कविता - आओ चलें कुछ दूर, जहां देश बैठा है,

कविता - जहां देश बैठा है 

आओ चलें कुछ दूर, जहां देश बैठा है,
उनसे मिलें, बातें करें, समझें उनके नासूर,
ये जो सत्ता है, बिना पिए नशा है,
आओ तोड़े  इसका गुरुर।
आओ चलें कुछ दूर, जहां देश बैठा है।

(कोरस)
ओ साथी, सुन ले यह पुकार,
राजनीती में छुपा है दमन-ए-इकरार;
यहाँ झूठ बिकता है, सच ठोकर खाता है ,
उठो उठो करो सवाल,न रहो तुम शोषण के दास।
====1===
नेताओं की बातें, भाषणों की ग़लव्हीयां,
भूलने की आदत, अहंकारी शान शौकत,
वायदों की वर्षा , राहतों का प्रचार ।
ऊंट के मुंह में जीरे के समान।
यही लोकतंत्र और यही संविधान।

(कोरस)
ओ साथी, सुन ले यह पुकार...
===2===
शासन प्रशासन की मक्कारी, फाइलों की गठरी बबाली,
कागज़ों की भीड़ में इंसान का खोता अपना हाल।
उनकी मुस्कुराहट बड़ी जहरीली, हंसी उपहास की ठिटोली,
कभी नियम कभी उप नियम, शतरंज के मोहरे सी शातिर चालें 
सेवा शुल्क नहीं तो आदेशों कागज -ए-फ़रेब।

(कोरस)
ओ साथी, सुन ले यह पुकार...
===3===
कहाँ है वह वो मुखिया जो सुनता था  पीड़ा ?
कहाँ है वह पंच परमेश्वर जो न्याय के साथ खडे थे।
बेटी पूरे गांव की होती थी, भाई सारा गांव था।
इस घर की दाल उस घर पहुंचे, उस घर की सब्जी इस घर आये,
क्यों बदला ये अपनापन, क्यों फट गया अपनों का मन।

(कोरस)
ओ साथी, सुन ले यह पुकार...
===4===
न्याय का मंदिर अन्याय की पेशी, क्या अपीलें क्या दलीलें,
कभी देर से सुनवाई, कभी फैसला अधूरा,
न जज कुछ समझा, न वकील कुछ जाने,
मुकदमों की कतारें,उम्मीदें निराश , 
खुश वो जो क़ानून तोड़े, सही व्यक्ती कई पीढ़ी परेशान।

(कोरस — उभार के साथ)
===5===
आओ साथी, उठो और पूछो बार-बार,हां बार बार,
न्याय-रस में मीठा-खट्टा-नमकीन,सब कैसे एक साथ;
प्रशासन सुनता क्यों नहीं , अपराधी क्यों बरी होता,
सभी जगह भीड़ और धक्को क़ी क्यों भरमार,
क्यों आदमी तमाशा बना और तमाशों पर भविष्य चढ़ा 

(कोरस — उभार के साथ)
===6===
जबाब तो मांगना होगा, वर्ना शोषण का जंजाल हो,
हाथ में सच की मशाल हो , आँखों में सवालों की प्यास हो,
ना कोई राजा है ना कोई रंक, रोजी रोटी पर हक सबका,
सबको मिले सुखी संसार, इसीलिए आवाज उठाओ,
सत्ता की ऊँचाई पर न्याय हो और ज़मीनी खुशहाली आये।

(फाइनल कोरस, धीमा करके)
ओ साथी, सुन ले यह पुकार —
हक़ की राह लंबी पर कदम हमारे साथ।
आओ चलें कुछ दूर, जहाँ देश बैठा है,
उनसे मिलें, उनसे गले लगें, और लौटें बदल दें इतिहास।

=== समाप्त ===

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