Suicide Note Dr. Archana Sharma of Dausa महिला डॉक्टर पर धारा 302 का केस दर्ज करनें वाला ही आत्महत्या का असली अपराधी है - अरविन्द सिसोदिया
The person who filed a case of section 302 on the woman doctor is the real culprit of suicide - Arvind Sisodia
महिला डॉक्टर पर धारा 302 का केस दर्ज करनें वाला ही आत्महत्या का असली अपराधी है - अरविन्द सिसोदिया
कोई डॉक्टर किसी मरीज की हत्या कर देगा , यह बात भारत में और विशेषकर हिन्दू जीवन पद्यती में न तो हो सकती है। न ही कल्पना की जा सकती है। मानवीय भूल, गलत समझ या कोई त्रुटी रही हो तो उसे 302 का जामा किसी भी तरह से नहीं पहनाया जा सकता।
राजनैतिक क्षेत्र में धरना प्रदर्शन दबाव जैसे कार्यक्रम वोट बैंक की राजनीति के कारणं चलते रहतें हैं। कानून व्यवस्था को बनाये रखनें के लिये भी इनकी जरूरत होती है। मगर कार्यवाही विवेकपूर्ण ही होनी चाहिये। विशेषकर तब जब मंत्रालय स्वयं मुख्यमंत्री के पास हो ।
पुलिस तो अच्छी तरह से जानती है कि धारा 302 क्या है। इसे किसी को सन्तुष्ट करनें या किसी के दबाव में नहीं लगाया जा सकता है। इसमें वास्तविक तथ्य होना चाहिये। कोई चाकू , झुरी से मर्डर नहीं किया गया था,कोई गोली थोडे ही मारी गई थी। कोई शत्रुता थोडे ही थी।
रिपोर्ट भले ही धारा 302 में दर्ज की हो मगर पुलिस को इसे तुरंत हटाना चाहिये था। लोकतंत्र में दबावों से धारायें नहीं लगवाई जा सकतीं है। क्यों की अतिरिक्त दबावपूर्ण कार्यवाही भी अपराध ही होता है, यह मानसिक प्रताणना तो थी ही। पुलिस ने इस प्रताणना को बनाये रख कर अपराध किया जिसकी परिणिती गोल्ड मेडिलिस्ट महिला चिकित्सक की आत्महत्या के रूप में सामनें आया है।
प्रथम दृष्टया पुलिस अधिक्षक के विरूद्ध कार्यवाही होनी चाहिये क्यों कि यह पुलिस के स्तर की गलती है। इतनी बडी गलती नहीं होनी चाहिये थी।
मुख्यमंत्री अशोक जी गहलोत जिम्मेवार लोगों पर भी 302 लगाओ....
जान मुफत में नहीं मिलती.....
यह सुसाइड नोट दौसा की डॉ. अर्चना शर्मा का है। आरोप है कि एक प्रसूता की मौत होने पर उनके खिलाफ कांग्रेस नेताओं ने धरना दिया और धारा 302 के तहत केस दर्ज करने के लिए मजबूर किया। इस सुसाईट नोट में परेशान करनें एवं प्रताणना का जिक्र है। इसके लिये जिम्मेवार अपराधी को ढंढूना मुख्यमंत्रीजी जो कि गृहमंत्री भी हैं का ही कर्त्तव्य बनता है। वह जो भी हो उसे गिरफतार करो और उस पर भी 302 की ही कार्यवाही होनी चाहिये।
वहीं राजस्थान के नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कॉन्ग्रेस को इसके लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि कॉन्ग्रेसी नेताओं के दबाव में पुलिस ने संवेदनहीनता की पराकाष्ठा पार कर दी है।
खुद को बेगुनाह साबित करने को फंदे से झूल गई महिला डॉक्टर, छोड़ गई झकझोर देने वाली सुसाइड नोट: प्रसव के दौरान मौत पर दर्ज हुआ था हत्या का केस
"डॉक्टर को इतना प्रताड़ित करना बंद करो। मेरा मरना शायद मेरी बेगुनाही को साबित कर दे। बेगुनाह डॉक्टरों को प्रताड़ित करना बंद करो प्लीज।"
राजस्थान, महिला डॉक्टर, सुसाइड
डॉ. अर्चना शर्मा ने की आत्महत्या
