अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस : टूटती भारतीय नैतिकतायें International Day of Older Persons

 

International Day of Older Persons: Broken Indian morals

 टूटती भारतीय नैतिकतायें

- अरविन्द सिसौदिया  9414180151


बुजुर्गों के प्रति वर्तमान युवा पीढ़ी बहुत अधिक हिंसक और अपमानजनक व्यवहार वाली होती जा रही है। ज्यादातर परिवारों को इस समस्या से दो चार होना पड रहा है। एक मां को अपने बेटे के ही खिलाफ पुलिस थानें जाना पडता है। क्यों कि हमारी नैतिकतायें दम तोड रहीं है। छीना झपटी चल रही है। कानूनी रूप से वृद्धों के प्रति सरकारों के कानून बहुत सख्त है। कलेक्टरों को असरमित अधिकार है। किन्तु लोकलाज के कारण बुजुर्ग इनका इस्तेमाल नहीं करते और नौजवान पीढ़ी अपमान किये बिना चूकती नहीं है। विशेषकर यह समस्या सम्पत्तीवान परिवारों में ज्यादा है। जिन पर कम सम्पत्ती है वे ज्यादा सुखी है। अन्य वर्गों में यह समस्या पैर पसार रही है। इसके लिये एक और प्रभावी काननू बनाया जाना चाहिये । वह वृद्धजन की सरकारी, देखभाल, परिवार द्वारा सारसंभाल का गुप्त फीडबैक लेनें की पद्यती। इससे बहुत लाभ बुजुर्गों को मिल सकता है। 

      सर्वाधिक घृणा का विषय यही है कि भारत में वृद्धाश्रम खुल गये , उनमें अति सम्पन्न परविरों के बुजुर्ग घुट घुट कर मृत्यु का इन्तजार करते है।

 आज एक छैः बच्चों की मां जिस की आय 10/15 हजार की मासिक पेंसन थी, उसे भी अपनी सार संभाल के लिये बार बार आंसू बहाते देखा गया है। 

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वृद्धजन समाज की अमूल्य विरासत होते 

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वृद्धजन समाज की अमूल्य विरासत होते

विचारणीय है कि अगर आज हम वृद्धों को अपमान करते हैं, तो कल हमें भी अपमान सहना होगा। समाज का एक सच यह है कि जो आज जवान है उसे कल बूढ़ा भी होना होगा और इस सच से कोई नहीं बच सकता। लेकिन इस सच को जानने के बाद भी जब हम बुजुर्ग लोगों पर अत्याचार करते हैं तो हमें अपने मनुष्य कहलाने पर शर्म महसूस होती है। मनुष्यता को शर्मसार करने की स्थिति है। हमें समझना चाहिए कि वरिष्ठ नागरिक समाज की अमूल्य विरासत होते हैं।

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बुजुर्गों की सम्पत्ति हड़पने वाले बच्चों को अब मिलेगी सजा

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बुजुर्गों की सम्पत्ति हड़पने वाले बच्चों को अब मिलेगी सजा

महर्षि वाल्मीकि ने रामायण के लव-कुश प्रकरण में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को राजधर्म का पाठ पढ़ाते हुए कहा था कि स्त्रियों,वृद्धों और बच्चों की सुरक्षा का प्रमुख दायित्व राजा पर ही होता है। 

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अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस

अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस : आपके साथ भी वही होगा जो आपने अपने बुजुर्गों के साथ किया

कब से और क्यों मनाया जाता है : संयुक्त राष्ट्र ने विश्व में वृद्धों के प्रति हो रहे दुर्व्यवहार और अन्याय के प्रति लोगों को     जागरुक करने के लिए 14 दिसम्बर, 1990 को यह निर्णय लिया कि हर साल '1 अक्टूबर' को 'अंतरराष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस' के रूप में मनाया जाए। इस दिवस के माध्यम से बुजुर्गों को सम्मान और अधिकार दिलाने का प्रयास किया जाएगा। इसके बाद 1 अक्टूबर, 1991 को पहली बार 'अंतरराष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस' मनाया गया। तभी से यह क्रम जारी है।

        अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस को अंतरराष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस, अंतरराष्ट्रीय वरिष्‍ठ नागरिक दिवस, विश्व प्रौढ़ दिवस, अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस भी कह सकते हैं। यह प्रतिवर्ष 1 अक्टूबर को मनाया जाता है। देश में बुजुर्गों की आबादी साल 1961 से लगातार बढ़ रही है। 1991 में 60 वर्ष से अधिक आयु के 5 करोड़ 60 लाख व्यक्ति थे, जो 2007 में बढ़कर 8 करोड़ 40 लाख हो गए। आंकड़ों के मुताबिक साल 2021 में बुजुर्गों की संख्या 13.8 करोड़ पर पहुंच गयी है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) की एक स्टडी में ये आंकड़े सामने आए हैं।

1. संयुक्त परिवार की भावना के बिखराव के बाद विश्व में बुजुर्गों की हालत बहुत ही दयनीय हो चली है।

2. करोड़ों बजुर्गों को कई कारणों से आज अकेला रहना पड़ रहा है।

3. लोगों की अपने बुजुर्गों के प्रति यह मानसिकता बन गई है कि इनका बोझ ढोना निप्रयोजन ही है।

4. आज की युवा पीढ़ी अपने में ही व्यस्त है। वह अपने बुजुर्गों से कुछ भी सीखना नहीं चाहती है और न ही उनसे किसी भी प्रकार का संवाद रखना चाहती है।
5. युवा पीढ़ी यह नहीं समझती है कि एक दिन वे भी बुजुर्ग हो जाएंगे तब उनके व्यवहार को देखकर उनके बच्चे भी उनकी अवहेलना ही करेंगे। हम अपने बच्चों को क्या प्रेरणा दे रहे हैं?

