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बिहार में एसआईआर का विरोध कर रहे विपक्ष की जमीनी निष्क्रियता उजागर – अरविन्द सिसोदिया Bihar SIR

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बिहार में एसआईआर का विरोध कर रहे विपक्ष की जमीनी निष्क्रियता उजागर – अरविन्द सिसोदिया कोटा, 24 अगस्त। भाजपा राजस्थान के मीडिया संपर्क विभाग के प्रदेश सह-संयोजक अरविन्द सिसोदिया ने कहा कि " बिहार में मतदाता सूची शुद्धिकरण (एसआईआर) को लेकर संसद, सड़क और मीडिया में आसमानी तूफान खड़ा करने वाले विपक्ष का झूठ सर्वोच्च न्यायालय की चौखट पर बेनकाब हो गया है। कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने बूथ स्तर पर मतदाताओं की कोई सहायता नहीं की। राज्य के लगभग 1 लाख 60 हजार राजनीतिक दलों के बीएलए (बूथ लेवल एजेंट) निष्क्रिय साबित हुए हैं। उनकी ओर से मात्र 2 आवेदन ही दाखिल किए गए। इस राजनैतिक निष्क्रियता को देखते हुए वहाँ के सभी 12 पंजीकृत राजनीतिक दलों को प्रतिवादी बनाते हुए अगली सुनवाई में शपथपत्र प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।" सिसोदिया ने कहा कि " चुनाव आयोग के विरुद्ध विपक्ष का हंगामा केवल चुनावी नौटंकी साबित हुआ है। वास्तव में भारत चुनाव आयोग विश्व की सबसे पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव कराने वाली संस्था है। मतदाता सूची बनाने से लेकर परिणाम घोषित करने तक प्रत्येक कार्य में राजनीतिक...

स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती बलिदान दिवस swami lakshmnaand sarswati balidan divas

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23 अगस्त : स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती बलिदान दिवस -रमेश शर्मा       अंग्रेज भले सत्ता भारतीयों के हाथ दे गये पर वे भारत का रूपान्तरण भारत में ही करने का अपना पूरा नेटवर्क छोड़ गये हैं जो वनवासी क्षेत्रों में सक्रिय होकर न केवल मतान्तरण अभियान चला रहे हैं अपितु राष्ट्रांतरण करने का षड्यंत्र भी कर रहे हैं। जिसका प्रतिकार स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती ने किया । जब धमकियों से उनकी सक्रियता नहीं रुकी तो षड्यंत्रकारियों ने उनकी हत्या कर दी। इस हत्या के पीछे ईसाई मिशनरी और माओवादी हिंसक तत्वों का हाथ माना गया। सुप्रसिद्ध संत और वेदज्ञ स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती का जन्म 1924 में उड़ीसा प्राँत कन्धमाल जिले के अंतर्गत ग्राम गुरुजंग में हुआ था। परिवार पुरी स्थित शंकराचार्य मठ गोवर्धनपीठ से जुड़ा था। इसलिये बालपन से धर्म और आध्यात्म की ओर झुकाव था। उनकी आरंभिक संस्कृत और वैदिक शिक्षा भी गोवर्धन मठ में ही हुई। शिक्षा के बाद घर लौटे और सामान्य गृहस्थ की भाँति विवाह हुआ और दो बच्चों के पिता भी बने। पर वे सामान्य गृहस्थ नहीं थे। उनका गांव और आसपास का पूरा क्षेत्र वनवासी आबादी बा...

