अब जनमत विपक्षी गठबंधन के पूर्ण त्याग की और अग्रसर - अरविन्द सिसोदिया bjp rajasthan
भारत की राजनीती अपने इतिहास के सबसे गंभीर असभ्यता के दौर से गुजर रही है क्योंकि यह युग राजनैतिक राजकुमारों का है जिन्हे विरासत में राजनैतिक बर्चस्व प्राप्त हुआ है। कांग्रेस के राहुल गाँधी उस परिवार से हैँ जो मोतीलाल नेहरू जी के समय से राजनीती में है, नेशनल कांन्फ्रेंस भी शेख अब्दुल्लाह के समय से राजनीती में है और उमर संभवतः तीसरी पीढ़ी है। सपा के संस्थापक जो केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री रहे, उन मुलायम सिंह यादव के पुत्र अखिलेश यादव और राष्ट्रीय जनता दल के संस्थापक केंद्रीय मंत्री व मुख्यमंत्री रहे लालूप्रसाद के पुत्र तेजश्वी यादव और इसी तरह के राजकुमारों शिवसेना संस्थापक बाला साहेब ठाकरे के पुत्र उद्धव ठाकरे और पौत्र..., डीएमके के कुरुणानिधि के पुत्र स्टालीन आदि हैँ जो मूलतः राजकुमार मनोवृत्ति या परिस्थिति के हैँ। इनकी राजनीती स्वीकार्यता या स्थिति स्वयं के कम और परिवार के कारण अधिक है। वर्तमान विपक्ष इसी तरह के दलों का समूह है। इसमें ममता ही एक मात्र इस तरह की नेता हैँ जिन्होंने जमीन पर संघर्ष किया है। कांग्रेस नेतृत्व वाला इंडी गठबंधन को राजकुमार गठबंधन कहा जा सकता है, जो अनुभवी कमतर और राजनेता ज्यादातर की पटरीयों पर दौड़ रहे हैँ। इसलिए इनकी इच्छा यह रहती है की वह जो चाहें वही हो... किन्तु लोकतंत्र जनता की पवित्र इच्छा पर ही चलता है। जो राजकुमारवाद से ऊब चुका है और उसे राष्ट्रवादी लोकतंत्र में आनंद आरहा है। इसके साथ ही इन राजकुमारों की बदतमीजी, बड़बोलेपन और धरातल पर आधारहीनता से जनमत इनकी पहुंच और पकड़ में है ही नहीं। चुनाव परिणाम इनके फेवर में कमतर आरहे हैँ। अपनी घट चुकी स्वीकार्यता को छुपाने के लिए ये लगातार झूठ, भ्रम और फर्जी आरोप फैलाते रहते हैँ. कभी चौकीदार चोर है, कभी चीन के तो कभी पाकिस्तान के पक्षधर प्रवक्ता, कभी अडानी अंबानी, कभी आरएसएस तो कभी सावरकर, कभी ईडी कभी सीबीआई और फिर ई व्ही एम और अब चुनाव आयोग.. यहाँ तक़ की सेना के साहस पर भी सवालिया तीर दागे गये। जनता विपक्ष की राजनीती से ऊब चुकी है, उसके कान पक गये बेसिरपेर की बातों से और अब जनमत इंडी गठबंधन के पूर्ण त्याग की और अग्रसर हो गया है।
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alka lamba hits hard on those who writes letter to rahul gandhi
बेशर्म, बिकाऊ, भ्रष्ट, कायर...; राहुल की आलोचना करने वाली हस्तियों पर कौन यूं भड़का
बेशर्म, बिकाऊ, भ्रष्ट, कायर...; राहुल की आलोचना करने वाली हस्तियों पर कौन यूं भड़का
संक्षेप: देश के 272 प्रतिष्ठित और वरिष्ठ नागरिकों ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को लेटर लिखकर चुनाव आयोग पर गड़बड़ी करने के आरोप लगाने की आलोचना की तो कांग्रेस की नेता अलका लांबा भड़क उठीं।
