रूस विश्व का डिक्टेटर बननें की लडाई लड़ रहा है - अरविन्द सिसौदिया Russia Ukraine War
रूस विश्व का डिक्टेटर बननें की लडाई लड़ रहा है - अरविन्द सिसौदिया
Russia is fighting to be the dictator of the world
roos vishv ka diktetar bananen kee ladaee lad raha hai
एक समय था जब सम्पूर्ण विश्व में भारतीय सभ्यता का ढ़का बजता था। उसके द्वारा खोजी गईं 12 राशियां, 27 नक्षत्र , 7 दिन का सप्ताह , माह और वर्ष को सम्पूर्ण विश्व ने अपनाया । उसके तत्समय ज्ञात देवी देवताओं की पूजा विश्व में होती थी। देवीयों की पूजा के अवशेष एवं उदाहरण विश्व के तमाम क्षेत्रों में बहुतायत प्राप्त होते है। नंदी की पूजा के अवशेष , गणेश जी की पूजा के अवशेष लगभग समस्त विश्व में है। भारतीय संस्कृति
के आदि ग्रंथों में विश्व भर में भारतीय ज्ञान,विज्ञान एवं आध्यात्म के विस्तार एवं फैलाव की व्यापक चर्चा है। अर्थात एक समय विश्व को दिशा देनें का काम भारतीय करते थे। उस समय सामाजिक सुव्यवस्था का ज्ञान सबसे महत्वपूर्ण रहा है।
इसके बाद कई विचारधाराओं का,व्यवस्थाओं का अभ्युदय हुआ और समाप्त हो गईं। यूनान मिश्र रोमा मिट गये जहाँ से ....! विश्व में मानव सभ्यता का विकास भी करोड़ों वर्ष पूर्व से अपने अस्तित्व में है। भारतीय संस्कृति इसमें सबसे पुरातन वैभव एवं सर्वोच्च ज्ञान का अस्तित्व रखते हुए आज भी जीवित है। समय के साथ नये विचार नये देव नये पंथ भी उदित हुए और उनका वर्चस्व भी बना।बौद्ध पंथ का विस्तार, ईसाई पंथ का विस्तार, इस्लाम का विस्तार हुआ। फिर साम्यवाद और समाजवाद में दुनिया बंटी।
हाल की ही सहस्त्राब्दी की बात करें तो ब्रिटेन ने विश्व पर अपना वर्चस्व स्थापित किया था। उसके साम्राज्य क्षेत्र में सूर्य अस्त नहीं होता था। अर्थात उसका साम्राज्य इतना विशाल था कि उसमें सूर्योदय हमेशा बना रहता था। अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में ब्रिटेन उन लोगों को डालता था जो उसके बंदी थे या अवांक्षित थे। वही अमेरिका स्वतंत्र हुआ और उसकी ही नीति से द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अधिकांश औपनिवेशिक देशों को आजादी मिली। प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध भी विश्व नेतृत्व की सनक के कारण ही हुये थे।
कुल मिला कर पाश्चात्य सभ्यता का वर्तमान दौर अमानवीय एवं व्यावसायिक पूर्ती के साथ खडा हुआ है। सहायता या सहयोग नहीं उसके बदले धन एवं संसाधनों की आपूर्ति के लक्ष्यों ने वर्तमान विश्व को अमानवीय एवं हिंसक बना दिया है।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद लगभग अमेरिका ही विश्व की सबसे बड़ी शक्ति बनीं रही , क्योंकि उसने अपने समय के सबसे बडे मारक अणु बम का प्रयोग जापान के हिरोशिमा एवं नागासाकी पर करके लाखों लोगों की जान ले कर अपने आप को सबसे बडा कातिल साबित कर दिया था। जिससे पूरी दुनिया डर गई थी। इसके बाद यह शीत युद्ध चलता रहा। सोवितय संघ अर्थात तत्कालीन रूस लगातार विश्व वर्चस्व की कोशिश में रहा । इसी का फायदा उठाते हुए चीन ने भी अपने आपको मजबूत करना प्रारम्भ किया और वर्तमान में वह भी विश्व का नेतृत्व करने की मंशा से आगे बढ़ रहा है।
