कामदेव के पुर्न जीवन का उत्सव रंगपंचमी Rangpanchami

रंग पंचमी
Rangpanchami festival
कामदेव के पुर्न जीवन का उत्सव रंगपंचमी  

होली में यूं तो पांच दिन तक त्यौहार मनाया जाता है। अब ज्यादातर जगह होली दहन के दूसरे दिन रंगोंत्सव मना लिया जाता है। किन्तु गोवा, मालवा मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र एवं उत्तर भारत के कई स्थानों पर रंगों की होली रंगपंचमी के दिन मनाई जाती है । यह बहुत ही लोकप्रिय एवं आम जन उत्सव है । 

 


  इसके पीछे एक बहुत ही महत्वपूर्ण लोक कथा भी है - होलाअष्टक के दिन जब भगवान शिव ने कामदेव को भष्म कर दिया था तब पूरा संसार शोक मग्न हो गया था। सृष्टि में संतान उत्पति के सामने संकट उपस्थित हो गया था । देवी देवता सहित समस्त सृजनकर्ता  समस्याग्रस्त हो गये थे। बिना कामदेव के संसार को चलायेगे कैसे । तब सभी ने भगवान शिव की स्तुती की और उन्हे समाधान के लिये राजी किया । तब भगवान शिव जी ने कामदेव को पुनः जीवित करनें का आश्वासन दिया । इसी खुशी में पृथ्वी पर रंगपंचमी का उत्सव मनाया जाता है।

दूसरी कथा यह भी है कि भगवान श्रीकृष्ण ने राधाजी एवं गोपियों के साथ होली खेली थी इसी स्मृति में रंगपंचमी को रंगोत्सव मनाया जाता है।
 

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

छत्रपति शिवाजी : सिसोदिया राजपूत वंश

संघ नें हिंदुत्व को नई प्राणशक्ति दी हैँ - अरविन्द सिसोदिया

रामराज के सिद्धांत को जिला प्रशासन को अपनाना ही चाहिए - अरविन्द सिसोदिया

हिन्दु भूमि की हम संतान नित्य करेंगे उसका ध्यान

कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान

खींची राजवंश : गागरोण दुर्ग

ऋषि, मुनि, साधु और संन्यासी

"जननी जन्मभूमि स्वर्ग से महान है"।