भारतीय नववर्ष विक्रम संवत,चैत्र शुक्ला प्रतिपदा की महिमा Varsh Pratipada



bhaarateey navavarsh vikram sanvat : chaitr shukla ekam varsh pratipada kee mahima
 
भारतीय नववर्ष विक्रम संवत : चैत्र शुक्ला एकम वर्ष प्रतिपदा की महिमा
Indian New Year Vikram Samvat: Glory of Chaitra Shukla Ekam Varsh Pratipada
 
सृष्टि का संवत जो कि वर्तमान में विक्रम संवत के नाम से पुकारा जाता है।
यह संवत 2079 जो कि 2 अप्रैल 2022 को वर्ष प्रतिपदा से प्रारम्भ हो रहा है।

! नए वर्ष की बधाइयाँ !!
भारतीय नव-वर्ष दिन - चैत्र शुक्ला प्रतिपदा की महिमा ध्यान से पढ़ने की कृपा कीजिये -

१- यह भारतीय काल गणना का प्रथम दिन है !
भारतीय काल गणना संसार की सब से प्राचीन काल गणना है जो कि पूर्णतः वैज्ञानिक भी है !
इसलिए भारतीय नव वर्ष -
हमें स्वतन्त्र हिन्दुस्थान में अपने गौरव पूर्ण स्वत्व का स्मरण दिलाता है !
जब कि '' अंगरेजी न्यू इयर '' पूर्णतः अवैज्ञानिक भी है और अपनी '' गुलामी '' को भी दर्शाता है !
२- यह सृष्टि के प्रारम्भ का दिन है ! ब्रह्मा जी ने इसी दिन से सृष्टि रचना प्रारम्भ की थी !
यह सृष्टि संवत का प्रथम दिन है
इसलिए यह सारे ससार का प्रथम दिन है, चाहे कोई माने या ना माने !
वैसे भी जिनको बाद में काल गणना की सूझ आयी और जो काल गणना आज तक भी अवैज्ञानिक है,
उनके '' न्यू इयर '' को महत्व देना कोई बुद्धिमानी नहीं है !
हमारा अपना नव वर्ष इसलिए भी सही है कि हमारी यह सृष्टि संवत की गणना पृथ्वी की आयु की वैज्ञानिक गणना से मेल खाती है !
३- महान दिग्विजयी राजा विक्रमादित्य ने भी इसी दिन से नया संवत प्रारम्भ किया, यह इस दिन की महत्ता भी बताता है और राजा विक्रमादित्य का अपने राष्ट्र के गौरव के प्रति अपना समर्पण भी दर्शाता है !
हम भी विक्रमादित्य के प्रति अपनी श्रद्धा को व्यक्त करने के लिए इस सृष्टि संवत को ही '' विक्रम संवत '' कहते हैं !
४- यह दिन दिग्विजयी राजा विक्रमादित्य की शकों पर विजय का स्मरण दिलाता है और ईस्वी सन का '' न्यू इयर '' पराधीनता का !
५- अन्य किसी गणना के प्रथम दिन को नव वर्ष मानना अज्ञानता का द्योतक है
क्योंकि
हिजरी और ईस्वी वर्ष गणना स्थूल, अपूर्ण और अल्प वैज्ञानिक है, ----
हिजरी गणना केवल चन्द्रमा के आधार पर और ईस्वी गणना केवल सूर्य के आधार पर की जाती है,
जब कि भारतीय गणना सूर्य, चन्द्र, और नक्षत्रों के आधार पर की जाती है,
इसलिए भारतीय काल गणना पद्धति सूक्ष्म, सम्पूर्ण, शुद्ध वैज्ञानिक और पूर्ण प्राकृतिक है ! ,
६- भारतीय काल गणना के मासों के नाम नक्षत्राधारित हैं ! किसी मास का नाम चैत्र इसलिए है कि इस मास की पूर्णिमा को चन्द्रमा चित्रा नक्षत्र में होता है, वैशाख में विशाखा नक्षत्र में, ज्येष्ठ में ज्येष्ठा नक्षत्र में, आषाढ़ में उतराषाढ़ा नक्षत्र में, आदि आदि
दूसरी और ईस्वी महीनों के नाम तो बहुत हास्यास्पद हैं -----
जिस महीने सेप्टेम्बर का अर्थ सातवाँ होता है वह नवां है,
आठवां अर्थ वाला ओक्टोम्बर दसवां महीना है,
नवां अर्थ वाला नवम्बर ग्यारहवां महीना है
और दसवां अर्थ वाला दिसंबर बारहवां महीना है
७- सब जानते हैं कि अभी कुछ शताब्दी पूर्व तक अंग्रेजी वर्ष दस महीनों का होता था,
भारत से संपर्क आने पर भूल सुधार की कि बारह महीनों का वर्ष बनाया,
किन्तु दो नए महीने जोड़ते समय वे फिर भूल कर गए ---
यदि उनको ग्यारहवें और बारहवें स्थान पर रखते तो उनकी ही भाषा उनकी फजीहत तो न करती !
८- इसलिए -
'' एक जनवरी को नव वर्ष मनाना मूर्खता है ''
क्योंकि उस दिन कोई नयी बात नहीं हुई थी, न तो इतिहास में और न प्रकृति में !
जब कि
'' चैत्र शुक्ला प्रतिपदा '' देव निर्मित है,
शुद्ध रूप से प्राकृतिक व ऐतिहासिक नव वर्ष पर्व का दिन है !
यह हम भारतीयों की गौरव गाथा कह रहा है !
 

 

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