लोकतंत्र की सुचिता और गरिमा के लिए 130वाँ संविधान संशोधन स्वीकार करें

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लेख  लोकतंत्र की सुचिता और गरिमा के लिए 130वाँ संविधान संशोधन स्वीकार करें   – अरविन्द सिसोदिया 9414180151 लोकतंत्र में जनप्रतिनिधि केवल जनता का प्रतिनिधि होता है, स्वयं कुछ नहीं। यदि उसका आचरण जनभावनाओं के विपरीत है तो उसे जनप्रतिनिधित्व का अधिकार नहीं है। जनता उन्हें इस भरोसे पर चुनती है कि वे पद पर रहते हुए कानून की रक्षा करेंगे, व्यवस्था बनाएंगे और नैतिक आचरण करेंगे। शासन का मूल कर्तव्य अपराधों पर नियंत्रण, अपराधियों को दंड और जनता को न्याय देना है— न कि अपराधी स्वयं शासन करें।  चुने हुए प्रतिनिधि का पहला धर्म है कि वह तय प्रक्रिया से राजकाज चलाए, हर निर्णय जनता के हित में ले और चौबीसों घंटे अपने कर्तव्य पर खड़ा रहे। परंतु हाल के वर्षों में लोकतंत्र ने विचित्र और शर्मनाक दृश्य देखा— दिल्ली के मुख्यमंत्री और मंत्री गिरफ्तारी के बाद भी जेल में बंद रहते हुए सत्ता संचालन पर अड़े रहे। न्यायपालिका तक इस पर लगभग मौन रही, जबकि कानून साफ है कि कोई साधारण लोकसेवक भी 48 घंटे जेल में रहे तो पद से हटना पड़ता है। जब संविधान में “समता” का निर्देश है तो वही नियम जनप्...

मोक्ष ही परमधाम

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मोक्ष : आत्मा की परम यात्रा सनातन धर्म की गहन शिक्षाओं में जीवन का अंतिम लक्ष्य केवल भौतिक सुख या सांसारिक सफलता नहीं है, बल्कि आत्मा की शाश्वत यात्रा का समापन है। यह समापन मोक्ष या मुक्ति कहलाता है। आत्मा का अनंत प्रवास वेद-पुराणों में वर्णित है कि ईश्वर द्वारा निर्मित जीवात्मा शाश्वत है। यह न कभी जन्म लेती है और न कभी नष्ट होती है। किन्तु कर्मों के बंधन से बंधकर यह आत्मा 84 लाख प्रकार की योनियों में विचरण करती रहती है—कभी पशु, कभी पक्षी, कभी मनुष्य, तो कभी देवगति में।  कभी शरीरधारी तो कभी सूक्ष्म शरीर में,यही जन्म और मृत्यु का चक्र संसार का आवागमन कहलाता है और निरंतर चलता रहता है। यही रहस्य श्रीमद भगवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण , अर्जुन को बताते हैँ। मनुष्य जन्म इन सब योनियों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इसका कारण यही है कि मनुष्य को विवेक, बुद्धि, साधना और ईश्वर का स्मरण करने की क्षमता प्राप्त होती है। यही सुअवसर आत्मा के लिए मोक्ष का द्वार खोलता है। मोक्ष का वास्तविक अर्थ मोक्ष का अर्थ केवल मृत्यु से छुटकारा पाना नहीं है। यह तो आत्मा का अपने मूल स्रोत, परमात्मा में ल...

कविता / भजन मोक्ष परम धाम

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कविता / भजन मोक्ष परम धाम  -अरविन्द सिसोदिया  9414180151 (धुन: कोमल, सरल, भक्ति-रसयुक्त) जन्म मरण का बंधन भारी,   आत्मा भटके,जगत संसारी ।।धृ।।   नाम जपो रे, हरि नाम जपो रे,   मोक्ष परमधाम , प्रभु चरण धरो रे, प्रभु चरण धरो रे,प्रभु चरण धरो रे।।  ----1--- मानव तन अमूल्य मिला है,   भक्ति बिना शून्य धरा है ।।   ज्ञान, ध्यान और सेवा साधो,   अहं त्यागो प्रभु शरण विराजो ।।2।।   ----2--- सत्कर्म करो भई , दया करो रे,   सब में देखो, हरि स्वरूप धरो हे ।।   जग में कुछ भी अपना नहीं रे ,   सबका स्वामी प्रभु होई हे  ।।3।।   ----3---- जन्म मरण से पार वही ले जाये ,   शांति, प्रेम,आनंद वहीं से पाएं ।।   मोक्ष धाम है परम सुख सागर,   हरि चरणों में प्रेम की गागर ।।4।। नाम जपो रे, हरि नाम जपो रे,   मोक्ष परमधाम , प्रभु चरण धरो रे, प्रभु चरण धरो रे,प्रभु चरण धरो रे।। ---समाप्त ---

