योगी सरकार -2 : सभी मिथक टूटे , योगी फिर से मुख्यमंत्री बनें
Yogi 2.0 Cabinet :-
योगी सरकार में दो डिप्टी सीएम,
16 कैबिनेट मंत्री,
14 स्वतंत्र प्रभारी और
20 राज्यमंत्री
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Yogi 2.0 Cabinet:
योगी आदित्यनाथ ने अपने दूसरे कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री के तौर पर आज (25 मार्च) शपथ ले ली है. योगी आदित्यनाथ के बाद केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक ने डिप्टी सीएम के तौर पर शपथ ली. इसमें केशव प्रसाद मौर्य सिराथू सीट से सपा की डा. पल्लवी पटेल से कड़े मुकाबले में 7337 मतों से हार गए थे. हालांकि उन पर भरोसा जताते हुए योगी आदित्यनाथ ने अपनी सरकार ने दोबारा उन्हें डिप्टी सीएम बनाया है. वहीं ब्रजेश पाठक ने लखनऊ कैंट से सपा के सुरेंद्र सिंह गांधी को 39512 मतों से हराया था.
पिछली योगी सरकार में डिप्टी सीएम रहे दिनेश शर्मा, श्रीकांत शर्मा, सिद्धार्थनाथ सिंह, मुकुट बिहारी वर्मा को इस बार मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई है.
कैबिनेट मंत्री :-
सुरेश कुमार खन्ना
सूर्य प्रताप शाही
स्वतंत्र देव सिंह
बेबी रानी मौर्य
लक्ष्मी नारायण चौधरी
जयवीर सिंह
धर्मपाल सिंह
नंद गोपाल गुप्ता
भूपेंद्र सिंह चौधरी
अनिल राजभर
जितिन प्रसाद
राकेश सचान
अरविंद कुमार शर्मा
योगेंद्र उपाध्याय
आशीष पटेल
संजय निषाद
राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) :-
नितिन अग्रवाल
कपिल देव अग्रवाल
रवींद्र जायसवाल
संदीप सिंह
गुलाब देवी
गिरीश चंद्र यादव
धर्मवीर प्रजापति
असीम अरुण
जेपीएस राठौर
दयाशंकर सिंह
नरेंद्र कश्यप
दिनेश प्रताप सिंह
अरुण कुमार सक्सेना
दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’
राज्य मंत्री :-
मयंकेश्वर सिंह
दिनेश खटीक
संजीव गोंड
बलदेव सिंह ओलख
अजीत पाल
जसवंत सैनी
रामकेश निषाद
मनोहर लाल मन्नू कोरी
संजय गंगवार
बृजेश सिंह
केपी मलिक
सुरेश राही
सोमेंद्र तोमर
अनूप प्रधान ‘वाल्मीकि’
प्रतिभा शुक्ला
राकेश राठौर गुरु
रजनी तिवारी
सतीश शर्मा
दानिश आजाद अंसारी
विजय लक्ष्मी गौतम
योगी ने वापसी कर रिकॉर्ड बनाया और मिथक भी तोड़े :-
योगी आदित्यनाथ ने यूपी में लगातार दोबारा सरकार बनाकर रिकॉर्ड बनाया तो कुछ मिथक भी तोड़े. वह प्रदेश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो पांच साल सरकार में रहने के बाद दोबारा वापसी किया तो नोएडा दौरे और राम मंदिर का दर्शन के बाद सरकार चली जाने के मिथक को भी तोड़ दिया.
