दिल्ली विधानसभा चुनाव दिलचस्प मोड़ पर Delhi Assembly Election

दिल्ली की सत्ता पर 15 साल तक काबिज रहीं कांग्रेस की वरिष्ठनेत्री एवं नेहरूपरिवार से संबंद्ध श्रीमती शीला दीक्षित को 2013 के विधानसभा चुनाव में  आप पार्टी संयोजक अरविन्द केजरीवाल से मुख्यमंत्री रहते हुए हारना पढ़ा था। यह कसक कांग्रेस को हमेशा रहेगी। तब आप पार्टी के खाते में बीजेपी के नहीं बल्कि कांग्रेस के वोट गएथे जो अभी तक भी आप पार्टी से ही जुड़े हुये हैँ। इस तरह से दिल्ली विधानसभा सभा चुनाव 2025 में आप पार्टी सबसे प्रमुख दो में एक रहने वाली प्रतीत होती है।

वहीं भाजपा दिल्ली की सत्ता से दूर रहते हुये भी दूसरे क्रम पर लगातार बनी हुई है क्योंकि केजरीवाल के उदय के बाबजूद भाजपा पर हमेशा 30% से अधिक मत रहे हैँ। वहीं भाजपा लगातार तीन चुनावों से लोकसभा की सभी 7 सीटें जीतती आ रही है। जिसके आधार पर भाजपा को दिल्ली विधानसभा चुनाव के फस्ट टू में एक मानना ही पड़ेगा।  इस तरह से कांग्रेस जो गत दो चुनावों में शून्य पर चली आरही है, उसके कोई चांस नहीं दिख रहे हैँ।

1- 2013 के विधानसभा चुनाव में आप को 28 सीटों के साथ 29 फ़ीसदी से अधिक वोट मिले थे। वहीं बीजेपी का अपना वोट बना रहा और वो 30 प्रतिशत से अधिक मत के साथ 31 सीट जीती थी। इसके अलावा कांग्रेस को 24 फ़ीसदी से अधिक वोट मिले थे और उनको 8 सीटें मिली थीं। केजरीवाल कांग्रेस के समर्थन से पहलीवार में ही दिल्ली के मुख्यमंत्री बन गये थे। किन्तु यह सरकार अल्पमत सरकार थी इसलिए गिर गईं, क्यों की केजरीवाल दिल्ली में जनलोकपाल विधेयक लागू करना चाहते थे, उन्होंने बिल सदन में रखा जो भाजपा और कॉंग्रेस के संयुक्त विरोध के चलते गिर गया और नैतिकता के नाते केजरीवाल नें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा डे दिया सरकार गिर गईं और राष्ट्रपति शासन लग गया। यह घटनाक्रम केंद्र में कांग्रेस शासन होते ही हो गया था।
2- 2015 के विधानसभा चुनाव में आप पार्टी को सहानुभूति वोट के चलते 70 में से 67 सीटें मिलिंद और भाजपा को मात्र 3 सीटें मिली और कांग्रेस शून्य पर समाप्त हो गईं। माना जाता है कि भाजपा न जीत जाये इस कारण अंतिम समय में कांग्रेस नें अपने आपको लगभग विड्रा कर लिया और वोट आप पार्टी को दिलवाये, इस कारण कांग्रेस का वोट प्रतिशत 10 फीसदी के करीब रहा। उसके 18 प्रतिशत वोट घट गये। वहीं भाजपा की 3 सीटों के वावजूद वोट 30  प्रतिशत से अधिक बना रहा।

कांग्रेस के अपरोक्ष समर्थन से आप पार्टी को 54 प्रतिशत से अधिक वोट मिले। केजरीवाल फिरसे अपने बक बूते मुख्यमंत्री बनें।

3- 2020 में आप पार्टी को विधानसभा चुनाव में 62 सीटें मिली और 53 प्रतिशत से ज्यादा वोट भी मिले। किन्तु उसके गत प्रतिशत में मामूली गिरावट के बाद भी, आप पार्टी नें अपनी स्थिति को क़ायम रखनें में सफल रही ।

कांग्रेस नें जो गत चुनाव में आप पार्टी को वोट दिलाया वह अब आप पार्टी का पक्का वोटर बन गया। इसका खामियाजा यह हुआ कि कांग्रेस लगातार दूसरे चुनाव में भी शून्य पर रही। उसके वोट 5 प्रतिशत से भी कम हो गये ।

वहीं भाजपा को इस बार 35 फीसदी से अधिक मत मिले। लेकिन सीटों के रूप में वह बहुत कुछ नहीं कर पाये। उसे 8 सीटें मिलीं जो पहले से अधिक तो थीं ही, वोट प्रतिशत में भी सुधार हुआ। इस प्रकार भाजपा को इससे पॉजिटिव ताकत मिलती है।

4- आम आदमी पार्टी (AAP) ने एमसीडी चुनाव 2020 में भाजपा से कड़े मुकाबले के बाद जीत लिया। आप पार्टी को 134 सीटें मिली तो भाजपा को 104 सीटें मिली, कांग्रेस मात्र 9 पर सिमट गईं तो तीन सीटें निर्दलियों के खाते में गई। 250 वार्ड वाले दिल्ली नगर निगम में बहुमत का आंकड़ा 126 है। इस तरह से यह स्पष्ट है कि दिल्ली में फिलहाल भाजपा और आप पार्टी के मध्य मुकाबला होना है।

5- यह विश्लेषण कांग्रेस की जमीनी हकीकत समझने के लिए पर्याप्त है।दिल्ली में साल 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव परिणाम कांग्रेस बहुत कुछ देनें वाले ती नहीं हैँ।  जिद्द कुछ भी हो किन्तु कांग्रेस के लिए राह काफी मुश्किल होने वाली है।

6- मेरा मानना है कि पालिका चुनावों का असर विधानसभा चुनावों में सत्ता विरोधी वातावरण बनानें में होता है। इन 15 सालों में भाजपा के पास पालिका प्रशासन था, उनके मेयर थे  इसका नुकसान लगातार विधानसभा चुनावों में हुआ। अब यह स्थिति आप पार्टी के साथ है! आप पार्टी को नगर निगम का नुकसान उठाना पड़ सकता है। कांग्रेस और भाजपा 5/5 प्रीतिशत वोट बढ़ाते हैँ तो मुकाबला बहुत दिलचस्प हो सकता है।

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