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जीवन सत्य का विश्लेषण Analysis of Life Truth

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जीवन सत्य का विश्लेषण जीवन का सत्य मृत्यु है, मृत्यु का सत्य आत्मा की अमरता है, आत्मा का सत्य पुनर्जन्म है 1. जीवन का सत्य: मृत्यु मृत्यु एक अनिवार्य प्रक्रिया है जो सभी शरीरों के लिए निश्चित है। यह आत्मा के जीवन का अंत नहीं, बल्कि एक शरीर से दूसरे शरीर में जानें का भ्रमण काल ​​माना जाता है। हर जीव को अपने जीवन में एक दिन मृत्यु का सामना करना पड़ता है। यह इसलिए होता है कि भौतिक शरीर का क्षय हो जाने से वह समय विशेष के बाद अनुपयोगी व कष्टदायी हो जाता है ।यह विचार विभिन्न धार्मिक और ईश्वरीय आस्था के विचारों में पाया जाता है, जिसमें कहा गया है कि मृत्यु के बाद आत्मा अमर रहती है। सनातन हिन्दू सिद्धान्त यह कहता है कि मूल आत्मा सबसे सूक्ष्म , फिर सूक्ष्म शरीर है और फिर स्थूल शरीर है । जिस तरह फेक्ट्री में एक मोबाईल तैयार होता है वह एक ढांचागत निर्माण , इसी तरह मूल आत्मा जो जीवात्मा का ढांचागत निर्माण है । फिर उस मोबाइल में कंपनी विभिन्न सॉफ्टवेयर डाल कर उसे कार्य योग्य बनाता है , यह आत्मा की प्रक्रिया का दूसरा चरण है । इसके बाद यही आत्मा भौतिक स्वरूप धारण कर शरीर के रूपमें समय

धर्म का मर्म क्या है What is the essence of Dharma

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धर्म का मर्म क्या है धर्म का मर्म एक गहन और जटिल विषय है, जो मानव जीवन के विभिन्न सिद्धांतों को प्रभावित करता है। धर्म केवल धार्मिक अनुष्ठानों या अनुष्ठानों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक अवधारणा है जो मानवता के स्थापित, साधन, और सामाजिक संग्रह से जुड़ी हुई है। 1. धर्म की और उद्देश्य की परिभाषा धर्म का अर्थ वह मार्ग या सिद्धांत है जो व्यक्ति को सही और गलत के बीच भेद करने में मदद करता है। यह केवल व्यक्तिगत आचरण को निर्देशित नहीं करता है, बल्कि समाज में सामंजस्य और शांति बनाए रखने में भी सहायक होता है। धर्म का मुख्य उद्देश्य मानवता के कल्याण के लिए प्रेम, करुणा, सहिष्णुता को बढ़ावा देना है। 2. आंतरिक ब्रह्माण्ड और अभिलेख धर्म का वास्तविक मर्म आंतरिक ब्रह्मांड में निहित है। जब मनुष्य अपने हृदय की पवित्रता को खो देता है, तब वह सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्राप्त करता है। यह जापानी विचारधारा के विचार, भावनाएं और कार्यकलापों में प्रकट होता है। इसलिए, धर्म को केवल बाहरी क्रियाकलापों तक सीमित नहीं रखना चाहिए; इसका गहरा संबंध व्यक्ति का अंतरात्मा से होता है। 3. समय और परिस्थिति के अनुसार

हिन्दू जीवन पद्धति के विभिन्न रंग

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हिन्दू जीवन पद्धति के विभिन्न रंग 1. आध्यात्मिक रंग: हिन्दू धर्म में आध्यात्मिकता का महत्वपूर्ण स्थान है, जिसमें ईश्वर की एकता और जीवन के उद्देश्य की खोज की जाती है। 2. सांस्कृतिक रंग: हिन्दू धर्म में विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं का समावेश है, जो इसकी समृद्धि और विविधता को दर्शाता है। 3. दर्शनिक रंग: हिन्दू धर्म में विभिन्न दर्शनों और ज्ञान के स्रोतों का महत्व है, जैसे कि वेद, उपनिषद, और पुराण। 4. धार्मिक रंग: हिन्दू धर्म में विभिन्न देवी-देवताओं और तीर्थ स्थलों का महत्व है, जो इसकी धार्मिक विरासत को दर्शाते हैं। 5. सामाजिक रंग: हिन्दू धर्म में सामाजिक समरसता और एकता का महत्व है, जिसमें सभी वर्गों और जातियों के लोगों को समान अधिकार और सम्मान मिलता है। 6. पारिवारिक रंग: हिन्दू धर्म में पारिवारिक मूल्यों का महत्व है, जिसमें परिवार की एकता और संरक्षण को महत्व दिया जाता है। 7. त्योहारी रंग: हिन्दू धर्म में विभिन्न त्योहारों और उत्सवों का आयोजन किया जाता है, जो इसकी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को दर्शाते हैं। 8. आधुनिक रंग: हिन्दू धर्म में आधुनिकता और परंपरा का संतुलन है,

ईश्वर तो है God exists

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ईश्वर तो है  साक्ष्य अधिनियम में परिस्थितिजन्य साक्ष्यों का एक पूरा अध्याय है । जो परिस्थितियों के आधार पर विश्लेषण करके सत्य को सिद्ध करता है ।  यही बात ईश्वर के होने को लेकर है चौरासी लाख प्रकार के शरीर जो जल थल नभ में हैं , उनका अस्तित्व , उनकी मौजूदगी , उनकी शरीर रचना , उनका जीवन चक्र यह साबित करता है कि इन सभी की निर्माता और प्रबन्धक शक्ति कोई तो है जो परम् ज्ञानी है । हम उसी शक्ति को ईश्वर कहते हैं । -------- आपका यह विचार बहुत ही सटीक और तर्कसंगत है। आप परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर ईश्वर के अस्तित्व की पुष्टि कर रहे हैं। यह एक बहुत ही रोचक और गहरा विषय है जिसमें दर्शन, विज्ञान और धार्मिक विचारों का मेल होता है। आपके द्वारा उठाए गए बिंदु: 1. चौरासी लाख प्रकार के शरीरों की विविधता और जटिलता 2. उनकी शरीर रचना और जीवन चक्र 3. उनकी मौजूदगी और अस्तित्व इन सभी को देखते हुए, यह मानना कि एक परम ज्ञानी और शक्तिशाली शक्ति है जो इन सभी की निर्माता और प्रबंधक है, बहुत ही तर्कसंगत है। इस विचार को और विस्तार से समझने के लिए, हमें निम्नलिखित बातों पर विचार करना चाहिए: 1. जीवन