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कविता - धन्य धन्य जीवनदाता मोदी

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कविता - धन्य धन्य जीवनदाता मोदी खूब मज़ाक उड़ाया गया, हर कदम पर रोड़े भी अटकाए , बचकानी राजनीति ने, कई बार हालातों को और कठिन बनाए। भय उत्पन्न किया, भ्रम भी खूब फैलाये। पर मोदीजी अडिग रहे, थमे नहीं, कोरोना की उस घोर अंधेरी घड़ी में, आपने हौंसले की लौ जलाई, अन्न भी बांटा, रामायण भी दिखलाई, देश को भरोसा दिया, दिलों में शक्ति जगाई। मोदी सरकार नें रात–दिन एक कर महामारी से जंग लड़ी, वैक्सीन बनवाई, घर-घर पहुँचाई, हर नागरिक के जीवन के लिए सुरक्षा ढाल बनाई। मुफ़्त डोज लगवाने से लेकर हर संकट की चुनौती को पार कराया, जब पूरे विश्व के नेता गायब थे, तब उसने प्रहरी बनकर राष्ट्र का साहस बढ़ाया। आज ये कविता आपके समर्पण को प्रणाम करती है, देश आपका आभार जताता है, पीड़ियाँ आपको सलाम करती हैँ। धन्य धन्य जीवनदाता मोदी, इतिहास आपने रच डाला, आपके प्रयासों ने भारत को, महामारी को हराने का कौशल सीखलाया। --------

कविता - क्यों न कहें मोदी है ईश्वर के समान

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मोदी हैं ईश्वर के समान  राज सिंहासन पर बैठा था वो, सोच रहा था बहन-बेटीयों की वेदना का समाधान , घर घर शौचालय बनवा डालूँ , दूँ उनको सम्मान। यह मोदी ही था, जिसने पीड़ा हरी, किया समाधान ! क्यों न कहें मोदी है ईश्वर के समान...। नारी के आँसू देखे उसने, बदली उनकी तकदीर, घूंघट के पीछे दबी आवाज़ों को मिली जैसे जागीर, नारी सशक्तिकरण की लौ उसने जलाई,  बहुत सारी योजनाएं बनवाई, तीन तलाक हटाया, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ लाया,  कदम-कदम पर मातृशक्ति का साथ निभाया, जैसे कोई रखवाला प्यारा। गाँव-गाँव तक पहुँची उसकी योजनाओं की उड़ान, भूखे को भोजन, बेघर को घर का नया सम्मान, देशहित को पूजा समझ, दिन-रात वो करता काम  , वह अपने कर्मों से गढ़ रहा भारत स्वाभिमान। यही वजह है, वह जन -जन की आवाज बना  नेता नहीं, देशभक्त है, जनता का सच्चा रक्षक है , इतना किया काम कि अमर हो गया नाम , सच ही तो है, मोदी हैं ईश्वर के समान ।

कविता - भगवान तुम्हारे साथ लड़ेगा

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कविता - भगवान तुम्हारे साथ लड़ेगा  अपनो से लड़ने की मुश्किल, महाभारत से चली आई है। अन्यायी अत्याचारियों ने, इस कमजोरी को अपनी ताकत बनाई है। इसलिए लड़ना भिड़ना और जितना होगा। चुप्पियों को ढाल बनाकर हम बहुत दूर तक चले थे, पर इतिहास याद दिलाता है, कि अन्याय से बचा नहीं जा पाता है,, उसके विरुद्ध खड़े होकर ही मनुष्य अपना धर्म निभाता है। उनकी ताकत, हमारी झिझक में है, उनकी जीत, हमारे डर में है, और हमारा हर छोटा साहस उनके साम्राज्य की दीवार में पहली दरार बन जाता है। भय की बेड़ियाँ तोड़ो अब, संकल्प हथियार बन जाओ, झूठ की परछाइयों पर सत्य का प्रकाश चढ़ओ । हार से मत डरो, तभी जीत पाओगे।  बुझे हुये साहस की  फिर से जगाना होगा, हार मान लेने से पहले लड़ना ही होगा... कदम जब जुनून से भरेंगे, तो रास्ते खुद बन जाएँगे। अन्यायी के हर छल के आगे हम सत्य की लौ बन जाएँगे, और यही विरासत गीता से मिली है अन्याय के विरुद्ध उठ खड़े होने की, उठो उठो और उठो  भगवान तुम्हारे साथ लड़ेगें यह विश्वास मन रखना। जय भी होगी विजय भी होगी।