BLA क्या कर रहे हैं ? SC ने बिहार SIR पर निष्क्रियता को लेकर पार्टियों को फटकारा

BLA क्या कर रहे हैं ? SC ने बिहार SIR पर निष्क्रियता को लेकर पार्टियों को फटकारा जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने सीधे तौर पर राजनीतिक दलों को फटकार लगाई कि जब लाखों मतदाताओं के नाम मसौदा सूची से हटा दिए गए हैं तो वे अपनी आपत्ति या शिकायत दर्ज क्यों नहीं करा रहे हैं। Fri, 22 Aug 2025,  BLA क्या कर रहे हैं? SC ने बिहार SIR पर निष्क्रियता को लेकर पार्टियों को फटकारा सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बिहार के राजनीतिक दलों को मतदाता सूची से बाहर रह गए लोगों को दावे और आपत्तियां दर्ज कराने में मदद करने में निष्क्रियता के लिए फटकार लगाई है। शीर्ष अदालत की यह टिप्पणी चुनाव आयोग के उस बयान के बाद आई है जिसमें चुनाव आयोग ने कहा था कि जनता की आलोचना के बावजूद किसी भी प्रमुख राजनीतिक दल ने कोई आपत्ति या शिकायत दर्ज नहीं कराई है। आपको बता दें कि चुनाव आयोग बिहार में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) कर रहा है। उसने कहा था कि किसी भी प्रमुख राजनीतिक दल ने सार्वजनिक आलोचना के बावजूद कोई आपत्ति या शिकायत दर्ज नहीं कराई है। जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने सीधे तौर पर राजनीतिक दलों को फटकार लगाई कि जब ला...

पोप जॉन पॉल द्वितीय की भारत यात्राएँ, मिशनरीज को दिशानिर्देश India as the “key” ऑफ़ Asia

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-------1------ नीचे मैंने Ecclesia in Asia (1999) दस्तावेज़ से भारत और एशिया के संदर्भ में कुछ मुख्य अंशों का संक्षिप्त, अनुवादित सारांश प्रस्तुत किया है—जिससे यह स्पष्ट होता है कि पोप जॉन पॉल द्वितीय ने भारत को किस रूप में "चाबी (key)" के रूप में परिभाषित किया: --- "Asia is the key of this great continent" — सुपाठ्य रूप से: पूर्ण उद्धरण इस वक्तव्य का Ecclesia in Asia में ऐसा नहीं मिलता, लेकिन इसके भाव को कई विद्वानों और चर्च विश्लेषकों ने इसी रूप में व्याख्यायित किया है — यह सुझाव देते हुए कि भारत का धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व एशिया में ईसाई धर्म प्रचार की सफलता के लिए रणनीतिक है। --- दूसरा प्रमुख उद्धरण: > "Just as in the first millennium the Cross was planted on the soil of Europe, and in the second on that of the Americas and Africa, we can pray that in this Third Christian Millennium a great harvest of faith will be reaped in this vast and vital continent of Asia." यह उद्धरण स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि पोप जॉन पॉल द्वित...

