड़ाओ खेल का आनंद लेते रहे। गहलोत सरकार नें हाइकमान को खुश रखनें और विधायकों को अपने पाले में रखने हेतु धन और प्रलोभन के द्वार खोल दिये, दोनों हाथों से धन वर्षा का लाभ कांग्रेस के केंद्र और गहलोत समर्थक विधायकों नें जम कर उठाया। इस महालूट में लूटी गईं राजस्थान की आम जनता..। पेपरलीक.. कोई त्रुटि नहीं थी, ये करोड़ों रुपयों में पेपर बेंचा जाता था.....। किसी भी सरकारी काम में, किसी भी सरकारी निर्माण में, खनन में, आबंटन में सभी जगह उगाही और भ्रष्टाचार का सेलाब आता रहा।


गहलोत नें दोनों हाथों से कुर्सी पकड़े रखनें में, जायज नाजायज सभी हथकंडे अपनाये। समर्थक विधायकों को फाइब स्टार होटलों में रखने का विश्व रिकार्ड बनाया, होटल से सरकार चलानें का गोल्ड मेडल जीता.....। कुर्सी युद्ध की ड्रामें बाजी किसी हास्य फ़िल्म से कम नहीं थी और पूरे राजस्थान की जनता इसमें पिसी।

मेरे साथ आओ, मेरे साथ आओ, इस अभियान में गहलोत ने विधायकों को इतनी छूट दे दी कि हर थाने में, हर विधानसभा क्षेत्र में, हर विभाग में जनता लुटती रही, बिना पैसे कहीं कोई काम नहीं हुआ, और हर समर्थक विधायक मिनी मुख्यमंत्री बन गया एक साथ 70/80 मुख्यमंत्री राजस्थान की जनता और अधिकारीयों नें भुगते।.....अब कैसे कह सकते हैं गहलोत साहब की मैं सरकार फिर ले आऊंगा....!

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत वह मुख्यमंत्री हैं, जिन्हे मुख्यमंत्री पद से हटानें के लिए कांग्रेस आलाकमन नें कई जतन किए, कांग्रेस अध्यक्ष एवं उपमुख्यमंत्री सचिन पायलेट नरण विद्रोह कर दिया और अंत में उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष पद तक का प्रलोभन दिया, इस बीच 80/90 विधायकों के इस्तीफे तज हुए, तब भी गहलोत नें मुख्यमंत्री की कुर्सी मजबूती से पकड़े रखे..... कांग्रेस का तमाम आलाकमान पूरी अपमानित ओर फैल हुआ। वही गुस्से से भरा हाइकमान, कांग्रेस की ओर से अशोक गहलोत सपनें में भी मुख्यमंत्री नहीं बन सकता। यह बात गहलोत भी जानते हैं।

जब गहलोत ने देख लिया कि 6 महीने बाद सरकार जाने वाली है, कांग्रेस भी अगला मुख्यमंत्री सचिन को बनाना चाहती है, कम से कम वे ( गहलोत ) अगला मुख्यमंत्री नहीं बन रहे हैं। राजस्थान का कल्चर भी हर बार सरकार बदलने का हो गया। बीजेपी का मुख्यमंत्री भी बन सकता है, तो उनके मन एक खुराफ़ात आई कि क्यों न राजस्थान को बर्बाद कर दिया जाये,तहस नहस कर दिया जाये। अगले मुख्यमंत्री कि राह में इतने गड्डे डालदो कि वह चल ही नहीं पाये। 

अशोक गहलोत ने सोचा कि इस राजस्थान को इतना बर्बाद करो, इतना बर्बाद करो, इतना बर्बाद करो कि आने वाला मुख्यमंत्री माथा पकड़कर रोता रहे....!

अगले मुख्यमंत्री का बुरा करने के लिए उन्होंने राजस्थान का ही बुरा करना प्रारंभ कर दिया।

राजस्थान की अगली सरकार को कर्ज में मर्ज करने के लिए, गहलोत सरकार नें अनाप - सनाप कर्ज में डूबा दिया है,बुरा करने के लिए अशोक गहलोत ने ले कर्ज - ले कर्ज - ले कर्ज और यह फ्री, यह फ्री यह फ्री इतना लुटाओ कि अगली दस सरकारें भी चुका न पाएं।
सर्वे तो तय टारगेट से होते हैं, इसलिए सर्वें इधर का है, उधर का है, ऊपर जाए -नीचे आये। लेकिन राजस्थान में 191 से अधिक सीटें लेकर के भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस को एक अंक के आंकड़े में समेट कर दिखाएगी। क्योंकि इससे पहले भी भाजपा नें 163 सीटों पर जीत कर दिखाया है.....

कांग्रेस के ही एक विधायक ने कहा है कि एक फॉर्च्यून कार में जितनी सवारी बैठती है, उतने विधायक कांग्रेस के रह जाएंगे। तो इस सत्य को पूरा करने के लिए राजस्थान की जनता अपनी पूरी ताकत लगा देगी यह प्रतीत हो रहा है। आम जनमत, कांग्रेस को गांव - गांव, गली - गली मोहल्ले - मोहल्ले,बूथ बूथ से साफ कर देगी......।

गहलोत सरकार भ्रष्टाचार से किस कदर डरी हुई है कि.... इसका उदाहरण गत महीनेँ विधानसभा में देखने मिला था। भ्रष्टाचार से थर थर कांप रहे मुख्यमंत्री गहलोत और उनकी सरकार नें जो किया वह, राजस्थान क्या पूरे देश के इतिहास में किसी प्रदेश में नहीं देखा गया होगा...!

..... मुख्यमंत्री एक डायरी से डर जाए....लाल डायरी से भयभीत हो जाए....कांपने लगे और उसे मंत्री को तुरंत हटा दे.....उस मंत्री को हटाए ही नहीं, बल्कि उसके ऊपर टूट पड़े...! उससे वह डायरी छीनने की पूरी कोशिश की गईं।लाल डायरी को फाड़ देनें में पूरी ताकत लगा दी, विधानसभा सदन में यह ड्रामा चला..। तो इसका अर्थ क्या निकला.... की डायरी में जरूर - जरूर काले कारनामे भरे पड़े हैं....हो सकता है उसमें पेपरलीक के पैसे का हिसाब हो, रिवर फ्रंट कोटा की कमीशन खोरी के पैसों का हिसाब हो... उसमें खनन माफिया का हिसाब हो... उसमें हर घर पेयजल पहुंचाने के पाईप खरीदने में हुए घोटाले का हिसाब हो...

कांग्रेस के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नें पूरे समय तक एक ही काम बड़ी ईमानदारी से किया है और वह काम है कमीशन खोरी की सरकार का संचालन... नया रिकॉर्ड तो बना ही है.... सही - सही जानकारी अगली सरकार जब इनकी जाँच कराएगी तब ही आएगी।

 राजस्थान की जनता ने तय कर लिया है कि एक कान नहीं, दोनों कान पड़कर के अशोक गहलोत को कुर्सी से हटाएंगे और भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनाएंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली साफ सुथरी सरकार से राजस्थान को जोड़ कर डबल इंजन की, दुगनी ताकत से काम करने वाली सरकार बनाएंगे...!


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