6. आज की तथाकथित युवा तथा उच्च शिक्षा प्राप्त पीढ़ी अपने पिता या दादा को बूढ़ा कहकर वृद्धाश्रम में छोड़ देती है या उन्हें वृद्धाश्रम में जाने के लिए मजबूर कर देती हैं, क्योंकि ये तथाकथित युवा पीढ़ी आजादी से जीना चाहती और वह अपनी जिम्मेदारी से भागना चाहती है।
7. आलीशान या कहें या कि अमीर लोगों की पार्टी में आपने कभी बड़े-बुढ़े लोगों को शायद ही देखा होगा क्योंकि लोग अपने बजुर्गों को वहां नहीं ले जाते हैं। इसलिए नहीं ले जाते हैं कि वे उनकी सुंदर लोगों की पार्टी में काले धब्बे की तरह दिखाई देंगे और वहां उनकी इज्जत है। उच्च वर्ग की इसी सोच को मध्यम वर्ग भी फॉलो करता है। यही कारण है कि बूढ़े घर के किसी कोने में अकेले ही पड़े रहते हैं घर की रखवाली के लिए।
8. यदि किसी वृद्ध को अच्‍छी खासी पेंशन मिल रही है तो उसकी घर में थोड़ी बहुत इज्जत होती है या उस पर ध्यान दिया जाता है। कई घरों में तो बूढ़े लोग अपनी पेंशन का खुद ही उपयोग नहीं कर पाते हैं। पेंशन आते ही पुत्र, पुत्रवधु या पोता उस पर कब्जा कर लेता है। उनके हाथ में कुछ भी नहीं रहता है।

9. वृद्ध होने के बाद इंसान को कई रोगों का सामना करना पड़ता है। चलने फिरने में भी दिक्कत होती है। ऐसे बूढ़ों का जीवन तो और भी भी दुर्भर हो जाता है। वे किसी वृद्धाश्रम, अस्पताल या घर के किसी कोने में अकेले ही जीवन की अंतिम सांसे गिन रहे होते हैं।


10. जिन माता पिता ने बच्चों अपने अथक प्रयासों से पाल पोसकर बड़ा किया और अब वे ही बच्चे अपने माता पिता को छोड़कर कहीं और बसेरा बनाकर रहते हैं। बस मोबाइल और वाट्सएप पर ही उनके हालचाल पूछकर इतिश्री कर लेते हैं। बीमार होने पर उनके लिए नर्स रख देते हैं या किसी अन्य के माध्यम से अस्पताल में भर्ती करके बीमा कंपनी को इनफार्म कर देते हैं।




हिन्दू जीवन पद्धति में वृद्धवस्था को सुखी बनाने के लिए, लोक व्यवस्था है, जो जिम्मेवार व जबावदेह भी है। किन्तु पश्चात्य जगत के प्रभाव में सब कुछ धूल धूसरित हो रहा है। कहीं न कहीं आचरणों की चिंता करनी ही होगी...

फ़िल्म एक फूल दो माली का यह गीत बहुत ही सटीक है....

तुझे सूरज कहूं या चंदा
तुझे दीप कहूं या तारा
मेरा नाम करेगा रौशन
जग में मेरा राज दुलारा
तुझे सूरज कहूं या चंदा
तुझे दीप कहूं या तारा
मेरा नाम करेगा रौशन
जग में मेरा राज दुलारा
मैं कब से तरस रहा था
मेरे आँगन में कोई खेले
नन्ही सी हँसी के बदले
मेरी सारी दुनिया ले ले
तेरे संग झूल रहा है
मेरी बाहों में जग सारा
मेरा नाम करेगा रौशन
जग में मेरा राज दुलारा
तुझे सूरज कहूं या चंदा
तुझे दीप कहूं या तारा
मेरा नाम करेगा रौशन
जग में मेरा राज दुलारा
आज उँगली थाम के तेरी
तुझे मैं चलना सिखलाऊँ
कल हाथ पकड़ना मेरा
जब मैं बूढ़ा हो जाऊँ
तू मिला तो मैं ने पाया
जीने का नया सहारा
मेरा नाम करेगा रौशन
जग में मेरा राज दुलारा
तुझे सूरज कहूं या चंदा
तुझे दीप कहूं या तारा
मेरा नाम करेगा रौशन
जग में मेरा राज दुलारा
मेरे बाद भी इस दुनिया में
ज़िंदा मेरा नाम रहेगा
जो भी तुझ को देखेगा
तुझे मेरा लाल कहेगा
तेरे रूप में मिल जायेगा
मुझ को जीवन दोबारा
मेरा नाम करेगा रौशन
जग में मेरा राज दुलारा
तुझे सूरज कहूं या चंदा
तुझे दीप कहूं या तारा
मेरा नाम करेगा रौशन
जग में मेरा राज दुलारा

- आवाज - मन्ना डे 
- गीतकार - प्रेम धवन
- संगीतकार - रवि
 

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