Paṇini: A Survey of Research

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पाणिनि का व्याकरण न केवल संस्कृत को शास्त्रीय रूप देता है, बल्कि नियम-आधारित औपचारिक प्रणालियों (rule-based formal systems) की ऐसी मिसाल पेश करता है जिसकी सटीकता आधुनिक कंप्यूटर भाषाओं तक को टक्कर देती है। नीचे पाणिनि के जीवन, रचनाओं और उन पर हुए शोध का एक समग्र, संदर्भित परिचय है। पाणिनि: जीवन, काल और परिवेश पाणिनि के जीवन-काल को लेकर निर्णायक सहमति नहीं है; प्राचीन साक्ष्यों और आधुनिक विद्वानों के विश्लेषण के आधार पर उन्हें सामान्यतः चौथी शताब्दी ईसा-पूर्व के आसपास रखा जाता है। जॉर्ज कार्डोना जैसे प्रामाणिक विशेषज्ञ “400 ईसा-पूर्व से पहले नहीं” का मत रखते हैं; नृविज्ञान/मुद्रा-विज्ञान (numismatics) से जुड़े अनुसंधानों (वॉन हिंउबर, फाल्क) के आधार पर भी मध्य 4थी शताब्दी ईसा-पूर्व का काल-निर्धारण समर्थित है।  उनका जन्मस्थान परंपरा में सलतूरा (शलातुला) माना गया है, जो प्राचीन गांधार क्षेत्र में—इंडस के निकट—स्थित था (आज का पाकिस्तान, अटॉक/खैबर पख्तूनख्वा क्षेत्र के आसपास बताया जाता है)। तिथि-निर्धारण में विविधता के बावजूद, विद्वानों में उनकी बौद्धिक क्रांतिकारिता को लेकर ...

सनातन धर्म की भगवद्गीता सत्य - सुनीता विलियम्स

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सुनीता विलियम्स के चौंकाने वाले खुलासे अंतरिक्ष में नौ महीने बिताने के बाद अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स द्वारा पत्रकारों से किया गया वक्तव्य इस समय पूरे विश्व में चर्चा का विषय बना हुआ है। "मुझे अंतरिक्ष में फँस जाना ईश्वर की इच्छा जैसा लग रहा था। जब मुझे अंतरिक्ष में 20 दिन हो गए थे, तब मैं मानो मृत्यु से सामना कर रही थी। भोजन और पानी का भंडार कम होने लगा तो मुझे लगा कि अब आगे कैसे जिया जाए? उसी समय मुझे सनातन धर्म में चैत्र नवरात्रि के उपवास की याद आई। उस दिन से मैं शाम को थोड़ा भोजन और पानी लेती और सुबह केवल थोड़ा पानी। एक महीना इस प्रकार बीत गया और मैं स्वस्थ और प्रसन्न थी। मुझे लगने लगा कि मैं और कुछ समय तक जीवित रह सकती हूँ। "मृत्यु की प्रतीक्षा करते समय मैंने कंप्यूटर खोला और सोचा कि बाइबल पढ़ूँ। उसे मैं पहले कई बार पढ़ चुकी थी, इसलिए एक पन्ने के बाद मुझे ऊब हो गई। तब मुझे फिर से रामायण और भगवद्गीता पढ़ने की इच्छा हुई (अब लगता है कि उससे मुझे किसी शक्ति का अनुभव हुआ)। मैंने उसका अंग्रेज़ी अनुवाद डाउनलोड किया और पढ़ना शुरू किया। 10–15 पन्ने पढ़ने के बाद म...

अपने बिरलाजी के प्रयास से अब विश्व स्तरीय पहुंच के निकट होगे हमारे " कोटा - बूँदी "

