दस प्वाइंट में समझें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी को Ex PM Manmohan Singh

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी का निधन हो गया है। वे आर्थिक मामलों के उच्चतम जानकर रहे हैँ। भारतीय राजनीती में उनके नाम कुछ अलग उपलब्धयां भी है जैसे:-
1-  वे राज्यसभा के सदस्य होकर प्रधानमंत्री थे जो प्रथमबार हुआ। अन्यथा सभी प्रधानमंत्री लोकसभा से हुये।
2- वे कांग्रेस के एकमात्र प्रधानमंत्री रहे को नेहरू परिवार से नहीं होकर भी लगातार दो कार्यकाल पूरे कर सके 
3- वे भारत के पहले सिख प्रधानमंत्री बने ।
4- उन्होंने वैश्वीकरण और उदारीकरण की शुरुआत की 
5- नरेगा योजना के द्वारा गांव के मजदूर को उसके घर के आसपास मजदूरी देनें का महत्वपूर्ण काम प्रारंभ किया।
6- सूचना का अधिकार उनके समय में दिया गया।
7- आधार कार्ड बनाने की योजना का प्रारंभ भी उन्ही के कार्यकाल की योजना रही।
8- अमेरिका से हुई न्यूक्लियर डील 
9- कृषि ऋणों की माफ़ी 
10- लोकपाल बिल पर भी उनके कार्यकाल में स्वीकृति मिली थी।
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आधार, मनरेगा और RTI... जानिए मनमोहन सिंह की उपलब्धियां, आर्थिक सलाहकार से पीएम बनने तक का सफर

आधार, मनरेगा और RTI... जानिए मनमोहन सिंह की उपलब्धियां, आर्थिक सलाहकार से पीएम बनने तक का सफर
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह साल 1982 से 1985 तक भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के नेतृत्व में साल 2005 में सूचना का अधिकार (RTI) कानून लागू किया गया। मनमोहन सिंह के कार्यकाल में ही साल 2009 में आधार कार्ड योजना की शुरुआत हुई।

भारत में आर्थिक सुधार के निर्माता कहे जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर 2024  को निधन हो गया। वे 92 साल के थे। मनमोहन सिंह को उनके घर पर बेहोशी आने पर दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था। एम्स में हर तरह के इलाज के बाद भी मनमोहन सिंह को होश में नहीं लाया जा सका। डॉक्टरों की टीम ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पूर्व पीएम के निधन से शोक की लहर दौड़ गई। 

देश को आर्थिक संकट से उबारा
योजना आयोग और रिजर्व बैंक से लेकर वित्त मंत्री के पद पर रहे डॉक्टर मनमोहन सिंह साल 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री रहे थे। उन्होंने देश को आर्थिक संकट से उबारने में अहम भूमिका निभाई थी। अर्थशास्त्री पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कैसे देश की दिशा और दशा बदल दी थी।

देश के वित्तीय क्षेत्रों में अहम पदों पर रहे
मनमोहन सिंह को देश में आर्थिक सुधारों के प्रणेता के तौर पर हमेशा याद किया जाएगा। उनका पूरा जीवन ही उपलब्धियों से भरा था। 10 साल तक देश के प्रधानमंत्री रहने के अलावा वो करीब 4 दशक तक देश के वित्तीय क्षेत्रों में अहम पदों पर रहे। उन्हें भारतीय अर्थव्यवस्था का उदारीकरण करने और उसमें नई जान फूंकने के लिए जाना जाता है। उनकी लिबरलाइजेशन, प्राइवेटाइजेशन और ग्लोबलाइजेशन की नीतियों से अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव आया। उनके कई कदम भारत के इतिहास में मील के पत्थर बन गए।

वैश्वीकरण और उदारीकरण की शुरुआत की 
सबसे पहले उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि की बात करें तो उन्हें देश के उदारीकरण का जनक कहा जाता है। बतौर वित्त मंत्री उन्होंने 1991 में वैश्वीकरण और उदारीकरण की शुरुआत की थी। तब देश का दरवाजा खोल उन्होंने दुनिया के साथ अहम आर्थिक और व्यापारिक डील करने का सिलसिला शुरू करवाया।

