माता पिता की सेवा ही ईश्वर के प्रति सर्वोच्च अर्पण है mata pita ishwr ke saman


 
Arvind Sisodia: 
माता पिता की सेवा ही ईश्वर के प्रति सर्वोच्च अर्पण है।

विचार :-

बहुत ही सुंदर और सत्य विचार ! माता-पिता की सेवा करना वास्तव में ईश्वर के प्रति सर्वोच्च अर्पण है। यह विचार हमारे पारंपरिक सामाजिक और धार्मिक मूल्यों में भी प्रतिबिंबित होता है।

हिंदू सनातन धर्म में, माता-पिता को ईश्वर के समान माना जाता है। यह कहा जाता है कि माता-पिता की सेवा करने से ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है और यह हमारे जीवन को सार्थक बनाता है। क्योंकि ईश्वर स्वयं भी जगतपिता है। संपूर्ण सृजन उसकी संतान ही तो है।

माता-पिता की सेवा करने के कई लाभ हैं:

1. *आध्यात्मिक लाभ*: माता-पिता की सेवा करने से हमें आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं और हमारी आत्मा शुद्ध होता है।
2. *नैतिक मूल्यों का विकास*: माता-पिता की सेवा करने से हमारे नैतिक मूल्यों का विकास होता है और हमारा चरित्र कर्तव्यपारायण और मूल्यों के प्रति मजबूत होता है।
3. *सामाजिक लाभ*: माता-पिता की सेवा करने से हमें सामाजिक सम्मान प्राप्त होता हैं और हमारी समाज व्यवस्था अनुशाषित, स्थिर और मजबूत होती है।

इस प्रकार, माता-पिता की सेवा करना वास्तव में ईश्वर के प्रति सर्वोच्च अर्पण है। यह कर्तव्यनिष्ठा हमें आध्यात्मिक, नैतिक और सामाजिक लाभ प्रदान करती है।
------- 

माता-पिता की सेवा का महत्व

माता-पिता की सेवा को सभी धर्मों और पंथों में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे केवल व्यक्तिगत कर्तव्यनिष्ठा के रूप में नहीं देखा जाता, बल्कि इसे आध्यात्मिक और नैतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। माता-पिता की सेवा करने के कई फायदे हैं, जिनका पालन करके उसे विस्तार से समझा जा सकता है:

1. आध्यात्मिक लाभ: माता-पिता की सेवा करना एक आध्यात्मिक कार्य भी माना जाता है। हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में माता-पिता को ईश्वर के रूप में माना गया है। उदाहरण के लिए, हिंदू धर्म में कहा गया है कि "जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी" (माता और जन्मभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ हैं)। इस प्रकार, माता-पिता की सेवा करने से व्यक्ति को आत्मिक शांति और संतोष प्राप्त होता है।

2. नैतिक नैतिकता: माता-पिता अपने बच्चों के लिए जीवन भर  त्याग और परिश्रम करते है। उनके प्रति सम्मान और सेवा नैतिक  जिम्मेदारी का हिस्सा है। यह केवल बच्चों को निष्ठा का पालन करने की प्रेरणा नहीं देता है, बल्कि उन्हें माता पिता के प्रति  दयालु और सहानुभूतिपूर्ण बनने में मदद करता है।

3. सामाजिक लाभ: जब बच्चा अपने माता-पिता की सेवा करता है, तो यह समाज में एक सकारात्मक संदेश फैलाता है। इससे परिवार के बीच मजबूत संबंध बनते हैं और समाज में सहनशीलता एवं सहयोग की भावना प्रबल होती है। माता-पिता की देखभाल करने वाले बच्चे बार-बार की मदद करने के लिए भी तत्पर रहते हैं, जिससे समाज में सामूहिक स्थिरता और आपसी जुड़ाव मज़बूत होता है।

4. व्यक्तिगत विकास: माता-पिता की सेवा एवं सानिध्य से बच्चों में कई महत्वपूर्ण जीवन कौशल स्वतः आते हैं जैसे कि सहानुभूति, धैर्य और जिम्मेदारी। ये गुण न केवल व्यक्तिगत विकास में सहायक होते हैं बल्कि भविष्य में उनके जीवन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 

5. मानसिक स्वास्थ्य:  माता-पिता की देखभाल करने वाले लोग मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कम करते हैं। उनकी सामान्य स्थिति सबसे अच्छी होती है क्योंकि वे अपने परिवार के प्रति अपने समकक्ष होने के संतोष का अनुभव कराते हैं। अकेलापन उनसे कोसों दूर रहता है।

इस प्रकार, माता-पिता की सेवा करना न केवल एक धार्मिक या सांस्कृतिक कर्तव्य है, बल्कि यह व्यक्ति के समग्र विकास और समाज की भावना का एक महत्वपूर्ण आधार भी है।

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

छत्रपति शिवाजी : सिसोदिया राजपूत वंश

मेरी कवितायें My poems - Arvind Sisodia

कविता "कोटि कोटि धन्यवाद मोदीजी,देश के उत्थान के लिए "

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे

कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान

खींची राजवंश : गागरोण दुर्ग

आत्मा की इच्छा पूर्ति का साधन होता है शरीर - अरविन्द सिसोदिया

हमें वीर केशव मिले आप जबसे : संघ गीत