ज्ञान विज्ञान और अनुसंधान, ईश्वरीय कार्य ही हैँ - अरविन्द सिसोदिया
ज्ञान विज्ञान अनुसंधान और: ईश्वरीय कार्य
ज्ञान, विज्ञान और अनुसंधान को ईश्वरीय कार्यों के रूप में देखा जा सकता है क्योंकि ये सभी मानवता के सिद्धांत के लिए महत्वपूर्ण हैं। जब हमें ज्ञान प्राप्त होता है तो उससे समस्या समाधान का लाभ प्राप्त होता है। ज्ञान क़ी शक्ति लाभ और हानि दोनों ही तरह के उपयोग में आती है इसमें विवेक हमारा मित्र होता है। जैसे परमाणु शक्ति के विस्फोटक स्वरूप की खोज विध्वंसक परमाणु बम देते हैं तो परमाणु ऊर्जा से चालित बिजली घरों से हमारे घरों में रोशनी भी होती है। शक्ति के दोनों स्वरूप हैँ, परमाणु शक्ति का अधिकतम उपयोग परमाणु बिजली घरों में होकर मानव सभ्यता के जीवन को सुखी बनाने में उपयोग हो रहा है।
ज्ञान के द्वारा हम अपने चारों ओर की दुनिया को समझने का प्रयास करते हैं। यह प्रक्रिया केवल व्यक्तिगत विकास के लिए आवश्यक नहीं है, बल्कि समाज के समग्र विकास में भी योगदान देती है।
ईश्वर की दृष्टि में ज्ञान का महत्व
ईश्वर ने प्राणी जीव जन्तु पशु पक्षी पेड़ पौधे इत्यादि शरीर रूपी मशीनों विविध क्षमतायें दीं है, जिसमें मनुष्य को देखने, समझने और सीखने की विशिष्ट क्षमता दी है। इस प्रकार, जब हम ज्ञान और विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान करते हैं, तो हम उस दिव्य उद्देश्य को पूरा कर रहे होते हैं जो हमें रहस्यात्मकता और प्रतिभात्मक से समृद्ध बनाता है। ईश्वर की सृष्टि का एक महत्वपूर्ण निर्देश यह है कि वह चाहता है कि उसकी संताने भी समाधान परक और ज्ञानवान बनें ।
अनुसंधान का उद्देश्य
शोध का मुख्य उद्देश्य ईश्वरीय व्यवस्था के नए नए ज्ञानों की खोज करना और स्थिर ज्ञान को आदर्श बनाना है। यह प्रक्रिया हमें समस्याओं का समाधान करने, नई तकनीकों का विकास करने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करती है। जब हम शोध करते हैं, तो हम केवल अपने लिए नहीं बल्कि समाज के लिए भी परिणाम उत्पन्न करते हैं।
ईश्वर की आराधना
जब हम ज्ञान विज्ञान और अनुसंधान के माध्यम से प्रगति करते हैं, तो यह ईश्वर को प्रसन्न करता है क्योंकि यह संदेश देता है कि उनकी रचनाएँ अपनी शक्तियों का सही उपयोग कर रही हैं। ईश्वर ने हमें बुद्धि दी है ताकि हम इसका उपयोग करके अपने जीवन को बेहतर बना सकें और समाज की सहायता कर सकें।
इस प्रकार, ज्ञान विज्ञान और अनुसंधान को केवल व्यक्तिगत विकास की आवश्यकता नहीं है बल्कि ये ईश्वरीय कार्य भी हैं जो मानव कल्याण में योगदान देते हैं।
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