भूमिका
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"मेरी कविताएं" कविता संग्रह कवि अरविंद सिसोदिया जी की पुस्तक मेरे सामने है। जहां तक राजनीतिक विचारों की बात है तो बहुत सारे ऐसे कवि एवं लेखक हुए हैं। वे राजनीति में सक्रिय रहे। लेकिन उनके अंदर जो कवि बैठा हुआ था,उसने उन्हें चुपचाप नहीं बैठने दिया। उन्होंने अपना कवि धर्म भी निभाया। इनमें प्रमुख नाम अटल बिहारी वाजपेई जी का आता है। महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, डॉ. बीआर अंबेडकर, सरदार वल्लभभाई पटेल ऐसे कई महत्वपूर्ण राजनेता हुए हैं। जिन्होंने खूब लिखा। उनके लेखन से समाज में परिवर्तन भी आया। संत तुलसीदास ने रामचरितमानस के माध्यम से देश में परिवर्तन के लहर चला दी थी। उन दिनों मुगलों का शासन था। देश में धर्म का ह्रास हो रहा था। रामचरितमानस के नायक भगवान राम की गाथा ने हिंदू समाज को मजबूती प्रदान की।जो हिंदू धर्म को मिटाने का सपना देख रहे थे उनका सपना पूरा नहीं हो सका।
कविता चेहरे पर हंसी ला सकती है। मुस्कान ला सकती है। हृदय परिवर्तित कर सकती है। इस तरह का कोटा में श्री हिंदी साहित्य समिति के कवियों द्वारा एक अद्भुत अभियान चलाया जा रहा है। वह रेलवे अस्पताल में जाते हैं। वहां वार्डों में मरीजों को कविताएं सुनाते हैं। वार्ड में मरीज दिनभर पड़े पड़े उदास हो जाते हैं। मन नहीं लगता। समय काटने में दिक्कत आती है। ऐसी नीरस स्थिति में कवियों की कविताएं सुनकर मरीजों के चेहरे खिल जाते हैं। अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ सुपर्णा सेन राय का कहना है कि मेरे लिए यह सौभाग्य की बात है कि कवियों की कविताओं से हम मरीज के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में कामयाब होंगे। वह जल्दी ठीक हो जाएंगे। मरीजों को कविताएं सुनाने से मूड बदल जाता है। चेहरे पर मुस्कान आ जाती है खिल खिलाकर हंसते भी हैं। एक मरीज की यह स्थिति हुई कि उसके ऑक्सीजन मास्क लगा हुआ था। रामकरण प्रभाती जी की कविता सुनकर वह इतना प्रसन्न हुआ कि उसने मास्क हटा दिया और ताली बजाने लगा।
अरविंद सिसोदिया जी की पुस्तक "मेरी कविताएं" सौ कविताओं का महकता हुआ गुलदस्ता है। जिसकी महक साहित्य जगत को सुरभित करने की सामर्थ रखती है। पुस्तक की अधिकतर कविताओं में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का महिमा मंडन किया गया है। करना भी चाहिए। मोदी जी ऊर्जावान और लोकप्रिय प्रधानमंत्री हैं। विदेश में भी उनका डंका बज रहा है। उन्होंने हर क्षेत्र में देश का कायाकल्प कर दिया है। भारतीय जनता पार्टी को सत्ता में 10 साल से स्थापित किया हुआ है। देश के अधिकांश राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की सरकारें हैं। यह सब उनकी ही कार्य शैली से संभव हो पाया है। एक कविता की वानिकी देखिए। यह कविता हर आयु वर्ग के महिला पुरुष सभी में एक जोश भर देगी -
शक्ति स्वाभिमान में समग्र शौर्यवान के लिए,
सीमाओं पर निडरता से शत्रु संधान के लिए।
नव पुरुषार्थ के प्रचंड उदयमान के लिए,
आत्म गौरव के विराट आह्वान के लिए।
विकास पथ में महान कीर्तिमान के लिए,
नवयुग निर्माण में, असीम योगदान के लिए।
"मोदी जी महान है" इस कविता में उन्होंने जो शब्द दिए हैं। यह शब्दों की ऐसी उड़ान है जिसने देश को आसमान की ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया है। धरातल पर देश में विकास की धारा बह रही है -
यूं तो भारत सदियों से महान था,
पर अब लगता है भारत में जान है।
जान है भई जान है, मान और सम्मान है।
यूं तो भारत सदियों से विश्व गुरु था,
पर अब गुरुता के कई प्रमाण हैं।
प्रमाण हैं भई प्रमाण हैं, आन बान शान है।
मोदी जी महान हैं मोदी जी महान हैं।
कवियों,रचनाकारों,साहित्यकारों ने मां पर खूब लिखा है। मां की महिमा का वर्णन करते हुए अरविंद सिसोदिया जी ने उनके गुणों पर लेखनी चलाई है। मां पर रचना प्रस्तुत कर उन्होंने उस महायज्ञ में अपनी आहुति इस तरह दी है -
मां ग्रंथ है काव्य गाथा है।
जनजीवन भाग्य विधाता है।
मां कल कल बाटी सरिता है।
मां रामायण भगवत गीता है।
