पार्वती कालीसिंध चंबल लिंक परियोजना ERCP - PKC

राजस्थान के 21 और MP के इन 13 जिलों तक पहुंचेगा पानी, 1200 किमी नहर का बिछेगा जाल।

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में मंगलवार को पार्वती- कालीसिंध चंबल ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (पीकेसी ईआरसीपी) के एमओयू (मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग) ने दस माह बाद एमओए (मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट) का रूप ले ही लिया। राजस्थान को 4103 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) पानी मिलेगा। यह उतना पानी है जिससे चार बार बीसलपुर बांध भर जाए। मध्यप्रदेश के 13 जिलों के लिए करीब 3000 एमसीएम पानी मिलेगा। राजस्थान में सम्पूर्ण प्रोजेक्ट 7 साल में पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

करीब 1200 किमी लंबी नहर, पाइप लाइन और टनल के जरिए राजस्थान के 21 जिलों की 3.25 करोड़ आबादी की प्यास बुझेगी। दोनों राज्यों के बीच 20 साल से विवाद चल रहा था, जो अब पूरी तरह खत्म हो गया है। दावा किया जा रहा है कि प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद बाढ़ व सूखे की समस्या का स्थायी समाधान होगा। परियोजना के तहत कृत्रिम जलाशय बनाने के साथ जयपुर की लाइफ लाइन बीसलपुर बांध की क्षमता 0.50 मीटर बढ़ाई जाएगी।

*बांध से लेकर बनाएंगे कृत्रिम जलाशय:*

बैराजः कुल नदी पर रामगढ़ बैराज, पार्वती नदी पर महलपुर बैराज, कालीसिंध नदी पर नवनेरा बैराज, मेज नदी पर मेज बैराज, बनास नदी पर नीमोद राठौड़ बैराज बनाया जाएगा।
कृत्रिम जलाशयः अजमेर में मोर सागर और अलवर में कृत्रिम जलाशय बनाएंगे।
बांध निर्माणः ईसरदा, डूंगरी 

*यह भी होगा…..:*

कूनो उप – बेसिन में फव्वारा पद्धति आधारित सिंचाई योजनाएं विकसित कर शाहबाद क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी।
पार्वती उप बेसिन में अंधेरी सिंचाई परियोजना व सुकनी (नदी) जलाशय विकसित करेंगे।
कालसिंध उप-बेसिन- झालावाड़ जिले में मनोहरथाना सिंचाई परियोजना, मोरी कृत्रिम जलाशय एवं सोयला कृत्रिम जलाशय का निर्माण होगा।

*एमपी-राजस्थान के इन जिलों में पहुंचेगा पानी:*

*राजस्थान के 21 जिले:*

जयपुर, झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाईमाधोपुर, अजमेर, टोंक दौसा, करौली, अलवर, भरतपुर, धौलपुर, गंगापुरसिटी, ब्यावर, केकड़ी, दूदू कोटपूतली -बहरोड़, खैरथल – तिजारा, डीग व जयपुर ग्रामीण |

*एमपी के 13 जिले:*

गुना, मुरैना, शिवपुरी, भिंड, श्योपुर, उज्जैन, सीहोर, मंदसौर, इंदौर, देवास, आगर मालवा, शाजापुर व राजगढ़।

*158 बांधों को भरेंगे ये हैं प्रमुख बांध:*

टोंक जिला- बीसलपुर, गलवा, टोरडी सागर, मासी, गलवानिया एवं चांदसेन बांध
दौसा- मोरेल, माधोसागर, कालाखो सैंथल सागर बांध ।
दूदू- छापरवाड़ा, जयपुर ग्रामीण जिले के खरड़ बांध, रामगढ़ बांध, कालख बांध, कोटपूतली बहरोड़ जिले के छितौली व बुचारा (मध्यम) बांध ।
भरतपुर- अजान लोवर, अजान अपर, बरैठा बांध।
डीग- सीकरी बांध
धौलपुर- पार्वती बांध, उर्मिला सागर, तालाबशाही, रामसागर बांध
करौली- पांचना, जग्गर बांध ।
सवाईमाधोपुर- सूरवाल, ढील।
गंगापुर सिटी- मोरा सागर बांध
केकडी- लसाड़िया बांध
अलवर- जयसमंद बांध
जयपुर- रामगढ़ बांध

*इन नदियों को जोड़ेंगे…..:*

प्रोजेक्ट में चंबल और इसकी सहायक नदियां पार्वती, कालीसिंध, कूनो, बनास, बाणगंगा, रूपरेल, गंभीरी और मेज जैसी नदियों को जोड़ा जाएगा।🔰