कविता - जनधन खाते खुले अपार

कविता जनधन खाते खुले अपार  जनधन खाते खुले अपार, गरीबों को मिला अधिकार। आजादी को सदियाँ गुजरीं, पर मोदीजी ने दिया सम्मान। पहले बैंक थे ऊँची दीवार, गरीब रहे दर दर लाचार, काग़ज़, जमानत, बोझ अपार, सपना का था धुँधला संसार। मोदी नें बदली सोच महान, नीति बनी जनहित की शान, द्वार-द्वार सेवा पहुँची, उम्मीदों को मिला नया सम्मान। जनधन खाते खुले अपार, जनता को मिला अधिकार। आजादी को सदियाँ गुजरीं, पर मोदीजी ने दिया सम्मान। न कोई बंधन, न दूरी अब, हर व्यक्ती को है अधिकार , जहाँ चाहो खाता खुलता, जीवन में उजियारा भरता। बदलाव की यह नयी उड़ान, जन-जन में जगता उत्थान , विश्वास का स्वर्णिम संधान, भारत बढ़े नए अभियान। जनधन खाते खुले अपार, जनता को मिला अधिकार। आजादी को सदियाँ गुजरीं, पर मोदीजी ने दिया सम्मान। ---

कविता - हर दिन नया बनाना है

जीवन सुख का आधार सही, पर संघर्षों का दरिया है, समस्याओं से लड़ना है, हर पल खड़ी चुनौती को, हिम्मत से हराना है। मन में विश्वास जगाना है, हार कर फिर मुस्काना है, अंधेरों में करे उजियारा , बस ऐसा दीप जलाना है। रास्ते कठिन हों चाहे जितने, कदम नहीं डगमगाने हैं, तूफ़ानों की परवाह न करके, आगे ही बढ़ते जाने हैं। सपनों की उड़ान भरनी है, मन के पंख फैलाने हैं, गिरकर फिर उठने की ताकत, अपने भीतर जगानी है। जीवन एक सतत परीक्षा है, इसे हँसकर निभाना है, संघर्षों से सीख लेकर, हर दिन नया बनाना है।

कविता - देश लूट तंत्र में समाया है

लोकतंत्र की अभिलाषा थी, जग के आंसू पोंछू, हर घर में सुख समृद्धि हो , हंसी ख़ुशी से सबकी झोली भरदूँ। बीत गये दसकों इसके, पर ये होना पाया ! रामराज्य की कल्पना थी, पर देश लूट तंत्र में समाया है । फूलों-सी कोमल आशाएँ, काँटों में ही उलझी हैं, नेताओं के वायदों की नावें अक्सर बीच भंवर में अटकी हैं। जनता की थकी निगाहें अब भी उम्मीदें टटोलती हैं, किसे पुकारे न्याय हेतु, जब चौखटें ही डगमग बोलती हैं। पर फिर भी मन के भीतर एक दीप अडिग जलता है, अधकारों के अँधेरे में सत्य का पथ ही पलता है। हम ही बदलेंगे जग को, ये संकल्प हृदय में गुंजाए, लोकतंत्र तभी खिलेगा जब जन-जन कर्तव्य निभाए।