देश के 272 प्रतिष्ठित और वरिष्ठ नागरिकों ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को लेटर लिखकर चुनाव आयोग पर गड़बड़ी करने के आरोप लगाने की आलोचना की तो कांग्रेस की नेता अलका लांबा भड़क उठीं। लांबा ने इन लोगों के लिए बेशर्म, बिकाऊ, भ्रष्ट, कायर जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया। जिन लोगों ने राहुल गांधी को लेटर लिखा है उनमें कई पूर्व जज से रिटायर हो चुके नौकरशाह तक शामिल हैं।
अलका लांबा ने एक्स पर एक न्यूज वेबसाइट की खबर शेयर की जिसमें 272 प्रतिष्ठित लोगों की तरफ से राहुल गांधी को लेटर लिखे जाने की जानकारी दी गई है। लांबा ने इसके साथ लिखा, 'शब्द : बेशर्म, बिकाऊ, भ्रष्ट, कायर, सत्ता के दलाल।' हालांकि, लांबा ने इसमें किसी का नाम नहीं लिखा है। लेकिन जिस तरह उन्होंने राहुल को लेटर लिखे जाने की खबर साझा की है उससे साफ है कि उनका निशाना उन्हीं 272 लोगों पर है।
इन वरिष्ठ नागरिकों ने मंगलवार को एक खुले पत्र में कहा " नागरिक संगठन दृढ़ता से मानते हैं कि सेना, न्यायपालिका तथा चुनाव आयोग जैसी संस्था निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से लोकतंत्र को मजबूत करने में लगी है। राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए इस तरह के संवैधानिक संस्थानों की छवि को धूमिल करने का प्रयास गलत और निंदनीय है। हमारा लोकतंत्र लचीला है और हमारे नागरिक बहुत समझदार हैं। अब समय आ चुका है कि लोकतंत्र के नेतृत्व की बुनियाद में सत्य हो, विचारों में नाटकीयता न हो, भाव में सेवा हो और अपमान नहीं सम्मान हो। सबसे बड़ी बात है कि किसी तरह का तमाशा राजनीतिक फायदे के लिए नहीं किया जाना चाहिए।"
इन वरिष्ठ नागरिकों ने आरोप लगाया है कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राजनीतिक लाभ के लिए चुनाव आयोग को बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं और गांधी की इस महत्वाकांक्षा की वे निंदा करते हैं। लेटर लिखने वाले 272 लोगों में 16 पूर्व न्यायाधीश, 14 पूर्व राजदूत, 123 सेवानिवृत्त नौकरशाह, 133 सेवानिवृत्त सेना और अर्द्धसैनिक बलों और पुलिस के अधिकारी शामिल हैं।
इन सभी ने कहा है कि आयोग पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से देश के लोकतंत्र को मजबूत करने का काम कर रहा है और उस पर पक्षपात का आरोप लगाना निराधार तथा राजनीति से प्रेरित है। पत्र के साथ दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एस एन ढींगरा तथा झारखंड के पूर्व पुलिस महानिदेशक निर्मल कौर का नाम मोबाइल नम्बर के साथ दिया गया है। इसके साथ ही वरिष्ठ नागरिकों के हस्ताक्षरों की सूची भी है। इन प्रतिष्ठित नागरिकों ने पत्र में लिखा है कि राजनीतिक लाभ के लिए लोकतंत्र पर हमले का प्रयास गंभीर चिंता का विषय है और कुछ राजनेता निराधार आरोप लगाकर संवैधानिक संस्थानों पर हमला करते हुए ज़हर उगल रहे हैं।
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'जहरीली बयानबाजी...' चुनाव आयोग पर राहुल गांधी के तीखे आरोपों के खिलाफ खड़ा हुआ बुद्धिजीवी समूह
19 Nov 2025
चुनाव आयोग और अन्य संवैधानिक संस्थाओं पर हो रहे हमलों के विरोध में 272 प्रबुद्धजनों ने एक खुला पत्र जारी किया है। उन्होंने राहुल गांधी के चुनाव आयोग पर लगाए गए आरोपों की निंदा की और कहा कि ये आरोप राजनीतिक हताशा को छिपाने का प्रयास है। प्रबुद्धजनों ने मतदाता सूची की पवित्रता को राष्ट्रीय अनिवार्यता बताते हुए चुनाव आयोग से पारदर्शिता बनाए रखने का आग्रह किया है।
