मुझे अच्छी तरह याद है कि कोटा से रघुवीर सिंह कौशल लोकसभा सांसद थे और में उनके साथ में अटैच था. मैनें स्वयं कई समाचार पार्वती कालीसिंध और चंबल को जोड़ने के लगाए थे. नदियों को जोड़ने क़ी योजना से देश को होने वाले व्यापक आर्थिक उत्थान पर इण्डिया टुडे का एक पूरा अंक समर्पित रहा था. अटलजी क़ी इस महान योजना का सर्वाधिक विरोध साम्यवादियों और कांग्रेसजन ने किया, सुप्रीमकोर्ट में भी संभवतः यह मामला गया, तथाकथित प्रकृतिप्रेमियों नें भी खूब अवरोध खडे किये.
रघुवीर सिंह जी कौशल और में स्वयं भी कृषि से जुड़े रहे हैँ, हम इस योजना से काफ़ी खुश थे.जिस खेत को नहरी पानी उपलब्ध होता है वही मुनाफा देता है. बिजली की मोटर और डीजल इंजन काफ़ी महंगे पड़ते हैँ.
तब केन बेतवा और पार्वती काली सिंध चंबल को जोड़ने क़ी दो योजनाओं पर काम चिन्हित हुआ था. जिसमें पार्वती कालीसिंध और चंबल जोड़ने कुछ बड़े जलाशय बनाने और बनास में अतिरिक्त पानी डालने क़ी बात थी. यह संभव भी इसलिए लग रही थी की दोनों राज्यों में भाजपा की सरकारें भी थीं. किन्तु यह सपना अधूरा ही रहा. अटलजी का सबसे महत्वपूर्ण और व्यापक राष्ट्रहितकारी यह स्वप्न अब पूरा होनें की तरफ बढ़ रहा है.
राष्ट्रहित के कसम हों अथवा जनहित के काम हों, प्रत्येक कार्य में अवरोध खड़ा करना कांग्रेस का कल्चर बन गया है. जबकि विपक्ष का कार्य ही जनसमस्याओं पर ध्यान आकर्षण और निदान करवाना होता है. अब समस्याओं के समाधान में विपक्षी भूमिका न के बराबर हो गईं है. इसलिए जनहित में सरकारों को विपक्ष को नजर अंदाज करके ही चलना होगा.
भारत में नदियों को जोड़ने की पहली पटकथा अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने लिखी थी।
परियोजना का इतिहास
भारत में नदियों को जोड़ने की योजना का सबसे पहला विचार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में 2004 से पहले आया था। इस समय, उनकी सरकार ने देश में नदियों को जोड़ने और 31 नदी इंटर लिंक की पहचान के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण विकसित किया। हालाँकि, वाजपेयी सरकार के बाद राजनीतिक बदलावों के कारण यह परियोजना ठंडे बस्ते में चली गई।
वापसी और वर्तमान स्थिति
2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद रिवरो जॉइंट प्रोजेक्ट फिर से सक्रिय हो गया। मोदी सरकार ने इस परियोजना को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया और इसके तहत कई महत्वपूर्ण पहल शुरू कीं, जैसे कि केन-बेतवा नदी लिंक परियोजना। इसके अलावा, पार्वती-कालीसिंध-चम्बल नदियों को जोड़ने का प्रस्ताव भी सामने आया है, जिससे पूर्वी राजस्थान में जल संकट हल होने की बड़ी उम्मीद है।
परियोजना का लाभ
इस परियोजना से पूर्वी राजस्थान के 13 जलाशयों में जल आपूर्ति सुनिश्चित होगी और लगभग 7 लाख हेक्टेयर नई भूमि सिंचित होने की संभावना है। इससे कृषि उत्पादन में वृद्धि की उम्मीद है, जो क्षेत्रीय विकास में सहायक होगा। इसके अतरिक्त आद्योगिक एवं पेयजल आपूर्ति को भी पूरा किया जा सकेगा।
राजनीतिक विश्लेषण
यह परियोजना एक महत्वपूर्ण ग्रामीण आर्थिक उत्थान भी है। भाजपा इस परियोजना के माध्यम से राजस्थान के ग्रामीण अंचलके उत्थान के प्रयास कर रही है, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां पानी की कमी एक गंभीर समस्या है।
: निष्कर्ष
अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा शुरू किया गया रिवर जोडो प्रोजेक्ट अब नरेंद्र मोदी सरकार के तहत एक बार फिर से चर्चा का विषय बना हुआ है। यह योजना केवल जल संकट को हल करने का प्रयास नहीं है बल्कि कृषि विकास और क्षेत्रीय संतुलन बहाल करने का भी लक्ष्य है। इससे समग्र उत्थान और विकास होगा।
-------
अटल सरकार में हुए थे प्रयास
2002 में सूखे की स्थिति ऐसी थी कि केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकारों को भी इस ओर सोचना पड़ा था. सिंचाई का संकट गहरा गया था, ऐसे में देशभर की नदियों को आपस में जोड़कर सिंचाई की समस्या से निजात के लिए अटल सरकार में योजना बनाई गई. तत्कालीन पीएम अटलजी ने कमेटी तैयार कराई और तत्काल कार्ययोजना तैयार करने काेे कहा. मकसद था कि 60 नदियों को आपस में जोड़ दिया जाए ताकि बाढ़ के साथ-साथ सूखे की समस्या से भी निजात मिले. इसके लिए एक कार्यदल गठित किया गया. छह महीने में दल ने इस प्रस्ताव को सहमति दे दी. रिपोर्ट दो हिस्सों में बनाई गई थी, पहले हिस्से में दक्षिण क्षेत्र की नदियों को जोड़ा जाना था, वहीं दूसरेे हिस्से में उत्तर भारत की नदियों पर काम होना था.