कविता - भगवान ही राह दिखाएगा

वक़्त-ए-ज़रूरत कोई काम न आएगा, उस ईश्वर का ध्यान करो, जिसने तुम्हें बनाया, वही पार लगाएगा। संसार की इस भीड़ में, राहें भटकती जाती हैं, मन की उलझी डोरें फिर केवल वही सुलझाएगा। जब अंधेरा चारों ओर हो, और उम्मीदें धुंधलाने लगें, एक दीपक बनकर भीतर से उसका ही प्रकाश जगमगाएगा। सुख में जिसका स्मरण न हो, दुख में जिसे पुकारें हम, उस दयालु की कृपा देखो, हर क्षण वही साथ निभाएगा। लोभ–मोह की लहरें चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हों, आस्था की नाव संभालकर वह तट तक पहुँचाएगा। इसलिए हर श्वास में उसका नाम सदा बसाए रखना, कर्म पथ पर चलते रहना, भगवान ही राह दिखाएगा।

कविता - में हारा सब जीते

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कविता - में हारा सब जीते कर्म क्षेत्र के धर्म पथ पर, कर्तव्यों कि तपस्थली में, पूरा जीवन जलता रहा, जब अपने हित की बात आई तो, सबको पाया शत्रुदल में , फिर क्या था....में हारा सब जीते ! क्योंकि में अपनापन त्याग न पाया, उनमें अपनापन आ न पाया। में हारा सब जीते..में हारा सब जीते। जो बड़ा बेटा होता है, जिम्मेदारी ढोता है, पढ़ाई उसकी छूटती है, लड़ाई में उसे छोक दिया जाता है  बांकी के अच्छे के लिए, अक्सर बुरा उसका होता है, जब वह अपने हक की बात करे  वनवास उसे तब होता है.. महाभारत घर के करते, वह खून के आंसू रोता है   ...! कर्म क्षेत्र के धर्म पथ पर, कर्तव्यों कि तपस्थली में, पूरा जीवन जलता रहा, जब अपने हित की बात आई तो, सबको पाया शत्रुदल में , फिर क्या था....में हारा सब जीते ! क्योंकि में अपनापन त्याग न पाया, उनमें अपनापन आ न पाया। में हारा सब जीते..में हारा सब जीते। आस टूटती, विश्वास टूटता  स्वास स्वांस, जीवन टूटता  मुर्दो सा बदहाल वह  बुझी हुई आग वह  आहे भर भर रोता है, कल तक़ कर्णधार था  विश्वासघात से वाहियात होता है ... नर्क सा जीवन, अंधकार ह...

कविता - भाग जाएगा अन्याय का शैतान

कविता - भाग जाएगा अन्याय का शैतान! सत्ता के सिंहासन पर बैठे, लोभ के भूखे नामदार, जनता की खुशहाली छीन-छीनकर भरते जाते अपना कोष अपार। क़ानून बना उनका खिलौना, इंसाफ़ हुआ बाजारू माल, सच की लाशों पर चलते हैं ये नक़ाबपोश जनसेवक काल। चुनाव बने अब मोल-भाव, वोट की बोली लगती खुलकर, लोकतंत्र की चादर ओढ़े नाच रहे हैं लुटेरे  मिल मिल कर। धर्म बांटा जाती बाँटी, बाँट रहे इंसान मेरी सरकार बन जाये की खातिर, आराजकता का बना रहे माहौल, देश से गद्दारी करके गर्व से कहते, “हम ही हैं राष्ट्र के रखवाले महान!” पर सुन लो, इतिहास लिखेगा हर छल, हर झूठ, हर अपमान, जब फूटेगी जनता की गर्जना, भाग जाएगा अन्याय का शैतान!