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सभी मिथक टूटे, योगी आदित्यनाथ फिर से मुख्यमंत्री बनें
25 Mar 2022
सियासत : जीत का दूरगामी संदेश
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी दल यानी भारतीय जनता पार्टी की स्पष्ट और प्रचंड बहुमत के साथ वापसी हुई और योगी आदित्यनाथ एक बार फिर सूबे के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने जा रहे हैं।
राष्ट्रवाद, सुशासन और विकास के मुद्दे पर हुए इस चुनाव में पश्चिम से लेकर पूरब तक भगवा लहर चल गई। इसके आगे विपक्ष का नकारात्मक गठजोड़ और विभाजनकारी जातिवादी राजनीति फेल हो गई। इस जीत का संदेश दूर तक जा रहा है।
स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर सदर सीट से एक लाख से अधिक मतों से जीत दर्ज की।
मिशन 2022 भाजपा के लिए काफी महत्त्वपूर्ण था क्योंकि यह 2024 में होने वाले आम लोक सभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा था। यूपी चुनाव में भाजपा के विरोधियों ने तमाम नैरेटिव सेट किए। कहा गया कि पश्चिम में भाजपा से किसान और जाट नाराज हैं, लेकिन नतीजों को देखकर ऐसा लगता है कि भाजपा से किसी भी वर्ग के मतदाता की कोई नाराजगी नहीं थी। वोट प्रतिशत भी 2017 से 2022 में बढ़ा है। यह बताता है कि विपक्ष के सभी प्रोपेगेंडा के बावजूद भारतीय जनता पार्टी का आधार कम नहीं हुआ बल्कि लोगों का समर्थन उसके साथ और बढ़ा है। यूपी में भाजपा की इस प्रचंड जीत के मुख्य कारण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा के करोड़ों कार्यकर्ता रहे। योगी आदित्यनाथ यूपी में बीजेपी के सबसे बडे कैंपेनर रहे। इस चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि प्रदेश के हर समाज, वर्ग, जाति, धर्म में आदित्यनाथ की स्वीकार्यता बन चुकी है।
इसकी प्रमुख वजह है उनकी सोच जो निरंतर प्रदेश के विकास की दिशा में कार्य करते हैं। योगी आदित्यनाथ ने इस जीत से कई अंधविश्वासों को तोड़ा है। इसकी एक वजह है ये है कि सीएम योगी संन्यासी हैं और संन्यासी हर चुनौती को स्वीकार करता है। यूपी चुनाव 2022 में योगी ने 37 साल से चला आ रहा एक अंधविश्वास तोड़ा।
1985 से कोई भी राज्य में लगातार दूसरी बार सीएम नहीं बना है। कांग्रेसी मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह 23 जून 1988 को नोएडा गए और कुछ समय बाद उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा। वीर बहादुर सिंह के बाद नारायण दत्त तिवारी, मुलायम सिंह यादव, कल्याण सिंह, रामप्रकाश गुप्ता से लेकर अखिलेश यादव तक मुख्यमंत्री बने, लेकिन नोएडा सबको डराता रहा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ताजनगरी में भी एक बड़ा मिथक तोड़ा। कहा जाता है कि जो सीएम आगरा में सर्किट हाउस में रु का वह दोबारा नहीं बना। जनवरी 2018 में ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आगरा के सर्किट हाउस में रुके। नम्बर एक पर रहना योगी आदित्यनाथ की आदत है। करीब ढाई दशक पहले जब वह उत्तर भारत की प्रमुख पीठों में शुमार गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी बने तभी वह देश के रसूखदार लोगों में शामिल हैं। इसके बाद से तो उनके नाम रिकार्ड जुड़ते गए। मसलन 1998 में जब वह पहली बार सांसद चुने गये तब वह सबसे कम उम्र के सांसद थे। 42 की उम्र में एक ही क्षेत्र से लगातार 5 बार सांसद बनने का रिकॉर्ड भी उनके ही नाम है।