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने किया विरोध
प्रधानमंत्री की इस योजना को सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रकृति से खिलवाड़ बताया. वर्तमान स्थिति में नदियों को जोड़ने की परियोजना की दिशा में जुलाई 2014 में केंद्र सरकार ने विशेष समिति के गठन को मंजूरी दी है. केन बेतवा लिंक परियोजना नदी जोड़ो योजना की पहली कड़ी है, नदी जोड़ो योजना प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का ड्रीम प्रोजेक्ट थी. 2002 में देश में पड़े भयंकर सूखे के चलते सरकार ने इस योजना पर बल दिया.
क्यों जरूरी है नदी जोड़ो योजना
देश में बड़ी संख्या में नदियां हैं. खासकर मानसून के दौरान बाढ़ का पानी बड़ी मात्रा में बेकार चला जाता है. देश में सतह पर मौजूद पानी की कुल मात्रा का 690 बिलियन क्यूबिक मीटर है, जिसका 65 फ़ीसदी पानी इस्तेमाल हो पाता है, जबकि बाकी पानी बेकार चला जाता है.नदियों को आपस में जोड़ने नदियों के पानी का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने का एक बेहतर उपाय है. इस प्रक्रिया में अधिक पानी वाली नदी को कम पानी वाली नदी से जोड़ा जाना है.
यह होते फायदे
नदियों को जोड़ने से पेयजल की समस्या कम होगी, सूखे और बाढ़ की समस्या का हल निकलेगा, आर्थिक समृद्धि का रास्ता भी खुलेगा, कृषि क्षेत्र में सिंचित भूमि का क्षेत्रफल बढ़ेगा, जल विद्युत की उपलब्धता भी बढ़ेगी और नहरों का विकास होगा. इसके अलावा नव परिवहन के क्षेत्र में प्रगति होगी और पर्यटन स्थलों का बड़े पैमाने पर विकास होगा.
-----------------2--------------
क्या है PKC-ERCP, वो प्रोजेक्ट जिससे बुझेगी राजस्थान के 21 जिलों की प्यास
क्या है PKC-ERCP, वो प्रोजेक्ट जिससे बुझेगी राजस्थान के 21 जिलों की प्यासPKC-ERCP प्रोजेक्ट से राजस्थान के झालावाड़, बारां, कोटा, सवाई माधोपुर, गंगापुर सिटी, करौली, धौलपुर, भरतपुर, डीग, दौसा, अलवर, खैरथल-तिजारा, जयपुर, जयपुर ग्रामीण, कोटपुतली-बहरोड़, अजमेर, ब्यावर, शाहपुरा, केकरी, टोंक और दूदू के 21 जिलों के सवा तीन करोड़ लोगों को लाभ होगा.
क्या है PKC-ERCP, वो प्रोजेक्ट जिससे बुझेगी राजस्थान के 21 जिलों की प्यास
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार, 17 दिसंबर को राजस्थान में पानी की कमी को दूर करने के लिए एक महत्वाकांक्षी परियोजना का शिलान्यास किया. पीएम मोदी ने राजस्थान में 46 हजार करोड़ से ज्यादा रुपयों की 20 से ज्यादा परियोजनाओं का लोकार्पण किया. ये राजस्थान में पानी की चुनौती का स्थायी समाधान निकालने का एक प्रयास हैं. इन परियोजनाओं से 11 नदियों को आपस में जोड़ा जाएगा जिनसे राजस्थान और मध्य प्रदेश के कई जिलों को लाभ होगा. इस परियोजना का नाम पार्वती-कालसिंध-चंबल-ईआरसीपी (PKC-ERCP) है. प्रोजेक्ट का शिलान्यास करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने जयपुर के दादिया में एक सभा में कहा,"आज PKC-ERCP परियोजना का शिलान्यास हुआ है. यह प्रोजेक्ट राजस्थान में पानी की चुनौती का समाधान करेगा...राजस्थान और मध्य प्रदेश की आने वाली पीढियों और सदियों का उज्जवल भविष्य आज इस मंच पर लिखा जा रहा है."
