रूस - यूक्रेन युद्ध का सबक, आक्रामक नागरिकों निर्माण आवश्यक हो गया है - अरविन्द सिसोदिया
रूस यूक्रेन युद्ध सिर्फ भारत को ही नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व के सभी स्वतंत्र देशों के लिए एक सीखने , समझनें की पाठशाला भी है, कि आने वाले भविष्य में युद्ध किस तरह के होनें हैं, पिछले कुछ वर्षों में हमने एक युद्ध कोरोना वायरस से विश्व युद्ध किया, तो दूसरा युद्ध रूस की एक तरफा यूक्रेन पर आक्रमण, घातक हथियारों से विनाश की बरसात देख रहे हैं। इस युद्ध में हम यह भी देख रहे हैं कि अमेरिका और यूरोपीय संघ मदद को तैयार हैं, यूक्रेन के लिए वह आर्थिक मदद दे रहे हैं,किंतु लड़ने के लिए सैनिक नहीं हैं और रूस की सेना का मुकाबला करने के लिए मजबूत नागरिक नहीं है ।
इसलिए अब नई परिस्थितियों में कुछ बातें बड़ी स्पष्ट हो रही है और उनमें सर्वोच्च बात यह है कि नागरिकों को भी युद्ध के लिए प्रशिक्षित करना होगा । दुश्मन से सेना ही क्यों लडे़, सुख भोगनें वाले नागरिकों भी लडना चाहिये।
हथियारों की दौड़ में किसी भी नियम, कानून और वायदे का कोई औचित्य नहीं है, बल्कि जिसकी जितनी अधिक मारक क्षमता होगी वह उतना बड़ा है। इसलिए सर्वोच्च क्षमता के हथियार जुटानें होंगे।
इंटरनेट पर चलने वाले तमाम ऐप प्रोग्राम और सेवाएं सबका स्वदेशी करण करना होना ही चाहिए, सबके स्वदेशी संसाधन बनाने हैं और इसलिए इस युद्ध को बारीकी से देखना समझना चाहिए और हर देश को अपने - अपने आत्मनिर्भर संसाधनों की ओर बढ़ना चाहिए।
क्योंकि बिल्डिगों का विकास , भवनों का विकास , संसाधनों का विकास, सुरक्षा नहीं कर पाता। सुरक्षा के लिए हथियारों का विकास और हथियार लेकर लड़ने वाले नागरिकों की क्षमता की सर्वोच्च प्राथमिकता रहती है । अतः प्रशिक्षित और आक्रामक नागरिकों निर्माण आवश्यक हो गया है।
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रूस पर विश्व द्वारा लगाए जा रहे प्रतिबंधों के चलते आज रूस में एप्पल/गूगल पेमेंट सिस्टम काम नहीं कर रहा है, जिसके कारण रूस में लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इससे पता चलता है की अब युद्ध सिर्फ जंग के मैदान में या हथियारों तक सीमित नहीं रह गए हैं। बल्कि विविध सेवाओं एवं आपूर्तियों को प्रभावित करता है।
रूस पर लग रहे विभिन्न प्रतिबंधों को देखते हुए अब आपको समझ आ रहा होगा की मोदीजी का आत्मनिर्भर भारत अभियान कितनी दूरदर्शी सोच का हिस्सा है।
आज नहीं तो कल भारत को दो युद्ध लड़ना है, एक पाकिस्तान से और एक चाइना से। जब युद्ध होगा तो तमाम मोर्चों पर युद्ध होगा। जिसमे से आर्थिक और साइबर मोर्चा काफी अहम होगा। मोदी सरकार भारत को हर मोर्चे पर तेजी से आत्मनिर्भर बनाते हुए शक्तिशाली बना रही है।
आज भारत के पास:-
📌 अपना GPS सिस्टम है।
📌 अपना RuPay कार्ड है।
📌 अपना UPI सिस्टम है।
📌 अपनी Digital कर्रेंसी है।
📌 अपना Social Media प्लेटफार्म है।
📌 अपना Search इंजन है।
📌 अपना '₹' INR पर एक्सचेंज है।
📌 अपना Satelite नेटवर्क है।
📌 अपने Defence इक्विपमेंट्स है।
📌 अपनी Local Data Storage Policy है।
📌 अपना Medical Infrastructure है।
📌 अपना Strategic Crude Oil Reserve है।
🙌 अब भारत अपने ऑपरेटिंग सिस्टम (OS) पर भी तेजी से काम कर रहा है।
अब समझ आ जाना चाहिए कि आपातकाल में ये "भारत" के लिए कितने ज़रूरी हैं। मोदीजी एक बहुत बड़े दूरदर्शी लक्ष्य पर काम कर रहे हैं जो किसी भी आपातकाल परिस्थिति में विभिन्न मोर्चों पर भारत की सुरक्षा करेंगे।है
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