कविता - नरेंद्र मोदी : एक प्रखर यात्रा



 नरेंद्र मोदी : एक प्रखर यात्रा 

हिम-गंगा सी निर्मल चाहत, सपनों में था देश महान,
एक स्वयंसेवक बोला, "कर दूँगा भारत का उत्थान !"

घर -घर गूँजती जिसकी, सेवा-भाव की मधुर पुकार,
चाय की छोटी दुकान से, पहुँच गया वो विश्व-विहार।

संघ की शाखाओं में सीखा, अनुशासन का दृढ़ विज्ञान,
माँ के सानिध्य से सीखा , महा संघर्षों से लोहा लेनें का वरदान।

गुजरात की माटी ने पाया, कर्म-योग का तेज प्रखर,
विकास-पथ पर चलकर उसने, बदला जीवन का हर स्वर।

फिर दिल्ली की ओर कदम बढ़े, जनता ने विश्वास दिया,
विकास-मंत्र की किरणों ने फिर, नवभारत का प्रकाश दिया।

विश्व-मंच पर भारत बोला, नई ताकत, नया साहस,
“सबका साथ और सबका विकास”— यही मनुज का दृढ़ प्रयास।

त्याग, तपस्या और परिश्रम का अद्भुत अग्निकुंड बने,
मोदी नाम ख़ुद एक कहानी, संघर्षों के तेज से सजा ।

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🎶 “मोदी का सफ़र, मोदी का जज़्बा” 🎶

चल पड़ा एक दीवाना, लेकर भारत का अफसाना,
मोदी–मोदी गूँजे धरती, उभरा कर्म का परवाना।
चल पड़ा… चल पड़ा… स्वप्न लिए नया जमाना,
मोदी का सफ़र, मोदी का जज़्बा, देश ने दिल से है माना।
===1===
छोटे घर की छोटी राहें, पर सपने थे ऊँचे-ऊँचे,
माँ के आँचल से सीखा, कैसे संघर्षों में सच्चे।
चाय की उस क़तरा-भरी दुकान से— उठी थी एक पुकार,
“इस भारत को बदलूँगा मैं”— मन में जगी चमकती धार।

चल पड़ा एक दीवाना, लेकर भारत का अफसाना…
मोदी का सफ़र, मोदी का जज़्बा— देश ने दिल से है माना।

===2===
गुजरात की धरती गाती— विकास के प्रखर तराने,
नव-उद्योगों के दीप जगे, बदले कितने दौर पुराने।
भूकंप कर्म पर भारी था, पर हिम्मत उससे भारी,
लौटा जीवन घाटी-घाटी, मेहनत ने तस्वीर सँवारी।

नई रोशनी लेकर आया— दिल्ली तक जब कदम बढ़ाया,
मोदी का सफ़र, मोदी का जज़्बा— देश ने दिल से अपनाया।
===3===
स्वच्छ भारत की बात उठी तो— जन जन ने झाड़ू थामा,
बेटियों के मान के खातिर— हर घर में शौचालय आया।
उज्ज्वला की लौ जली जब— मुस्काई माँ की आँखें,
धुएँ से मुक्ति मिली तो जैसे— खुलीं हजारों साँसें।

घर-घर रोशनी फैली है, उम्मीदों ने नाच दिखाया,
मोदी का सफ़र, मोदी का जज़्बा— देश ने दिल से अपनाया।
===4===
जन-धन खोले लाखों खाते— बैंकिंग का अधिकार मिला,
आयुष्मान की छाँव तले— गरीब को जीवन-आधार मिला।
सर्जिकल स्ट्राइक की प्रतिध्वनि— दुनिया ने सम्मान किया,
भारत अब झुकता नहीं— ये संदेश जग को माना है 

शौर्य और सेवा दोनों से— भारत ने गौरव पाया,
मोदी का सफ़र, मोदी का जज़्बा— विश्व ने भी खूब सराहा।
===5===
कोरोना का अंधियारा छाया— फिर भी दीप जलाए भारत ने,
वैक्सीन ने दुनिया को राह दिखाई— मानवता के प्यारे स्तुत्य क्षण ने।
आज नवभारत दौड़ रहा है— विज्ञान, विकास, विश्वास लिए,
मोदी जैसा कर्मयोगी— देता है हर दिन नई दिशा लिए।

चल पड़ा एक दीवाना, लेकर भारत का अफसाना,
मोदी–मोदी गूँजे दुनिया, पर मन में भारत ही ठाना।
चल पड़ा… चल पड़ा… नई आशा का वह तराना,
मोदी का सफ़र, मोदी का जज़्बा— देश ने दिल से है माना।

===समाप्त===




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