PKC-ERCP परियोजना से जुड़ी 5 मुख्य बातें
1 - परियोजना की जरूरत क्यों पड़ी?
राजस्थान भारत का सबसे बड़ा राज्य है. देश का 10.4 प्रतिशत भूभाग राजस्थान का हिस्सा है. लेकिन राजस्थान में केवल 1.16 प्रतिशत पानी (नदी जैसा सतह का पानी) और केवल 1.72 प्रतिशत भूगर्भ जल (ग्राउंड वाटर) है.
2 - क्या है ERCP?
Eastern Rajasthan Canal Project (ERCP)या पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना राजस्थान सरकार की एक परियोजना है. इसका उद्देश्य पूर्वी राजस्थान में पानी की कमी की समस्या का सामना करने वाले जिलों में पीने के लिए और सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराना है.
इसके तहत दक्षिण राजस्थान में चंबल नदी और उसकी सहायक नदियों में जमा होने वाले अतिरिक्त पानी को दक्षिण-पूर्वी राजस्थान के उन क्षेत्रों तक ले जाना है जहां पानी की कमी होती है.
राजस्थान सरकार ने वर्ष 2017-18 के बजट में इस प्रोजेक्ट की घोषणा की थी. तब राजस्थान में बीजेपी की सरकार थी और वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री थीं. तब इस परियोजना से लाभान्वित होने वाले राज्यों की संख्या 13 थी. बाद में राजस्थान में नए ज़िलों के गठन के बाद इनकी संख्या बढ़ कर 21 हो गई.
3 - क्या है PKC परियोजना
यह केंद्र सरकार की परियोजना है. वर्ष 2004 में केंद्र के जल संसाधन मंत्रालय ने पार्बती-कालीसिंध-चंबल (PKC) लिंक परियोजना के बारे में संबंधित राज्य सरकारों को रिपोर्ट सौंपी थी. इसके तहत पार्बती, नेवज और कालीसिंध नदियों में मानसून के महीनों में आने वाले अतिरिक्त पानी को चंबल नदी में मोड़ने का प्रस्ताव किया गया था. इसके बाद राजस्थान सरकार ERCP परियोजना लेकर आई.
4 - क्या है PKC-ERCP परियोजना
इस वर्ष 28 जनवरी 2024 को केंद्र सरकार की पार्बती-कालीसिंध-चंबल (PKC) और राजस्थान सरकार की (ERCP) परियोजना को एकीकृत कर दिया गया. इस सहमति पत्र पर या एमओयू पर दिल्ली में केंद्र सरकार के मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव की उपस्थिति में हस्ताक्षर हुए. उस वक्त इस परियोजना से राजस्थान के 13 और मध्य प्रदेश के भी 13 जिले इस परियोजना से प्रभावित होते. बाद में राजस्थान में नए जिले बनने से जिलों की संख्या बढ़ गई.
5 - राजस्थान के किन 21 जिलों को लाभ होगा?
PKC-ERCP प्रोजेक्ट से राजस्थान के 21 जिलों को लाभ होगा. ये जिले हैं - झालावाड़, बारां, कोटा, सवाई माधोपुर, गंगापुर सिटी, करौली, धौलपुर, भरतपुर, डीग, दौसा, अलवर, खैरथल-तिजारा, जयपुर, जयपुर ग्रामीण, कोटपुतली-बहरोड़, अजमेर, ब्यावर, शाहपुरा, केकरी, टोंक और दूदू. इससे 21 जिलों के सवा तीन करोड़ लोगों को लाभ होगा.
इस परियोजना से मध्य प्रदेश के भी मालवा और चंबल क्षेत्र के 13 जिलों को लाभ होगा.