टर्निंग प्वाइंट - अमेरिका की गद्दी जो बाइडेन ने जबसे संभाली है, तब से ही तालिबानी पुनः सक्रिय हुये और उन्होनें अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा जमा लिया, अमेरिका हारे हुए देश की तरह जी हजूरी करता रहा । जबकि वह चाहता तो अपना रौब रुतबा बरकरार रख सकता था। इसका फायदा रूस और चीन ने उठाया और अपनी अपनी महत्वाकांक्षा पूरी करने का यही सबसे अच्छा समय माना ।
चीन ने एक तरफ कोविड को पूरे विश्व में फैला कर, विश्व अर्थव्यवस्था को चौपट कर दिया और उस दौरान स्वास्थ्य संसाधन एवं बचाव उपकरणों के निर्यात से अकूत धन दौलत कमाई। वहीं ताइवान को हड़पने के लिए कदम उठानें प्रारम्भ कर दिये। रूस से ताइवान को चीन का हिस्सा कहलवाया । रूस भी समझ वाला और चालाक देश तो है ही कई शताब्दियों से अमेरिका विरोधी ध्रुब बना हुआ है। अनुभव, शस्त्र और साजो सामान से परिपूर्ण है। उसने यूक्रेन पर हमला कर विश्व शक्ति बनने की अपनी पहल प्रारम्भ कर दी है।
सही बात तो यह है कि यूक्रेन तो बहाना है, रूस अपने आपको विश्व का सबसे बड़ा डिक्टेटर घोषित करना चाहता है। जो कि अभी तक अमेरिका था। इसलिए रूस कर दादागिरी अभी और मामलों में भी देखने को मिलेगी। आने वाले समय में विश्व स्तर की कई संस्थाऔं का स्वरूप् बदल जायेगा। वहीं कम्युनिष्ट एवं इस्लामिक हिंसा बढ़ेगी और सारे विश्व को अमानवीय स्थितियां परिस्थितियां देखनें का मिलेंगीं।
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अलकायदा चीफ ओसामा बिन लादेन की भविष्यवाणी सत्य होती प्रतीत हो रही है
जिस तरह की असहाय मानसिकता से अमेरिका एवं यूरोनियन यूनियन काम कर रहे है। उससे अलकायदा चीफ ओसामा बिन लादेन की भविष्यवाणी सत्य होती प्रतीत होती नजर आ रही है ।
ओसामा का मानना था कि बाइडन अयोग्य राष्ट्रपति साबित होंगे
एक रिपोर्ट में अलकायदा चीफ ओसामा बिन लादेन द्वारा 2010 के दौरान लिखी गई एक चिट्ठी का खुलासा किया गया। दावा किया गया है कि इस खत में लादेन ने बाइडन के राष्ट्रपति बनने का जिक्र किया था। साथ ही, कहा था कि बाइडन खुद ही अमेरिका के सामने दिक्कतों का अंबार खड़ा कर देंगे। ओसामा का मानना था कि बाइडन अयोग्य राष्ट्रपति साबित होंगे।
अलकायदा को दी थी यह चेतावनी
दरअसल, 9/11 हमले के बाद अमेरिका ने लादेन और अलकायदा से बदला लेने के लिए अफगानिस्तान पर हमला कर दिया था। जंग के दौरान लादेन कभी अमेरिका के हाथ नहीं आया। 10 साल बाद यानी 2 मई 2011 को अमेरिका ने उसे पाकिस्तान के एबटाबाद में ढूंढ निकाला और सीक्रेट मिलिट्री ऑपरेशन में मार गिराया। इससे पहले 2010 में लादेन ने 48 पन्नों की लंबी चिट्ठी शेख महमूद नाम के शख्स को लिखी थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस चिट्ठी में ओसामा ने अपने संगठन अलकायदा को चेतावनी दी थी कि वह जो बाइडन को अपने निशाने पर न ले। ओसामा का मानना था कि अगर तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा को कुछ होता है तो उनका उत्तराधिकारी (जो बाइडन) अमेरिका को बड़ी मुश्किल में फंसा देगा।
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