सिर्फ सगूफाई राजनीति , ई व्ही एम विलाप दिवस EVM
ई व्ही एम विलाप दिवस EVM lament day
मतगणना दिवस नहीं , ई व्ही एम कोसो दिवस
Not counting day, EVM hacking day
10 मार्च 2022 को बहुत सारे दल चुनाव हारेंगे और उनकी हार का कारण ई व्ही एम मशीनें होंगीं । क्यों कि वे यही कहेंगे कि जनता ने तो उन्हे वोट दिया था मगर सरकार से मिलीभगत कर चुनाव आयोग ने उन्हे हरवा दिया। खैर ये आरोप वर्षों से लगते आ रहे हैं और आगे भी लगते रहेंगें। इसलिये मतगणना दिवस का नाम बदल कर ई व्ही एम कोसो दिवस नामकरण कर देना चाहिये।
मानवीय कारस्तानी के बिना, ई व्ही एम में कोई भी छेड छाड हो नहीं सकती । अब यह भी यह आवश्यक है कि कुछ बूथों की मशीनों से गणना के अलावा, वोट ढालते समय कट कर जमा होनें वाली पर्चीयों की गणना से भी मिलान होता है। इसलिये अब मतगणना में हेरफेर असंभव है। बल्कि पहले जब वोट मतपत्र से डलते थे तब बडी धांधलियां हुआ करती थीं । वे अब पूरी तरह रूक चुकी है। इसके बावजूद गैर भाजपा दलों में यह ट्रेंड है कि वे अपनी हार का ठीकरा ई व्ही एम पर फोड देते है।
हलांकी चुनाव आयोग ने जब ई व्ही एम को हैक करने की चुनौती देते हुये राजनैतिक दलों को कहा था कि वे इसे करके दिखायें तब कोई भी दल नहीं गया था, यह सिर्फ सगूफाई राजनीति है।
जब दिल्ली में 70 में से 67 सीटें आप पार्टी को मिलीं थीं, तब भी ईव्हीएम ही था । बंगाल में भी ईव्हीएम ही था। तमिलनाडू में तो बैलेट पर हुये चुनावों में भी एक तरफा जीत के रिकार्ड है। जनता के निर्णय को स्विकारना चाहिये। उसे झुठलाने की कोशिश भी जनता का अपमान है।
ईव्हीएम पर हायतौबा मचानें से अच्छा है कि अपनी गिरेबान में झांक कर देखें कि कहां कमी रही ।
अखिलेश जी अच्छा होता पिता और चाचा का सम्मान करना सीख लेते !
यूपी की जहां तक बात है, अखिलेश यादव नामक बडबोला अहंकारी बदतमीज के नेतृत्व में सपा ने कभी कोई चुनाव नहीं जीता है। अखिलेश जब मुख्यमंत्री बनें थे तब भी चुनाव मुलायम सिंह के नेतृत्व में जीता गया था तब किसी को पता भी नहीं था कि मुख्यमंत्री अखिलेश बन सकता है और अखिलेश मात्र पुत्र होनें से मुख्यमंत्री बन गये थे।
इस चुनाव में सपा चुनाव तो हारेगी ही साथ ही यह अब वह बिखर भी जायेगी, इस पार्टी का हाल भी वही होगा जो कांग्रेस का हुआ है।
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क्या ईवीएम में हैकिंग संभव है?
भारत में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) पूरी तरह से सुरक्षित है. चुनाव आयोग कई मौकों पर दावा कर चुका है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में किसी भी प्रकार की हैकिंग संभव नहीं है. हालांकि, अलग-अलग पार्टियों द्वारा समय-समय पर ईवीएम में हैकिंग का आरोप लगाया गया है, लेकिन कभी भी इसका कोई प्रमाण नहीं मिला. ईवीएम मशीन के सॉफ्टवेयर की जांच एक्सपर्ट की निगरानी में की जाती है. साथ ही बता दें कि मशीन में उम्मीदवार का नाम किस क्रम में होगा, यह पहले से तय नहीं होता. ऐसे में मशीन को हैक करने की कोई संभावना नहीं है. भारतीय ईवीएम किसी भी प्रकार के नेटवर्क पर काम नहीं करती.
केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी ने कहा, “EVM विलाप मंडली का हार से पहले हाहाकार शुरू हो गया है। कभी इन्होंने चुनाव आयोग पर सवाल खड़े किए, कभी अधिकारियों पर सवाल खड़े किए। उनको कभी इस बात का अहसास ही नहीं हुआ कि जनता उनके साथ क्या करने वाली है।”
इसके अलावा EVM से छेड़छाड़ के आरोपों पर यूपी सरकार में मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा, “विपक्ष के आरोप बेबुनियाद हैं। कल EVM खुलेंगी, विपक्ष ने अपनी पराजय पहले ही स्वीकार कर ली है। 2017 में ही जनता ने उन्हें खारिज़ कर दिया था। कुछ परिवारों तक, जाति विशेष के कुछ लोगों तक अखिलेश की सरकार सीमित थी।”
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