विश्व की कपटनीति में फंसें यूक्रेन को करना पड़ेगा आत्म समर्पण - अरविन्द सिसौदिया

विश्व की कपटनीति में फंसें यूक्रेन को करना पड़ेगा आत्म समर्पण - अरविन्द सिसौदिया
Ukraine will have to surrender if caught in world's diplomacy - Arvind Sisodia

 

 

आज जब रूस - यूक्रेन युद्ध के 24 दिन गुजर गये हैं तब यह बहुत ही स्पष्टता से महसूस किया जा रहा है  कि विश्व की महाशक्ति व्यवस्था न केबल पंगु हो चुकी है, बल्कि पूरी तरह से अविश्वसनीय है और कायर भी है तथा कपटपूर्ण भी है। इसके चक्कर में फंस कर यूक्रेन का महाविनाश हो गया है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का स्टेंड सही साबित हो रहा है, उन्होनें भारत को फंसने से बचा लिया है।

 Today, when 24 days have passed since the Russia-Ukraine war, it is very clearly felt that the world's superpower system is not only cable crippled, but completely unreliable and cowardly and fraudulent. Ukraine has been devastated by being trapped in this affair. The stand of the Prime Minister of India, Narendra Modi, is proving to be correct, he has saved India from being trapped.

 

जब से अमरीका के राष्ट्रपति का कार्यभार जो बाइडन ने संभाला तब से ही विश्व व्यवस्था, अनुशासन एवं नियम कायदे के मामले में पूरी तरह से विफल हो चुकी है। जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। अफगानिस्तान से भागने के बाद, अमरीका की शक्ति का भय लगभग समाप्त हो गया है।

 Ever since Joe Biden took over as US President, the world order has been a complete failure in terms of discipline and rules and regulations. Whose stick, his buffalo proverb is being fulfilled. After fleeing Afghanistan, the fear of US power is almost gone.

रूस की ओर से लगातार 24 वें दिन भी इक तरफा युद्ध जारी है। इस दौरान अमरीका सहित विश्व व्यवस्था,संयुक्त राष्ट्रसंघ एवं अर्न्तराष्ट्रिय न्यायालय ने रूस पर तमाम प्रतिबंध लगाये हैं एवं उसको धमकी भी दी , युद्ध की निंदा-आलोचना भी की है
किन्तु यह मात्र हवा हवाई साबित हुईं, यूक्रेन को कोई भी फायदा नहीं हुआ है।

One-sided war continues for the 24th consecutive day from the Russian side. During this time, the world order including America, the United Nations and the International Court of Justice have imposed all kinds of sanctions on Russia and threatened it, condemned and criticized the war. But it proved to be mere air, Ukraine has not got any benefit.

अब लग यह रहा है कि यूक्रेन को रूस के साथ, रूस की शर्तों पर संधि करनी ही होगी । वह कहां तक अपनी बर्बादी को सहन कर सकता है। उसके बडे बडे नगरों को पूरी तरह तबाह कर दिया गया है। 

Now it seems that Ukraine will have to make a treaty with Russia, on Russian terms. To what extent can he bear his loss? Its great cities have been completely destroyed.

विश्व को अमरीकी नेतृत्व के चक्रव्यूह से बाहर निकल कर, एक नई व्यवस्था बनानी होगी । जो विश्व के तमाम देशों में लोकतंत्र , मानव मूल्यों एवं उनकी सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था कर सके। इसके लिये संयुक्त राष्ट्र संघ में व्यापाक बदलाव भी करने पडेगें। अभी कोई सुधार नहीं दिख रहा मगर आवश्यकता अविष्कार की जननी होती है। आने वाले समय का इंतजार करना ही होगा ।

The world has to come out of the maze of American leadership and forge a new order. Which can make a strong system of democracy, human values ​​and their security in all the countries of the world. For this, comprehensive changes will also have to be made in the United Nations. No improvement is visible right now but necessity is the mother of invention. Will have to wait for the time to come.
 


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रूस यूक्रेन युद्ध और पंगु विश्व व्यवस्था
24 वां दिन ,
शतुर्मुग की तरह महाशक्तियां मुंह छिपाये खडीं हैं।

Russia-Ukraine:
यूक्रेन के खिलाफ बड़े सैन्य अभियान की घोषणा करते हुए राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा एवं प्रतिबंधों को नजरंदाज किया,इजरायल सरकार (Israeli government) ने यूक्रेन (Ukraine) पर रूस (Russia) के हमले की निंदा करते हुए इसे विश्व व्यवस्था का उल्लंघन बताया

Russia Ukraine War: 

नहीं थमेगा युद्ध! और हिंसक हमलों की तैयारी में रूस, अपने सैनिकों को आर्मेनिया से यूक्रेन भेजेगा


रूस-यूक्रेन रुख एक दूसरे के करीब
मेदिंस्की की टिप्पणी को रूसी समाचार एजेंसियों ने इस प्रकार उद्धृत किया, ‘तटस्थ दर्जा और यूक्रेन की नाटो की सदस्यता से दूरी वार्ता का मुख्य बिंदु है और इस मामले में दोनों पक्षों का रुख एक-दूसरे के करीब पहुंच रहा है.’ उन्होंने कहा कि अब यूक्रेन के विसैन्यीकरण के लिए दोनों पक्षों ने ‘करीब आधा रास्ता’ तय कर लिया है. मेदिंस्की ने रेखांकित किया कि कीव जोर दे रहा है कि यूक्रेन के रूस-समर्थित पूर्वी अलगाववादी क्षेत्र को उसके अधीन लाया जाए, जबकि रूस का मानना है कि इलाके के लोगों को स्वयं अपनी किस्मत का फैसला करने की अनुमति दी जाए.

विमान उपकरण, जहाज से लेकर जहां बनते थे ट्रैक्टर, वे शहर अब हो गए खंडहर
रूस ने यूक्रेन के जिन शहरों पर हमला बोला है वो यूक्रेन की रीढ़ हैं। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निर्देश पर रूसी सेना जैसे इन शहरों पर ताबड़तोड़ हमले कर रही है उससे स्पष्ट है कि रूस यूक्रेन के आर्थिक और शैक्षणिक गलियारे को ध्वस्त कर देना चाहता है।

 

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