इंडी गठबन्धन तीन टुकड़ों में बंटेगा - अरविन्द सिसोदिया
विपक्षी गठबन्धन को बनाने में सबसे ज्यादा मेहनत बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नें की थी , किन्तु वे कांग्रेस राजकुमार की महत्वाकांक्षा के शिकार हो कर सकुशल समय से वापस लौट गए । बंगाल की मुख्यमंत्री ममता नें आत्मसमर्पण नहीं किया तो उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश मजबूरी थे । किंतु कांग्रेस के मास्टरमाइंड राहुल को ही विपक्ष का अगुआ बना कर रखना चाहते रहे । वहीं उनका व्यवहार कांग्रेस राजकुमार को सर्वेसर्वा रखने का भी रहा । इंडिया नाम रखने को लेकर भी गठबन्धन में मतभेद था । राहुल ने न किसी की सुनी न किसी की मानी ! जिसका खामियाजा विपक्ष के गठबंधन को। इस प्रकार से हुआ कि वे सत्ता से चूक गए । विशेष कर कांग्रेस शासित राज्यों की कमजोर परफॉरमेंस के कारण। इससे गठबन्धन में आंतरिक विरोध प्रगट होने लगा है । जो आगे चल कर कम से कम , तीन टुकड़ों में होता नजर आरहा है । क्योंकि ममता ने लोकसभा चुनाव में अपने आपको लगभग अलग रख , यही आप पार्टी नें पंजाब में किया । उपचुनावों में सपा नें भी यही किया । इससे स्पष्ट है कि इंडी गठबन्धन में आंतरिक विद्रोह है । ममता , अखिलेश , केजरीवाल के सुर कांग्रेस से नाहन मिलते , इसका सबसे कारण कांग्रेस स्वयं के बलबूते जीत नहीं पा रही , उसका अस्तित्व परजीवी हो गया । वह मात्र क्षेत्रीय दलों के प्रभाव से सीटें बचा पा रही है । अंततः इंडी गठबन्धन तीन टुकड़ों में बंटता नजर आरहा है । दिल्ली चुनावों में बहुत कुछ साफ होने वाला है ।
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