मतदाता सूची की शुद्धता और पवित्रता के लिए फार्म भरें और जमा कराएं , बीएलओ की पूरी - पूरी मदद करें — अरविन्द सिसोदिया

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मतदाता सूची की शुद्धता और पवित्रता के लिए फार्म भरें और जमा कराएं , बीएलओ की पूरी - पूरी मदद करें — अरविन्द सिसोदिया कोटा, 25 नवंबर। राजस्थान राज्य पाठ्यपुस्तक मंडल के शिक्षा प्रोत्साहन प्रन्याशी अरविन्द सिसोदिया ने आम नागरिकों से विशेष अपील की है कि " सभी नागरिक वर्तमान में चल रहे मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण कार्यक्रम में अपना फार्म आवश्यक रूप से भरें और उसे संबंधित बीएलओ को जल्द से जल्द जमा कराएं। यह मतदाता सूची की पवित्रता और शुद्धता के लिए राष्ट्रहित का महत्वपूर्ण कार्य है। " सिसोदिया ने कहा कि “जिस प्रकार वर्ष 2002-03 की एसआईआर मतदाता सूची आज बेहद महत्वपूर्ण सिद्ध हो रही है, ठीक उसी प्रकार वर्तमान एसआईआर सूची भी भविष्य में अत्यधिक उपयोगी साबित होगी। इसलिए प्रत्येक नागरिक इसे पूरी गंभीरता से लें और बीएलओ की पूरी पूरी सहायता करें।” सिसोदिया नें बताया कि " एसआईआर का पहला चरण 4 नवंबर से शुरू हो चुका है जो 4 दिसंबर को समाप्त हो जायेगा। इसके बाद इन्ही जमा फार्मों के आधार पर 09 दिसंबर को ड्राफ्ट सूची प्रकाशित होगी, जिस पर दावे आपत्ति आमंत्रित किए जायेंगे । ...

राम Ram

जय श्रीराम 🚩 राम निष्ठा हैं, राम विश्वास हैं, राम जीवन-दर्शन हैं, राम संस्कारों का प्रकाश हैं, राम कर्तव्य की मर्यादा हैं, राम धर्म की ध्वजा हैं, राम सत्य की दृढ़ता हैं, राम शौर्य का आलोक हैं, राम करुणा का स्रोत हैं, राम समभाव का संदेश हैं, राम समर्पण का स्वर हैं, राम आत्मा की ज्योति हैं, राम मानवता की प्रेरणा हैं। राम इतिहास में भी हैं और अनंत में भी, राम शब्दों में भी हैं और शून्य में भी, राम मंदिर की घंटियों में हैं, राम वनवासी के पथ में हैं, राम अयोध्या के हृदय में हैं, राम हर भारतवासी की श्वास में हैं। राम विश्व का स्पंदन हैं, राम धर्म का ध्रुवतारा हैं, राम युगों युगों का पथ-प्रदर्शन हैं, राम मानवता की अखंड धरोहर हैं। राम विस्तार हैं, राम असीम हैं, राम नित्य हैं, राम अनादि हैं, राम अनंत हैं… 🙏🏻🚩

विपत्ती में ईश्वर से गई प्रार्थना ही काम आती है...

विपत्ती में ईश्वर से गई प्रार्थना ही काम आती है... *🕉️ रात्रि कहानी 🕉️* अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा महल में झाड़ू लगा रही थी तो द्रौपदी उसके समीप गई उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए बोली," पुत्री भविष्य में कभी तुम पर दुख,पीड़ा या घोर से घोर विपत्ति भी आए तो कभी अपने किसी नाते-रिश्तेदार की शरण में मत जाना। सीधे भगवान की शरण में जाना।" उत्तरा हैरान होते हुए माता द्रौपदी को निहारते हुए बोली," आप ऐसा क्यों कह रही हैं माता?" द्रौपदी बोली, " क्योंकि यह बात मेरे ऊपर भी बीत चुकी है। जब मेरे पांचों पति कौरवों के साथ जुआ खेल रहे थे, तो अपना सर्वस्व हारने के बाद मुझे भी दांव पर लगाकर हार गए। फिर कौरव पुत्रों ने भरी सभा में मेरा बहुत अपमान किया। मैंने सहायता के लिए अपने पतियों को पुकारा मगर वो सभी अपना सिर नीचे झुकाए बैठे थे। पितामह भीष्म, द्रोण धृतराष्ट्र सभी को मदद के लिए पुकारती रही मगर किसी ने भी मेरी तरफ नहीं देखा  वह सभी आंखे झुकाए आंसू बहाते रहे।" फिर द्रौपदी ने भगवान से कहा,"आपके सिवाय मेरा कोई भी नहीं है। भगवान तुरंत आए और द्रौपदी की रक्षा करी। जब द्रौ...