राजस्थान में महिला डॉक्टर अर्चना शर्मा ने खुद की बेगुनाही साबित करने के लिए आत्महत्या कर ली है। उन्होंने मंगलवार (29 मार्च 2022) को अपने घर में ही फाँसी लगा ली। एक सुसाइड नोट भी छोड़ा है। वे राजस्थान के दौसा जिले का लालसोट कस्बे की एक निजी अस्पताल में डॉक्टर थीं। प्रसव के दौरान एक महिला की मौत होने के बाद उसके परिजनों ने महिला डॉक्टर के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कराया था।
रिपोर्ट के मुताबिक, डॉ. अर्चना (42) और उनके पति डॉ. सुनीत उपाध्याय (45) का लालसोट कस्बे में आनंद नाम का अस्पताल है। पास में खेमवास गाँव है। वहीं के रहने वाले लालूराम बैरवा की पत्नी आशा गर्भवती थी और सोमवार को उन्हें प्रसव के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया। दोपहर में महिला की डिलीवरी कराई जाने लगी तो बहुत अधिक ब्लीडिंग होने के कारण मौत हो गई। हालाँकि, नवजात को बचा लिया गया। इसके बाद मृतक महिला के परिजनों ने मुआवजे की माँग को लेकर अस्पताल के बाहर धरना दिया। साथ ही डॉ. अर्चना के खिलाफ लालसोट थाने में हत्या की धारा 302 के तहत केस दर्ज कराया।
गायनेकॉलिजस्ट थीं डॉ अर्चना
डॉ. अर्चना शर्मा गायनेकॉलिजिस्ट थीं और 8 सालों से प्रैक्टिस कर रही हैं। उनके परिजन वंदना के अनुसार मंगलवार की सुबह करीब 11 बज वो जब घर की तीसरी मंजिल पर स्थित डॉ. अर्चना के कमरे में गई तो दरवाजा अंदर से बंद था। काफी देर तक आवाज लगाने के बाद भी उन्होंने दरवाजा नहीं खोला। इसके बाद अर्चना के पति ने धक्का मारकर दरवाजा खोला तो पाया कि वह फंदे से लटकी हुई थीं। लालसोट पुलिस थाना अधिकारी अंकेश चौधरी ने बताया कि पोस्टमार्टम के बाद शव स्वजनों को सौंप दिया गया है।
‘मेरा मरना शायद मेरी बेगुनाही साबित कर दे’
डॉ. अर्चना शर्मा ने एक सुसाइड नोट भी छोड़ा है। इसमें उन्होंने लिखा, “मैं अपने पति, बच्चों से बहुत प्यार करती हूँ। प्लीज मेरे मरने के बाद इन्हें परेशान मत करना। मैंने कोई गलती नहीं की। किसी को नहीं मारा। पीपीएच कॉम्प्लिकेशन है। इसके लिए डॉक्टर को इतना प्रताड़ित करना बंद करो। मेरा मरना शायद मेरी बेगुनाही को साबित कर दे। बेगुनाह डॉक्टरों को प्रताड़ित करना बंद करो प्लीज।”
इस बीच मृतक डॉक्टर के पति ने भी पुलिस में शिकायत कर आरोप लगाया है कि दबाव में पुलिस ने हत्या का केस दर्ज किया था। इस मामले में राजस्थान के डीजीपी एमएल लाठर ने कार्रवाई की बात कही है। वहीं जिले के एसपी अनिल कुमार का कहना है कि राजस्थान में फ्री रजिस्ट्रेशन पॉलिसी है। जाँच के बाद अगर सबूत नहीं मिलते तो धाराएँ हटा दी जाती हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, ऐसे मामलों में 302 नहीं लगता।
इस बीच डॉक्टरों के संगठन फेडरेशन ऑफ रेसीडेंट डॉक्टर एसोसिएशन (FORDA) ने राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत को पत्र लिखकर डॉ. अर्चना शर्मा के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने औऱ उन्हें मुआवजा देने की माँग की है।
वहीं राजस्थान के नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कॉन्ग्रेस को इसके लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि कॉन्ग्रेसी नेताओं के दबाव में पुलिस ने संवेदनहीनता की पराकाष्ठा पार कर दी है।
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