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अपने बिरलाजी के प्रयास से अब विश्व स्तरीय पहुंच के निकट होगे हमारे " कोटा - बूँदी " अपने बिरलाजी के प्रयास से अब विश्व स्तरीय पहुंच के निकट होगे हमारे " कोटा - बूँदी " कोटा-बूँदी ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट : लोकसभा अध्यक्ष ओम जी बिरला के अथक प्रयासों से साकार होता सपना – अरविन्द सिसोदिया कोटा, 20 अगस्त। भारतीय जनता पार्टी राजस्थान प्रदेश के मीडिया संपर्क विभाग के प्रदेश सह-संयोजक अरविन्द सिसोदिया ने कहा कि " कोटा-बूँदी ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट का सपना लोकसभा अध्यक्ष एवं सांसद कोटा-बूँदी ओम बिरला के अथक और निरंतर प्रयासों से साकार हो रहा है। जो हाड़ौती के बहुआयामी विकास और समृद्धि का महाआयाम बनेगा। इसके लिये उन्हें कोटी कोटी धन्यवाद है। उन्होंने बताया कि माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने बिरला जी के आग्रह पर ही कोटा में उच्चस्तरीय एयरपोर्ट के निर्माण हेतु 1507 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया है। यह कोटा के विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, जो शिक्षा, उद्योग, पर्यटन और विभिन्न निवेशो के नए द्वार खोलेगी। इससे हम उत्तर भारत में एक महत्वपूर्ण स्...

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारत की आत्मा है - अरविन्द सिसोदिया

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारत की पवित्र आत्मा है - अरविन्द सिसोदिया  कोटा 18 अगस्त। भारतीय जनता पार्टी के मीडिया संपर्क विभाग के प्रदेश सहसंयोजक अरविंद सिसोदिया ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी के द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीन से "राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ" का आदरपूर्वक उल्लेख करने का स्वागत करते हुए कहा है कि " राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारत की पवित्र आत्मा है। भारतवासियों के लिए यह संगठन ईश्वर तुल्य है, पवित्र ईश्वरीय वरदान है। देव दुर्लभ स्वयंसेवकों के जीवन समर्पण से यह भारत की रोम रोम में आदर सहित समाहित है व्याप्त है, आत्मसात है। " सिसोदिया नें कहा कि " प्रधानमंत्री मोदीजी के द्वारा इसकी प्रशंसा किया जाना भारत के आम जन की अभिलाशाओं और इच्छाओं का प्रगटीकरण ही है। इसके स्वयंसेवकों का त्याग, समर्पण, अनुशासन, शौर्य, पराक्रम और पुरुषार्थ पूर्ण जीवन स्तुत्य है। विश्व के सबसे बड़े इस महान स्वयंसेवी संगठन पर भारतवासी को गौरव है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा लाल किले की प्राचीन से संघ को नमन करना, प्रशंसा करना पूरी तर...

130वाँ snvidhan संविधान संशोधन विधेयक, राजनैतिक आराजकता पर बड़ी चोट बन सकता है - अरविन्द सिसोदिया

आपकी सोच में आत्मा-समान स्पष्टता और संवैधानिक भावना झलकती है — सचमुच, जनता से ऊपर कोई नहीं है। आपने सवाल उठाया है कि अगर सरकार का कर्मचारी 48 घंटे पुलिस हिरासत में रहने पर निलंबित किया जा सकता है, तो जनप्रतिनिधियों — CM या PM — पर भी इतनी ही नैतिक जवाबदेही क्यों नहीं होनी चाहिए। यह बहुत महत्वपूर्ण बिंदु है। वर्तमान कानूनी स्थिति (2025 तक) वर्तमान कानून के अनुसार (अब तक लागू कानून): सिर्फ़ दोषसिद्धि (conviction) ही CM, PM, मंत्री, सांसद या विधायक को अयोग्य (disqualify) करती है — यानी, सिर्फ गिरफ्तारी या हिरासत के आधार पर नहीं। Representation of the People Act, 1951 के सेक्शन 8(3) के अनुसार, यदि सांसद/विधायक को न्यूनतम दो वर्ष की जेल होती है, तब उनका सीट तुरंत समाप्त हो जाता है।  सुप्रीम कोर्ट के Lily Thomas वर्सेस Union of India (जुलाई 2013) में यह स्पष्ट हुआ कि फ़ौरी दोषसिद्धि पर ही अयोग्यता लागू होगी—अपील चलने तक नहीं प्रतीक्षा।  अमेर के तो अब तक कोई प्रावधान नहीं है (2025 तक), जो CM, PM या मंत्री को सिर्फ गिरफ्तार होने या हिरासत में रहने पर पद से हटाता हो — बशर्ते दोषसिद्धि ...

