क्या प्रधानमंत्री मोदी की हत्या की कोशिश हुई थी यूक्रेन में ? गलती से मलिशियाई पैसेंजर फ्लाईट मार गिराया था !
यह स्टोरी वाट्सएप्प पर चल रही है, यदि यह सही है तो गंभीरता से इसकी जांच होनी ही चाहिए - अरविन्द सिसोदिया
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17 जुलाई, 2014 का वो दिन याद है ना हम भारतीय नागरिकों या नहीं? नहीं याद है तो मैं न्यूटन मिश्रा बता रहा हूं आप सब भारत वासियों को, जान लीजिए और अपनी खोई या भूली-बिसरी यादाश्तों को दुरूस्त कर लें। उस दुर्घटना का न्यूज लिंक भी यहां साझा कर रहा हूं -
भारत के मौजूदा पीएम नरेंद्र मोदी 17 जुलाई, 2014 को यूक्रेन के एयरस्पेश का इस्तेमाल करते हुए Air India One से जर्मनी के फ्रैंकफर्ट से युक्रेन के रास्ते दिल्ली आ रहे थे।
यह तो पता होगा न कि जब किसी भी देश का राष्ट्राध्यक्ष दुसरे देश में जाते समय और वहां से आते समय जिस एयररूट का इस्तेमाल करता है। उस रूट में आने वाले उन सभी देशों के एयरस्पेश को इस्तेमाल करने के लिए उन सभी देशों की सरकारों से यात्रा करने वाला देश एनओसी लेता है और जिस दौरान वो राष्ट्राध्यक्ष यात्रा करता है उस एयर रूट पर उस दौरान कुछ मिनट पहले और कुछ मिनट बाद तक हर तरह के फ्लाईट के लिए नो फ्लाईंग जोन घोषित रहता है उन देशों द्वारा।
लेकिन बावजूद तब एक संयोगवश कहें या प्रयोगवश कहें युक्रेन के एयरस्पेस में एक घटना को युक्रेन द्वारा अंजाम दिया गया था। लेकिन, गलती से उस मिसाईल ने मलेशिया के यात्री विमान Malaysia Airlines flight MH17 को मार गिराया था, जो आज भी यानी अभी वर्तमान समय में भी रहस्य बनी हुई है।
ये अलग बात है कि भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ और भारतीय कूटनीति के दबाव के चलते युक्रेन के मौजूदा राष्ट्रपति व्लादिमिर जेलेंस्की की नेतृत्व वाली युक्रेन की सरकार ने जानकारी मुहैया कराई थी जिसके बाद 9 मार्च, 2020 से नीदरलैंड की कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई थी ना कि युक्रेन के कोर्ट में, यह ध्यान रखने और देने वाली बात है।
खैर, विमान को मार गिराने के मामले में चार लोगों को पांच साल बाद यानी 2014 की घटना के लिए 2019 में आरोपी बनाया गया था। जिसपर फैसला 2020 में दिया गया था। जिसमें तीन रूसी मूल के (जो पूर्वी यूक्रेनी शहर डोनेट्स्क के निवासी हैं।) जबकि एक यूक्रेनियन (यह भी पूर्वी यूक्रेनी शहर डोनेट्स्क का नागरिक है।) नागरिक को बली का बकरा बनाया था। जिसपर आज भी दुनिया के तमाम जानकारों, रक्षा विशेषज्ञों, अलग-अलग देशों की खुफिया एजेंसियों और भारतीय खुफिया एजेंसियों सहित भारत सरकार को संदेह है।
बहरहाल, डच की अगुवाई वाली संयुक्त जांच टीम ( JIT ) ने युक्रेन सरकार द्वारा मुहैया कराई गई जानकारियों आधार पर आरोपियों की पहचान रूस के इगोर गिरकिन ( Igor Girkin ), सर्गेई डबिन्स्की ( Sergei Dubinsky ) और ओलेग पुलाटोव ( Oleg Pulatov ), जबकि यूक्रेन के लियोनिद खारचेंको ( Leonid Kharchenko ) के तौर पर की थी।
आज भी सबसे बड़ा सवाल दुनिया के तमाम विशेषज्ञों और भारतीय खुफिया एजेंसियों के साथ भारत सरकार को ये है कि चारों संदिग्धों ने आखिर किनके संकेत पर वह हमला किया था ? चारों आरोपियों में से रूसी मूल के नागरिक इगोर गिरकिन सबसे चर्चित चेहरा है। जिसके बयान के बाद यह सवाल उठा था कि आखिर जब इन चारों के निशाने पर मलिशियाई पैसेंजर फ्लाईट Malaysia Airlines flight MH17 नहीं थी तो वो लक्षित विमान था कौन? क्योंकि वह समय तो भारतीय पीएम का स्पेशल विमान Air India One के लिए निर्धारित था।
- अभियोजन पक्ष के अनुसार, इगोर (जो कि स्ट्रेलकोव के रूप में भी जाना जाता है) रूसी खुफिया सेवा FSB में एक पूर्व कर्नल रह चुका है। जिसे उस दौरान विद्रोहियों के कब्जे वाले पूर्वी यूक्रेन का शहर डोनेट्स्क में रक्षा मंत्री का पद दिया गया था।