मां मंदिर और शिवाला है।
मां हंस कर पीती हाला है।
भगवान गणेश की स्तुति करते हुए वह कहते हैं कि गणेश जी को प्रथम पूज्य स्थान मिला है। देवताओं के अध्यक्ष कहलाते हैं। उन्होंने गणेश जी को शक्ति का प्रतिरूप माना है। अरविंद सिसोदिया उनकी वंदना इन शब्दों में करते हैं -
महाशक्ति ने देखा कर्तव्य पथ पर,
योद्धा गजानंद का महा बलिदान।
प्रचंड स्वरूप धरा महाशक्ति ने।
डगमग हुआ सारा ब्रह्मांड।
आराधना में देवलोक स्तुति करता,
स्वीकार हुई महाशक्ति शक्ति की मांग।
सर्वस्व समर्पण की सेवा से,
गणपति जी को मिला प्रथम पूज्य स्थान।
महिलाओं पर अत्याचार पहले भी हुए थे आज भी हो रहे हैं। परंतु आज महिला के विचारों में बदलाव आया है। वह अनाचारियों का डटकर मुकाबला कर रही है। अपनी शक्ति पहचान कर पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर देश के विकास में योगदान दे रही है। वह हवाई जहाज चालक भी है तो रेलें भी चला रही हैं, प्रशासक भी है। राजनीति में भी दबदबा कायम किए हुए हैं। परंतु फिर भी कवि समझता है की महिलाओं पर अभी भी अत्याचार हो रहे हैं। इन्हें कम करने के लिए जो व्यवस्थाएं हैं उनसे अरविंद सिसोदिया संतुष्ट नहीं होते। वह जुल्म को अपनी अभिव्यक्ति देते हैं -
माता बहनों की मत पूछो
क्या-क्या उन पर ज़ुल्म हुए,
लाज गई, वेलाज हुई,तार तार शर्मसार हुई।
कितनीं थीं जो आ पाईं,
कितनी थी वह जो नहीं आ पाईं,
किसी ने भी उनकी नहीं सुध ली,
एक तरफा व्यभिचार के मद में,
हर सांस और सिसकी को,
उसे समय चक्र ने घेरा था।
बेवस चीखें आज भी गूंजती हैं,
नीरव शमशानों में।
राजनीति एक दलदल है। यह जनसेवा न होकर धन कमाने का एक जरिया बन गया है। इसमें जो भी व्यक्ति प्रवेश करता है। प्रारंभिक काल में उसकी आर्थिक स्थिति भले ही अच्छी न हो लेकिन आगे चलकर भ्रष्टाचार से बहुत सारा धन इकट्ठा कर लेता है। धन कुबेरों की श्रेणी में आकर खड़ा हो जाता है। यह सच है कुछ के भ्रष्टाचार उजागर हो जाते हैं। कुछ के नहीं होते। कवि इस राजनीतिक भ्रष्टाचार को पसंद नहीं करता है और अपने भाव कुछ इस तरह प्रकट करता है -
सूरज भी पश्चिम से उगता है यारों,
जब राज सिंहासन बेईमान हो जाता है।
लोगो, जीवन नर्क बन जाता है,
बातों की नकाबों में, इन शैतानों में,
संपत्ति की होड़, धन लूट की दौड़,
20 साल पहले जिस पर कौड़ी भी नहीं थी यारों,
वह करोड़पतियों मैं सिरमौर नजर आता है।
गले में महानता के उसूल टांगे,
वाणी में संतों की संप्रभुता की बांगें,
जो मिले उसे लूट लेना है मकसद।
अपनी तो हवस मिट ही जाएगी,
असल इंतजाम तो,
अगली 80 पीढ़ी का कर जाना है यारों।
आर्थिक विषमताओं, सामाजिक विद्रूपताओं के बीच देश की रक्षा करने,संस्कृति और जीवन मूल्यों को बचाने के लिए राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत कवि हुंकार भरता है। शत्रुओं पर प्रचंड प्रहार करता है। पहला काव्य संग्रह है। इसलिए शिल्प पर ध्यान काम दिया है। आशा है आगे चलकर शिल्प और भाव दोनों पक्षों पर पर्याप्त ध्यान देंगे। जिससे कविता संग्रह गुणवत्तापूर्ण बन गा -
शक्ति स्वाभिमान में समग्र शौर्यवान के लिए,
सीमाओं पर निडरता से शत्रु के संधान के लिए।
नव पुरुषार्थ के प्रचंड उदयमान के लिए।
आत्म गौरव के विराट आव्हान के लिए।
विकास पथ में महान कीर्तिमान के लिए।
नवयुग निर्माण में असीम योगदान के लिए।
कवि अरविंद सिसोदिया ने राष्ट्रभक्ति, प्रधानमंत्री मोदी भक्ति, भारतीय जनता पार्टी की भक्ति, इन सबके अतिरिक्त उन्होंने राष्ट्र प्रेम, देशभक्ति को प्रधानता दी है। भ्रष्टाचार पर भी प्रहार किया है। देश की रक्षा के लिए भारतीय जनमानस में एक ज्वार पैदा किया है। वह इसमें सफल भी हुए हैं। मैं उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं। मुझे आशा है यह पुस्तक जनता और रचनाकारों के बीच निश्चित ही अपना स्थान बनाएगी। चर्चित होगी और सम्मानित भी होगी। हार्दिक अभिनंदन एवं अनेक अनेक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ रघुराज सिंह कर्मयोगी
अध्यक्ष
श्री हिंदी साहित्य समिति कोटा।
मो.नं. 8003851458
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