सर्वश्रेष्ठ शासन तबही जब जनता को किसी नेता के पास जाने की जरूरत ही न पड़े - अरविन्द सिसोदिया

Arvind Sisodia:- विचार -
सर्वश्रेष्ठ शासन वह होता है , जहां जनता को किसी नेता के पास जाने की जरूरत ही न पड़े ! जनता को नेता के चक्कर लगाने पढ़े तो इसको  प्रशासन का फैलियर कहा जा सकता है ।

- यह विचार बहुत ही प्रासंगिक और महत्वपूर्ण है। एक आदर्श शासन वह होता है जहां जनता को अपनी समस्याओं के समाधान के लिए किसी नेता या अधिकारी के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ती है।

एक अच्छा शासन वह होता है जो अपनी जनता की जरूरतों को समझता है और उनकी समस्याओं का समाधान करने के लिए प्रभावी और पारदर्शी तरीके से काम करता है।

जब जनता को नेता के चक्कर लगाने पड़ते हैं, तो यह प्रशासन की विफलता का संकेत है। यह दर्शाता है कि प्रशासन अपनी जनता की जरूरतों को पूरा करने में असमर्थ है।

एक अच्छा शासन वह होता है जो अपनी जनता की आवाज सुनता है, उनकी समस्याओं का समाधान करता है और उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए काम करता है।

सर्वोत्तम शासन की परिभाषा

प्रस्तावना

सर्वोत्तम शासन का अर्थ एक ऐसा राजनीतिक और संवैधानिक ढांचा है जो नागरिकों को जिम्मेदारी देता है, जिससे उन्हें किसी भी नेता या सरकारी अधिकारी के पास जाने की आवश्यकता नहीं होती है। यह विचार इस बात पर आधारित है कि जब शासन प्रणाली संवेदनशील व प्रभावशाली होती है, तो जनता अपनी समस्याओं के समाधान के लिए बार-बार अधिकारियों के पास नहीं जाती है।

प्रशासन का महत्व

प्रशासन का मुख्य उद्देश्य जनता की सेवा करना और उनके जीवन को बेहतर बनाना है। अगर प्रशासन सही तरीके से काम कर रहा हो, तो जनता को अपने समाधान के लिए नेताओं या अधिकारियों के पास जाने की जरूरत नहीं है। इसका मतलब यह है कि सरकारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा शासनकार्य संवेदनशीलता से किया जा रहा है और नागरिकों की समस्याओं का समाधान समय से किया जा रहा है।

जनता की भागीदारी

एक सफल शासन में जनता की भागीदारी भी महत्वपूर्ण है। जब नागरिक अपने अधिकार और कर्तव्य के प्रति सजग होते हैं, तो वे अपने लक्ष्यों को सीधे प्रशासन तक पहुंचा सकते हैं। इससे न केवल उनकी समस्याओं का समाधान होता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित होता है कि सरकार उनकी बात सुन रही है। सरकार में कौनसा कार्य कहाँ होता है , इसका पर्याप्त प्रचार प्रसार होना आवश्यक है । जिससे जनता सही जगह अपना काम लेकर पहुंचे ।

प्रशासनतन्त्र की  विफलता

यदि जनता बार-बार नेताओं या अधिकारियों के पास है, तो इसे प्रशासन की विफलता माना जा सकता है। इसका संकेत यह हो सकता है कि:-

• सेवाओं में कमी:- सरकारी सेवा प्रदाता उपलब्ध नहीं हैं या वे समय पर उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं। अथवा वे लापरवाह या रिश्वतखोर हैं । उनकी पर्याप्त संख्या नहीं है।

• सूचना का अभाव:- नागरिकों को अपने कार्य निस्तारण के लिए उपयुक्त कार्यालय की जानकारी होना चाहिए, इस जानकारी को अधिकतम प्रचार प्रसार के द्वारा जनता के बीच सूचित किया जाना चाहिए । अच्छा हो कि स्थानीय कर्मचारी अथवा जनप्रतिनिधि इसकी संपूर्ण जानकारी समस्या ग्रस्त। व्यक्ति को बताये ।

• संवादहीनता तोड़ें :-  यदि सरकार और जनता के बीच संवाद का अभाव है तो शासन पर खराब असर होगा । सरकार को तो जनता से यह लगातार जानते रहना चाहिए कि उनका बाजिव काम समय पर हुआ अथवा नहीं हुआ । सरकार का काम प्रशासन को चुस्त  दुरुस्त और कार्यकुशल रखना है ।

* मंत्रिमंडल को संवेदनशील होना चाहिए :-
मूलतः सरकार के मंत्रिमंडल की यह जिम्मेदारी व जबावदेही बनती है कि प्रशासनतन्त्र ततपरता से कार्य करे और उसमें संवेदनशीलता हो । मंत्रिपरिषद को प्रशासनतन्त्र की नकेल कस कर रखे । जनता से प्रशासन की कार्यपद्धति पर समय समय पर राय ली जाती रहे ।

यह स्पष्ट होता है कि एक सफल शासन वह होता है जहां प्रशासन प्रभावी ढंग से , समयबद्धता से कार्य करता है और जनता को अपनी समस्याओं के लिए नेताओं के पास जाने की आवश्यकता नहीं होती है।

निष्कर्ष :-

इस प्रकार, सर्वश्रेष्ठ शासन वह होता है जहाँ प्रशासन इतना सक्षम हो कि किसी नागरिक को किसी नेता या अधिकारी से  मिलने की आवश्यकता न पड़े। जब प्रशासन सही तरीके से काम करता है, तब ही समाज में संतोष और विकास संभव होता है। तथा इस तरह की सरकारें स्थिर भी होती हैं ।

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