------------3------------
केन-बेतवा लिंक और पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजनाओं से ग्वालियर क्षेत्र को लाभ मिलेगा
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में दुनिया की पहली नदी जोड़ो परियोजना आकार लेने जा रही है। उन्होंने इसे देश के लिए एक बड़ी सौगात बताया, जिसका लाभ मध्य प्रदेश, खासकर ग्वालियर क्षेत्र को मिलेगा। एक नहीं, बल्कि दो बड़ी परियोजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं। एक केन-बेतवा लिंक परियोजना, जिसका अनुमानित बजट 1 लाख करोड़ रुपये है और दूसरी पार्वती-काली-सिंध-चंबल लिंक परियोजना। शिवपुरी दोनों महत्वाकांक्षी पहलों से लाभान्वित होने वाला एकमात्र जिला होगा, जो राज्य के विकास में एक बड़ी उपलब्धि होगी।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ये परियोजनाएं प्रगति के एक नए युग का मार्ग प्रशस्त करेंगी, जिससे बुंदेलखंड क्षेत्र के 8.5 लाख निवासियों को लाभ मिलेगा और मध्य प्रदेश को भावी पीढ़ियों के लिए एक आदर्श राज्य बनने की राह पर ले जाएगा। ग्वालियर में जीवाजी विश्वविद्यालय के अटल बिहारी वाजपेयी अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर में युवा संवाद कार्यक्रम में छात्रों को संबोधित करते हुए डॉ. यादव ने नई शिक्षा नीति के परिवर्तनकारी प्रभाव के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि लॉर्ड मैकाले द्वारा शुरू की गई शिक्षा प्रणाली समग्र मानसिक विकास में बाधा डालती थी, वहीं नई नीति जिज्ञासा को बढ़ावा देती है और छात्रों के व्यापक व्यक्तित्व विकास के अवसर प्रदान करती है। युवा संवाद पहल का उद्देश्य जिज्ञासा को पोषित करना और छात्रों को विभिन्न क्षेत्रों में नवीनतम ज्ञान प्रदान करना है।
सत्र के दौरान, डॉ. यादव ने छात्रों की अनेक जिज्ञासाओं का समाधान किया और विभिन्न विषयों पर चर्चा की तथा प्रगतिशील मध्य प्रदेश के निर्माण में शिक्षा के महत्व पर बल दिया।
यादव ने कहा कि विज्ञान की दुनिया के अनूठे संग्रहालय का उद्घाटन हुआ है, जिससे ग्वालियर के लिए यह दिन खास बन गया है। सिंधिया स्टेट की दूसरी राजधानी उज्जैन काल गणना का केंद्र रही है। दुनिया में काल गणना को सूर्य या चंद्रमा से जोड़ा जाता रहा है। वहीं भारत में काल गणना का आधार नक्षत्र रहे हैं। यह काल की सबसे सूक्ष्म और सटीक गणना है। इसी परंपरा के आधार पर पंचांग हमें सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण और अन्य खगोलीय घटनाओं के बारे में स्पष्ट जानकारी देता है। सनातन संस्कृति की इस पद्धति ने देश के लोगों को काल की गणना को आसानी से समझने में मदद की है।
यादव ने विद्यार्थियों से भूगर्भीय गतिविधियों, खगोल विज्ञान, पृथ्वी की उत्पत्ति और मानव जीवन पर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने चंद्रमा और पृथ्वी के आपसी संबंध, ग्रहों का महत्व और मानव जीवन पर उनके प्रभाव, घड़ी के सिद्धांत और संत समाज की परंपराओं के बारे में विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं का समाधान किया।
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा है कि युवा न केवल प्रदेश और देश का भविष्य हैं, बल्कि विश्व का भी भविष्य हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव न केवल युवाओं से संवाद कर रहे हैं, बल्कि प्रदेश के हर क्षेत्र का निर्माण भी कर रहे हैं। उनमें मध्यप्रदेश को अग्रणी बनाने का जोश और जुनून है। उन्होंने युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए अनेक योजनाएं, औद्योगिक विकास के लिए सम्मेलन और उद्यमिता के लिए वजीफे की शुरुआत की है। यह युवा पीढ़ी मध्यप्रदेश का गौरव, भविष्य और निर्माता होगी। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में मध्यप्रदेश के युवा देश, प्रदेश और विश्व के निर्माण में अपनी सर्वश्रेष्ठ भूमिका निभाएंगे।
विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि मुख्यमंत्री यादव आज युवाओं से संवाद करने ग्वालियर आए हैं, मैं उनका हृदय से स्वागत एवं अभिनंदन करता हूं। उन्होंने कहा कि हम सब जानते हैं कि कोई भी संस्थान, क्षेत्र, राज्य या देश हो, उसका भविष्य उसके बच्चों में होता है। जब हम आजादी के 100 वर्ष पूरे करेंगे और पूरा विश्व आज के विकासशील भारत को देखेगा, तो आज की पीढ़ी इस विकास की साक्षी होगी। प्रधानमंत्री मोदी का प्रयास है कि भारत विश्व में एक विकसित राष्ट्र के रूप में उभरे, जिसके लिए सभी को एकजुट होकर योगदान देने की आवश्यकता है। विधानसभा अध्यक्ष ने महारानी लक्ष्मीबाई, सरदार भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को याद करते हुए कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में हमारे अधिकांश महान योद्धा भी युवा थे, जिन्होंने भारत की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें