भारत से 'हिन्दू समापन के षड्यन्त्रकारी' ही संघ-भाजपा के विरोधी - अरविन्द सिसोदिया

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी को लेकर निश्चित रूप से उन लोगों को बहुत पीड़ा होती होगी जिन्होंने अपरोक्ष रूप से इस देश को अपने विचारों , उद्देश्य और लक्ष्यों का गुलाम बना रखा था अर्थात  भारत को इस्लामिक स्टेट बनानें का काम कर रहीं ताकतों को , भारत को साम्यवादी देश बनानें वाली ताकतों को और भारत का ईसाई करण करनें वाली मिशनरियों को निश्चित रूप से संघ और भाजपा के शत्रुता है । क्यों कि संघ और भाजपा संगठनों ने बेखबर और सोए हुए हिन्दूओं को सचेत किया, जाग्रत किया, सजग किया है । 

भारत का 1947 का विभाजन हिन्दू मुस्लिम के आधार पर ही हुआ है । अंग्रेज 1857 से बाद से ही हिन्दू से मुसलमान को लड़ाने की नीति पर काम कर रहे थे और उन्होंने राजभक्त मुसलमान नीति पर काम किया था, इसीक्रम में मुस्लिम अलीगढ़ यूनिवर्सटी बनीं और 1905 का बंग भंग हुआ। अर्थात बंगाल का हिन्दू और मुसलमान के आधार पर विभाजन किया गया था । जिसका बंगाल में विरोध हुआ और अंततः बंगाल विभाजन रद्द हुआ और अंग्रेज कोलकाता से नई दिल्ली राजधानी ले कर आगये । भारत का विभाजन बंगभंग प्रयोग की ही अगली पायदान थी ।


भारत हिन्दू राष्ट्र बनना था मगर भारत हिंदू विरोधी anti hindu forces हाथों में चला गया । ये लोग छद्मवेश में थे और भारत को भारत नहीं बनने देना चाहते थे । इन लोगों ने लंबे समय तक भारत को भारत बनने से रोके रखा।

 निश्चित ही इन लोगों को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पुरुषार्थी महापुरुषों  से द्वेष था क्यों कि संघ एक मात्र संगठन था जो हिंदू में स्वाभिमान भर रहा है। संघ के स्वयंसेवकों नें  भारतीय संस्कृति विरोधी ताकतों को रोका, टोका , उनके सच को उजागर किया है । संघ के राष्ट्रवादी व्यक्तित्व से भारत विरोधी षड्यन्त्रकारीयों  को कड़ी चुनोती मिली , इसी कारण उनकी  संघ से शत्रुता होना स्वाभाविक है । क्योंकि उनके लक्ष्य, उनके उद्देश्यों, उनके षडयन्त्रों में निश्चित रूप से संघ से बाधा पहुंच रही है । 

विशेष कर भारत में भारतीय संस्कृति को रोकनें, उसे पुष्पित पल्वित होनें से रोकनें में कांग्रेस और कम्युनिस्टों की बड़ी भूमिका थी , देश के जनमत को संघ RSS नें जब जाग्रत किया तो अब इन दोनों ही संगठनों यथा कांग्रेस एवं कम्युनिस्ट की हालत पतली है , लगभग हंसिये पर जा चुके हैं । समाजवादी भी एक विदेशी विचारधारा पर आधारित थे , उसका भी नशा उतर चुका है अब ये दल वहीं हैं जहां नेता का जातिवादी आधार है । अब भारत में क्षेत्र वाद और वंशवाद चरम पर है । ये भी धीरे धीरे समाप्त इसलिए होगा कि वंशवादी दल सिर्फ भ्रष्ठाचार में डूबे होते हैं , उनका शासन लोककल्याण के  विजन वाला नहीं होता । राष्ट्रहित जैसा विजन तो होता ही नहीं है ।

भारत में जो ताकतें हिन्दू को समाप्त करना चाहती थीं, वे अब पूरी ताकत से हिन्दू को समाप्त करनें, उसे आपस में लड़ाने भिड़ाने और  झूठ एवं भ्रम के आधार पर अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं। वे भी जानते हैं कि यदि अभी हिन्दू को एक होनें से नहीं रोक गया तो उनका सारा षड्यन्त्र विफल हो जायेगा। इसलिए वे पूरी ताकत से हिंदुओं में फुट डालो अभियान में लगी हुईं हैं। जिन्हें विदेशों से सभी तरह के टूलकिट षड्यन्त्र संचालित करने  हेतु मिल रहे हैं ।

भारत एवं भारतीय संस्कृति की रक्षा एवं उत्थान में संघ का महती योगदान है। इसलिए जो भारतीय संस्कृति के अनुयायी हैं, उसमें श्रद्धा रखते है उनके लिये संघ RSS उतना ही सम्मानित है,जितना ईसाई समुदाय के लिए पोप का सम्मान है। 

देश हित चिंतक सभी ताकतों को हिन्दू एकता पर बल देना होगा और हिन्दूओं को भी सभी तर्क, वितर्क और कुतर्क नजर अंदाज कर राष्ट्रवादी सपनें सच करनें होंगे। इसके लिए उन्हें राजनैतिक क्षेत्र में भाजपा, मोदी-योगी के साथ खड़ा होना होगा । वहीं संघ RSS के हर शब्द का , प्रत्येक आव्हान का समर्थन एवं उसमें अपना पूर्ण देना होगा ।
 
- अरविन्द सिसोदिया
9414180151


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