मुख्यमंत्री बनने के पहले सिर्फ 42 वर्ष की आयु में एक ही सीट से लगातार पांच बार चुने जाने वाले वह देश के इकलौते सांसद रहे हैं। चार महीने बाद ही दुबारा वह सिरमौर बने। यकीनन ये सिलसिला जारी रहेगा, क्योंकि इसके लिए वह अथक परिश्रम करते हैं। कोरोना काल में पिता का निधन हुआ लेकिन मुख्यमंत्री ने पिता के अंतिम दशर्न और अंत्येष्टि में शामिल होने की बजाय प्रदेश की सेवा करने को प्राथमिकता पर रखा। कोरोना काल में लाखों मजदूरों की सकुशल घर वापसी हो या जीवन के साथ साथ जीविका बचाने की उनकी कोशिश हो, दूसरी लहर में ऑक्सीजन के लिए तडपते नागरिकों के लिए 500 से अधिक ऑक्सीजन प्लॉट सक्रिय कराने की व्यवस्था हो या टैंकर्स की मदद से प्रदेश में ऑक्सीजन की आपूर्ति कराना हो, सीएम योगी हर मोर्चे पर डटे रहे। उन्होंने प्रदेश के किसी एक जिले को अपना प्रिय जनपद नहीं बनाया, बल्कि हर जनपद को अपना प्रिय जिला मानते हुए विकास की गंगा-यमुना बहाई। पूर्वाचल एक्सप्रेसवे, बुंदलेखंड एक्सप्रेसवे, गंगा एक्सप्रेस वे योगी की सोच का सार्थक परिणाम है। आज प्रदेश के आधा दर्जन शहरों में मेट्रो दौड़ रही है। एक दर्जन से अधिक हवाई अड्डों से उडानें जारी हैं। बीते पांच साल में प्रदेश के इस चहुंमुखी विकास से योगी आदित्यनाथ ने पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और मायावती से बड़ी लकीर खींच दी, जिसका मुकाबला करना शायद ही किसी के बस में हो।
मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने प्रदेश में गन्ना किसानों के भुगतान को लेकर पिछली कई सरकारों से चली आ रही परिपाटी को बदलने की कोशिश की। आंकड़ों पर नजर डालें तो फर्क साफ दिखता नजर आता है। पश्चिमी यूपी में सपा सरकार से दोगुने से ज्यादा योगी सरकार ने गन्ना मूल्य का भुगतान किया। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ऐसे मुख्यमंत्री साबित हुए जिन्होंने हिंदुत्व के साथ विकास के मुद्दे को प्रमुख रखा। आदित्यनाथ ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वह हिंदुत्व और विकास के मुद्दों पर आज भी कायम हैं। उनके अनुसार, मेरा मुद्दा हिंदुत्व और विकास का है जो एक दूसरे के पूरक हैं। हिंदुत्व इस देश में विकास और सुरक्षा की गारंटी है और भाजपा का भी नारा सभी का विकास और सबका साथ है। योगी सरकार अपने पहले कार्यकाल से ही आस्था के सम्मान के साथ ही धार्मिंक पर्यटन को विस्तार दे रही है।
इससे आस्था के केंद्र से जुड़े क्षेत्रों के विकास की नई इबारत लिखी जा रही है। धार्मिंक पर्यटन के विकास से न सिर्फ क्षेत्र के बल्कि आसपास के लोगों के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध हो रहे हैं। साथ ही क्षेत्र के आधारभूत ढांचे का भी तेजी से विकास हो रहा है। योगी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में इस योजना को विस्तार देगी। योगी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में ही धार्मिंक क्षेत्र के विकास को प्राथमिकता पर रखा। अयोध्या, काशी और मथुरा सहित अन्य धार्मिंक स्थलों के विकास को तेजी बढ़ाया। सर्वे भवंतु सुखिन: के विचार को साकार करने वाली उनकी सोच प्रदेश के हर व्यक्ति के विकास की है चाहे वो किसी धर्म और जाति का हो। यह प्रदेश के लिए गौरव की बात है कि महंत योगी आदित्यनाथ जैसे व्यक्ति के हाथों में उत्तर प्रदेश का भविष्य सुरक्षित है।
(लेखक उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रदेश मंत्री हैं)
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