इगोर गिरकिन ने अपने एक बयान में कहा था 'मैं केवल यह कह सकता हूं कि हमने मिलिशिया के बोइंग विमान Malaysia Airlines flight MH17 पर हमला नहीं किया है।' तब इस बात को पूरी दुनिया में और बल निल गया था कि फिर इनलोगों का टारगेट इंडियन पीएम नरेंद्र मोदी के स्पेशल विमान Air India One ही था। जो तब से लेकर आजतक रहस्य ही बना हुआ है।
- सेर्गेई डुबिंस्की (जिसे ख्यूरी के नाम से जाना जाता है), जो रूस के जीआरयू सैन्य खुफिया एजेंसी द्वारा नियुक्त किया गया था। अभियोजकों के अनुसार, सेर्गेई गिरकिन के डिप्टी थे और रूस के साथ नियमित संपर्क में थे।
- JIT के अनुसार ओलेग पुलाटोव (जिसे जीरुजा के रूप में जाना जाता है) GRU विशेष बलों के पूर्व सैनिक और डोनेट्स्क में खुफिया सेवा के प्रमुख है।
- अभियोजन पक्ष के अनुसार, यूक्रेन के लियोनिद खारचेंको जिनकी कोई सैन्य पृष्ठभूमि नहीं है, लेकिन पूर्वी यूक्रेन में एक कमांडर के रूप में एक लड़ाकू इकाई का नेतृत्व किया था।
दरअसल, पीएम नरेंद्र मोदी की फ्लाईट 17 जुलाई, 2014 को संयोग से दस मिनट लेट हो गई थी यानी दस मिनट विलंब से टेकऑफ लिया था। जिससे पीएम मोदी का विमान अपने निर्धारित समय से दस मिनट देरी से उड़ा रहा था और उससे पहले गलती से मलेशिया का यात्री विमान यूक्रेन के उस वायुक्षेत्र से गुजर रहा था। उस यात्री विमान का परिणाम पूरी दुनिया ने देखा था।
ये अलग बात है कि उस समय उस दुर्घटना को विश्व मीडिया खासकर युरोपियन-अमेरीकी मीडिया ने लगभग गायब ही कर दिया था। यहां तक की अधिकतर भारतीय मीडिया ने भी उस घटना को मीडिया कवरेज में ज्यादे तवज्जों नहीं दी थी।
जिस मलेशियन यात्री विमान को युक्रेनियन मिसाइल ने हिट कर मार गिराया था, उसमें विश्व के विभिन्न देशों के 298 मासूम यात्री सवार थे, उनकी कोई गलती नहीं थी। सोचिए, वर्ल्ड के उन मासूम 298 परिवारों पर क्या बीती होगी उस रोज, उस रात! किसी ने सोचा है उन 298 परिवारों के सिवाय?
आज वही युक्रेन अपने हस्र पर दुनिया से गुहार लगा रहा है। कितनी विडंबना और विचित्र कांफ्लीक्ट लिए वर्ल्ड ऑर्डर वाली जिओ-पॉलिटिक्स है ना यह? दुनिया के तमाम बुद्धिजीवी लोगों, राजनीतिक जानकारों, सामरिक एवं रक्षा विशेषग्यों का अनुमान था, यहां तक की आज भी है (आज भारत, युक्रेन पर गोल-मटोल रवैया दिखा रहा है तो आज उस बात की चर्चा वर्ल्ड मीडिया में तमाम एक्सपर्ट करने लगे हैं।) वह हिट यानी आक्रमण पीएम मोदी की फ्लाइट पर करना था। लेकिन, गलती से पीएम मोदी की फ्लाईट दस मिनट लेट होने के चलते मलेशिया का पैसेंजर फ्लाइट चपेट में आ गया था।
ध्यान रहे मेरे भारत वासियों कि वो दुर्घटना यूक्रेन के वायुक्षेत्र में हुई थी ना कि पोलैंड-नीदरलैंड- बुलगारिया -हंगरी-रोमानिया-जॉर्जिया-बेलारूस-स्वीडेन के क्षेत्र में। पाकिस्तान और यूक्रेन के आपस में जो घनिष्ठ संबंध या कहें गठजोड़ हैं ना, वह जग जाहीर है।
इसका ताजा सबूत, पिछले साल यानी 2021 में दीखा जब मौजूदा भारत सरकार के विरोध के बावजूद इसी व्लादिमिर जेलेंस्की ने टी-80 युद्धक टैंक को फिर से अपग्रेड करने वाली 85 मिलियन डॉलर वाली डील को भारत के शत्रु पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ साईन किया था। यह वही टी-80 टैंक हैं जो वर्ष 1999 में तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी जी और तत्कालीन रक्षामंत्री जॉर्ज फर्नाडीस के विरोध के बाद भी 320 टी-80 टैंकों को 650 मिलियन डॉलर में तब के युक्रेनियन राष्ट्रपति ने पाकिस्तान को बेचा था।
संयोग देखिए, आज उसी पाकिस्तान का मौजूदा प्रधान मंत्री कटोरा खान बोले तो इमरान खान रूस द्वारा युक्रेन पर आक्रमण वाले दिन ही युक्रेन के लाख मना करने के बावजूद रूस की यात्रा पर गया और मॉस्को में बिरयानी में लेगपीस चबा रहा है।
अब खुद सोचिए, आप सब कैसे देश के लिए हॉय-तौबा मचा रहे हैं और रूस को कोसे जा रहे हैं!
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