चुनाव आयोग पर राहुल गांधी के तीखे आरोप
272 प्रबुद्धजनों का चुनाव आयोग को समर्थन
मतदाता सूची की पवित्रता राष्ट्रीय अनिवार्यता
चुनाव आयोग सहित संवैधानिक संस्थाओं पर बढ़ते जा रहे राजनीतिक हमलों के बीच तमाम प्रबुद्धजन इन संस्थाओं के समर्थन में आगे आए हैं। 16 पूर्व न्यायाधीशों सहित 272 प्रबुद्धजन ने खुला पत्र जारी करते हुए कहा कि संवैधानिक संस्थाओं के विरुद्ध जहरीली बयानबाजी हो रही है।
गंभीर आरोप लगाते हुए प्रबुद्धजन ने कहा है कि भारतीय सशस्त्र बलों की वीरता और उपलब्धियों पर सवाल उठाकर उन्हें कलंकित करने के प्रयासों के बाद न्याय पालिका की निष्पक्षता, संसद और उसके संवैधानिक पदाधिकारियों पर सवाल उठाए गए। अब चुनाव आयोग अपनी ईमानदारी व प्रतिष्ठा पर व्यवस्थित और षड्यंत्रकारी हमलों का सामना कर रहा है।
चुनाव आयोग पर राहुल गांधी के तीखे आरोप
इस पत्र में राहुल गांधी के आरोपों का उल्लेख करते हुए लिखा कि लोकसभा में विपक्ष के नेता ने चुनाव आयोग पर बार-बार हमला करते हुए कहा है कि उनके पास इस बात के खुले और ठोस सुबूत हैं कि चुनाव आयोग वोट चोरी में शामिल है और दावा किया है कि उनके पास 100 प्रतिशत सुबूत हैं।
राहुल ने अशिष्ट बयानबाजी करते हुए कहा है कि उन्हें जो मिला है, वह एक परमाणु बम है और जब यह फटेगा तो चुनाव आयोग के पास छिपने की कोई जगह नहीं होगी। उन्होंने यह भी धमकी दी है कि चुनाव आयोग में ऊपर से नीचे तक जो भी इस कार्यवाही में शामिल हैं, वह उन्हें नहीं बख्शेंगे। उनके अनुसार, चुनाव आयोग देशद्रोह में लिप्त है।
272 प्रबुद्धजनों का चुनाव आयोग को समर्थन
प्रबुद्धजन ने कहा है कि कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दलों के कई वरिष्ठ नेता, वामपंथी गैर सरकारी संगठन आदि एसआइआर के खिलाफ इसी तरह की तीखी बयानबाजी में शामिल हो गए हैं। ऐसी तीखी बयानबाजी जांच के दौरान यह ध्वस्त हो जाती है।
ये आरोप संस्थागत संकट की आड़ में राजनीतिक हताशा को छिपाने का एक प्रयास है। उन्होंने कहा है कि जब राजनेता आम नागरिकों की आकांक्षाओं से नाता तोड़ लेते हैं तो वे अपनी विश्वसनीयता बनाने के बजाय संस्थाओं पर हमला बोलते हैं। हमारी मतदाता सूची की पवित्रता कोई पक्षपातपूर्ण मुद्दा नहीं है, यह एक राष्ट्रीय अनिवार्यता है।
मतदाता सूची की पवित्रता राष्ट्रीय अनिवार्यता
हम चुनाव आयोग से पारदर्शिता और कठोरता के अपने मार्ग पर चलते रहने का आह्वान करते हैं। इस पत्र पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश आदर्श कुमार गोयल, हेमंत गुप्ता, कर्नाटक के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एसके मुखर्जी, पूर्व रॉ प्रमुख संजीव त्रिपाठी, सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी आरडी कपूर, दीपक सिंघल और 133 सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों समेत 272 प्रबुद्धजन के हस्ताक्षर हैं।
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