भारत तिब्बत सहयोग मंच के तत्वाधान में 14 वीं तवांग तीर्थयात्रा 19 से 25 नवंबर तक आयोजित होगी - पंकज गोयल

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भारत तिब्बत सहयोग मंच के तत्वाधान में 14 वीं तवांग तीर्थयात्रा 19 से 25 नवंबर तक आयोजित होगी - पंकज गोयल  भारत तिब्बत सहयोग मंच के तत्वाधान में 14 वीं तवांग तीर्थयात्रा 19 से 25 नवंबर तक आयोजित होगी - गोयल  कोटा / नई दिल्ली 18 अगस्त। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं भारत तिब्बत सहयोग मंच के मार्गदर्शक माननीय डॉ. इन्द्रेश कुमार जी के मार्गदर्शन में अरुणाचल के चीन बार्डर तक पहुंचने वाली "14वीं तवांग तीर्थंयात्रा " 19 से 25 नबंवर तक मंच के राष्ट्रीय महामंत्री पंकज गोयल के संयोजन में आयोजित होगी।  मंच के चित्तौड़ प्रान्त महामंत्री अरविन्द सिसोदिया नें बताया कि " मंच के कार्यक्रमों की दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम अरुणाचल प्रदेश बॉर्डर स्थित बौद्ध पंथ के प्रमुख तीर्थ तवांग की मंच के कार्यकर्ताओं द्वारा प्रतिवर्ष  " तवांग तीर्थ-यात्रा " करना है, इस यात्रा को मंच के मार्गदर्शक  माननीय डॉ. इन्द्रेश कुमार जी ने वर्ष 2012 में प्रारम्भ किया था|, अभी तक 13 यात्राएँ हो चुकीं हैँ और इस वर्ष  19 से 25 नवम्बर तक 14 वीं तवांग यात्रा आयोजित होगी...

राहुल गाँधी की मानसिकता भारत और हिन्दू विरोधी है और वे इसीक्रम में लगातार अङ्गेबाजी के टूलकित बनाते रहते हैँ

भारतीय राजनीति के एक प्रमुख व्यक्ति और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के सदस्य राहुल गांधी ने पिछले दो दशकों में कई महत्वपूर्ण बयान दिए हैं, जो उनके बदलते राजनीतिक रुख और विभिन्न मुद्दों पर पार्टी के रुख को दर्शाते हैं। उनके बयान अक्सर राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक नीतियों, सामाजिक न्याय और शासन व्यवस्था से जुड़े होते हैं।  2009: हिंदू अतिवाद: विकीलीक्स द्वारा लीक किए गए एक राजनयिक केबल में, राहुल गांधी ने कथित तौर पर कहा था कि हिंदू अतिवादी भारत के लिए मुस्लिम उग्रवादियों से ज़्यादा ख़तरा हैं। इस टिप्पणी की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कड़ी आलोचना की थी। 2010: आरएसएस से तुलना: गांधी ने हिंदू उग्रवाद पर अपने रुख को दोहराते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तुलना सिमी जैसे प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों से की। 2011: लोकपाल विधेयक: अन्ना हज़ारे के भ्रष्टाचार विरोधी अनशन के दौरान, गांधी जी ने कहा था कि लोकपाल एक संवैधानिक निकाय होना चाहिए जो भारत के चुनाव आयोग की तरह संसद के प्रति जवाबदेह हो। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि सिर्फ़ लोकपाल भ्रष्टाचार का उन्मूलन नहीं कर सकता, और इसके लि...