प्रेम अवतारी श्री सत्य साईं राम

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उनका जीवन - एक सारांश श्री सत्य साईं बाबा का जन्म पुट्टपर्थी में 23 नवंबर, 1926 को हुआ था - कार्तिक मास के एक शुभ सोमवार को, जब भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। उनका नाम सत्यनारायण राजू रखा गया था। उनकी माता ईश्वरम्मा को जिस बात ने सबसे अधिक प्रभावित किया, वह थी उनके नन्हे सत्य की असीम करुणा, विशेष रूप से गरीबों और दलितों के लिए। एक छोटे बच्चे के रूप में भी, वे इस बात पर जोर देते थे कि दरवाजे पर आने वाले भिखारियों की उनके सीमित साधनों के बावजूद अच्छी तरह से सेवा की जाए और अक्सर जरूरतमंदों को अपना हिस्सा भी दे देते थे। जब उन्होंने स्कूल जाना शुरू किया, तो उनके साथ खेलने वाले उनके साथियों को सामाजिक रूप से जिम्मेदार, आध्यात्मिक रूप से जागरूक, व्यक्तिगत और राष्ट्रीय चरित्र से संपन्न बनाने की उनकी क्षमता से प्रेरणा मिली। उनके मित्र अक्सर हवा से चीजें बनाने, भविष्य जानने, उनके कार्यों की अस्पष्टता ने उनके पिता श्री रत्नाकरम पेद्दा वेंकमा राजू को बहुत परेशान किया, और 23 मई, 1940 को, उन्होंने गुस्से में सत्या से उनकी असली पहचान उजागर करने को कहा। सत्या ने बस कुछ फूल लिए और उन्ह...

राज्यों में कांग्रेस की दयनीय स्थिति

01- जम्मू और कश्मीर में चुनाव 90 सीटों का  कांग्रेस 06 - भाजपा - 29 (केंद्र शासित ) सबसे बड़ा दल जेकेनेको की सीटें 41 एवं राज्य सरकार  02- पंजाब में चुनाव 117 सीटों का  कांग्रेस 16 - भाजपा - 02  सबसे बड़ा दल आप की सीटें 94 एवं राज्य सरकार  03- हिमाचल प्रदेश में चुनाव 68 सीटों का  कांग्रेस 40 - भाजपा - 28 सबसे बड़ा दल कांग्रेस की सीटें 40 एवं राज्य सरकार  04- उत्तराखंड में चुनाव 70 सीटों का  कांग्रेस 19- भाजपा - 47 सबसे बड़ा दल भाजपा की सीटें 47 एवं राज्य सरकार  05- हरियाणा चुनाव 90 सीटों का  कांग्रेस 37 - भाजपा - 48  सबसे बड़ा दल भाजपा की सीटें 48 एवं राज्य सरकार  06- दिल्ली चुनाव 70 सीटों का  कांग्रेस 00 - भाजपा - 48  आप - 22 (केंद्र शासित ) सबसे बड़ा दल भाजपा की सीटें 48 एवं राज्य सरकार  07- उत्तर प्रदेश चुनाव 403 सीटों का  कांग्रेस 02 - भाजपा - 255  सपा - 111 सबसे बड़ा दल भाजपा की सीटें 255 एवं राज्य सरकार  08- राजस्थान चुनाव 200 सीटों का  कांग्रेस 70 - भाजपा - 115  सबसे बड़ा दल भाजपा की सीटें...