साल 2005 में लाए RTI कानून
सरकार को जवाबदेह बनाने के लिए मनमोहन सिंह के नेतृत्व में जून 2005 में सूचना का अधिकार (RTI) कानून लागू किया गया। इसी तरह सितंबर 2005 में उनकी सरकार ने रोजगार गारंटी योजना की शुरुआत की जिसमें प्रत्येक ग्रामीण परिवार को 100 दिन के रोजगार की गारंटी देने का कानून बनाया गया, बाद में यही योजना मनरेगा के नाम से मशहूर हुई। 

साल 2009 में आधार कार्ड योजना की शुरुआत
मनमोहन के कार्यकाल की अहम उपलब्धियों में जनवरी 2009 में पहचान के लिए आधार कार्ड योजना की शुरुआत को भी माना जाता है, जो आज देश के सभी नागरिकों की पहचान बन चुकी है। मनमोहन सिंह के दूसरे कार्यकाल के दौरान साल 2013 में देश के गरीब लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चत करने के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू किया। 

साल 2008 में कृषि ऋण माफी योजना
डॉक्टर मनमोहन सिंह की सरकार ने Direct Benefit Transfer सिस्टम को लागू किया, जिसने गरीबों तक पहुंचने वाले पैसों से जुड़ी कई खामियों को दूर किया। साल 2008 में कृषि ऋण माफी योजना भी शुरू की गई, जिसमें कृषि संकट को दूर करने के लिए 60 हजार करोड़ रुपए के ऋण माफ कर किसानों को काफी राहत प्रदान की गई। 

मनमोहन के कार्यकाल में अमेरिका से हुई न्यूक्लियर डील
आर्थिक क्षेत्र के इन बड़े कदमों के अलावा मनमोहन सिंह के कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धियों में मार्च 2006 में अमेरिका से हुई न्यूक्लियर डील सबसे प्रमुख है। इस समझौते के तहत, भारत को परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह (NSG) से छूट मिली। इसके तहत भारत को अपने नागरिक और सैन्य परमाणु कार्यक्रमों को अलग करने की अनुमति मिली। इस डील के तहत भारत को उन देशों से यूरेनियम आयात करने की अनुमति मिली, जिनके पास ये तकनीक है।

1972 में बनाया गया था आर्थिक सलाहकार
मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री बनने से बहुत पहले ही भारत के लिए अहम भूमिका निभाने लगे थे। साल 1966 से 1969 के दौरान संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के लिए आर्थिक मामलों के अधिकारी के रूप में चुने गए थे। 1971 में वो वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार नियुक्त किए गए, फिर 1972 में उन्हें वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार बनाया गया। इसके बाद वो योजना आयोग के उपाध्यक्ष बने।

1982 से 1985 तक रहे RBI के गवर्नर
मनमोहन सिंह साल 1982 से 1985 तक रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे। मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार और UGC के भी अध्यक्ष रहे। 1991 में उन्होंने पहली बार संसद में कदम रखा, जब उन्हें असम से राज्यसभा का सदस्य चुना गया, फिर 1995, 2001, 2007 और 2013 में फिर राज्यसभा के सदस्य बने। 1998 से 2004 के बीच वो राज्यसभा में विपक्ष के नेता भी रहे। 1991 से 1996 तक नरसिम्हा राव सरकार में मनमोहन सिंह वित्त मंत्री की अहम जिम्मेदारी निभाई। 

दो बार संभाली देश के पीएम की कमान
22 मई 2004 का दिन भारतीय राजनीति और कांग्रेस पार्टी के लिए एक ऐतिहासिक दिन साबित हुआ। डॉक्टर मनमोहन सिंह ने देश के 13वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। 13 मई को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री पद के लिए डॉक्टर मनमोहन सिंह का नाम प्रस्तावित किया था। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया। 22 मई 2004 को, पांच दिनों की चर्चाओं और सहमति के बाद डॉक्टर मनमोहन सिंह ने भारत के 13वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। इसके बाद वह लगातार दो बार देश के प्रधानमंत्री रहे।

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