सिसोदिया नें बताया कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना में प्रमुखता से बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, गंगापुर सिटी, करौली, धौलपुर, भरतपुर, डीग, दौसा, अलवर, खैरथल-तिजारा, जयपुर, जयपुर ग्रामीण, कोटपूतली-बहरोड़, अजमेर, ब्यावर, केकड़ी, टोंक और दूदू को सिंचाई पानी मिलेगा। जिससे पूर्वी राजस्थान के 25 लाख किसान परिवारों के 2.80 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होंगी और राज्य की साढ़े सात करोड़ आबादी में से करीब 3.41 करोड़ आबादी तक पानी पहुंचेगा। इसमें कई जगह नहर तो कई जगह पाइपलाइन से पानी सप्लाई होगा। 

पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना के लिए समझौता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच समझौता


72,000 करोड़ रुपए की यह परियोजना है
इस परियोजना के अंतर्गत तीन नदियों को जोड़ा जाएगा

MP Rajasthan MOU

एमपी राजस्थान के बीच एमओयू

भोपाल: मध्य प्रदेश और राजस्थान के लिए आज ऐतिहासिक दिन है। वर्षों पुराना सपना अब आकार लेने जा रहा है। पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में समझौता हो गया है। जयपुर में दोनों राज्यों के बीच यह समझौता हुआ है। यह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सोच थी। उन्होंने 20 साल पहले यह सोचा था कि अब इस दिशा में आगे काम बढ़ गया है। इस नदी जोड़ो परियोजना से मध्य प्रदेश और राजस्थान को बड़ा फायदा होगा।


जयपुर में हुआ समझौता

दरअसल, समझौते के दौरान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने समझौते पर हस्ताक्षर किया है। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल मौजूद रहे हैं। दोनों मुख्यमंत्रियों ने पीएम की मौजूदगी में एमओयू साइन किया। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों नदियों के जल को एक जगह मिलाया है।

अटल बिहारी वाजपेयी का सपना मूर्त रूप ले रहा

सीएम मोहन यादव ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी के नदी जोड़ो के सपने को साकार करने के लिए निरंतर 20 वर्षों से किए जा रहे प्रयास अब मूर्त रूप ले रहे हैं। परियोजना वर्ष 2004 में मध्यप्रदेश और राजस्थान को सिंचाई एवं पेयजल सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रस्तावित की गई थी, परंतु दोनों राज्यों के मध्य जल बंटवारे पर सहमति न बन पाने के कारण परियोजना का क्रियान्वयन नहीं हो सका। आज इस परियोजना के लिए एमओयू साइन हो गया है। उन्होंने कहा कि यह परियोजना केंद्र और राज्य सरकार के अथक प्रयासों का परिणाम है।

जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने कहा कि यह प्रदेश के लिए अत्यंत सौभाग्य का विषय है। इस परियोजना से बुंदेलखंड और मालवा क्षेत्र की तस्वीर और तकदीर बदलेगी। सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र तरक्की होगी। इस परियोजना से प्रदेश के मालवा और चंबल क्षेत्र में 6 लाख 13 हजार 520 हेक्टेयर में सिंचाई होगी और 40 लाख की आबादी को पेयजल उपलब्ध होगा। इसके अतिरिक्त लगभग 60 वर्ष पुरानी चंबल दाईं मुख्य नहर और वितरण-तंत्र प्रणाली के आधुनिकीकरण कार्य से भिंड, मुरैना एवं श्योपुर जिले में कृषकों की मांग अनुसार पानी उपलब्ध कराया जाएगा।

3217 गांवों को लाभ मिलेगा

परियोजना से प्रदेश के गुना, मुरैना, शिवपुरी, भिंड, श्योपुर, उज्जैन, सीहोर, मंदसौर, इंदौर, धार, आगर मालवा, शाजापुर और राजगढ़ जिलों के 3217 ग्रामों को लाभ मिलेगा। पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना मध्य प्रदेश और राजस्थान दोनों राज्यों के किसानों और नागरिकों के लिए वरदान साबित होगी। इससे किसानों को भरपूर सिंचाई के लिए पानी मिलेगा और विकास के नए द्वार खुलेंगे। परियोजना से दोनों राज्यों में समृद्धि आएगी। परियोजना से मिलने वाले जल से किसान अपनी उपज को दोगुना कर सकेंगे, जिससे उनके परिवार के साथ प्रदेश भी समृद्ध होगा।

72,000 करोड़ रुपए खर्च होगा

पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना की अनुमानित लागत 72 हजार करोड़ है, जिसमें मध्यप्रदेश 35 हजार करोड़ और राजस्थान 37 हजार करोड़ रुपए व्यय करेगा। केंद्र की इस योजना में कुल लागत का 90 प्रतिशत केन्द्रांश और 10 प्रतिशत राज्यांश रहेगा। परियोजना की कुल जल भराव क्षमता 1908.83 घन मीटर होगी। साथ ही 172 मिलियन घन मीटर जल, पेयजल और उद्योगों के लिए आरक्षित रहेगा। परियोजना अंतर्गत 21 बांध/बैराज निर्मित किए जाएंगे।

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