भूमिका

भूमिका              "मेरी कविताएं" कविता संग्रह कवि अरविंद सिसोदिया जी की पुस्तक मेरे सामने है। जहां तक राजनीतिक विचारों की बात है तो बहुत सारे ऐसे कवि एवं लेखक हुए हैं। वे राजनीति में सक्रिय रहे। लेकिन उनके अंदर जो कवि बैठा हुआ था,उसने उन्हें चुपचाप नहीं बैठने दिया। उन्होंने अपना कवि धर्म भी निभाया। इनमें प्रमुख नाम अटल बिहारी वाजपेई जी का आता है। महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, डॉ. बीआर अंबेडकर, सरदार वल्लभभाई पटेल ऐसे कई महत्वपूर्ण राजनेता हुए हैं। जिन्होंने खूब लिखा। उनके लेखन से समाज में परिवर्तन भी आया। संत तुलसीदास ने रामचरितमानस के माध्यम से देश में परिवर्तन के लहर चला दी थी। उन दिनों मुगलों का शासन था। देश में धर्म का ह्रास हो रहा था। रामचरितमानस के नायक भगवान राम की गाथा ने हिंदू समाज को मजबूती प्रदान की।जो हिंदू धर्म को मिटाने का सपना देख रहे थे उनका सपना पूरा नहीं हो सका।             कविता चेहरे पर हंसी ला सकती है। मुस्कान ला सकती है। हृदय परिवर्तित कर सकती है। इस तरह का कोटा में श्री हिंदी साहित्य समिति के कवि...

कविता : “केवल इंसान”

कविता : “केवल इंसान” - अरविन्द सिसोदिया  जीवन की किश्ती जब उतरती है, सपनों का संसार सजाये , मन के गहरे दरिया में कुछ अरमानों के स्वप्न समाए। हर अरमान के दामन में सौ–सौ उम्मीदें होती हैं, पर उनके संग ही राहों में सौ–सौ मुश्किलें भी होती हैं। कभी हवा रूठ जाती है, कभी लहरें रोड़ा डालती हैं, कभी किस्मत की रातें आकर, राहों को धुँधला बनाती हैं। पर जो मन को थामे रखते, जो साहस को ढाल बनाते है , वे ही आगे बढ़ते जाते, तूफानों पर पग रख सफलता पाते हैँ। जो डर की दीवारें तोड़ें, हिम्मत का दीप जलाएँ, जो गिरकर फिर उठते जाएँ, मंज़िल को गले लगाएँ। उनके पाँवों की रफ़्तार में संघर्षों की धुन होती है, उनके कदमों की आहट में, हिम्मत की हुंकार होती है। धरती के हर कोने में जब उनका साहस गूँज उठता है, वीरता का हर इतिहास उन्हीं के नामों से जुड़ता है। जो तूफ़ानों को जीत सके, जो मुश्किल से न घबराएँ— धरती पर सदियों से ही ये लोग, “केवल इंसान” कहलाएँ। इंसान कहलाये। ---

कविता — “कौन ढूँढता है ईश्वर को ?”

कविता — “कौन ढूँढता है ईश्वर को ?” मनोकामनापूर्ति के बाज़ार में ईश्वर कहाँ मिलता है, जहाँ हर दुआ की कीमत इच्छाओं की सूची से लगाई जाती है। वह जानता है कि मुझे कोई नहीं ढूँढ रहा— ढूँढ रहे हैं तो बस अपनी थकी हुई अभिलाषाओं के त्वरित समाधान। सभी चाहते हैं बिना मेहनत सपनों की पूर्ति, बिना संघर्ष सुख का वरदान, जैसे ईश्वर कोई व्यापारी हो जो सौदे में खुशियाँ बाँट दे। पर वह तो मौन में बैठा बस देखता है— कौन उसे पुकारता है और कौन सिर्फ अपनी चाहतों को। सच तो यह है— ईश्वर मिल भी जाता है, पर खोज करने वाले कम हैं; माँगने वाले बहुत।

कविता - नरेंद्र मोदी : एक प्रखर यात्रा

 नरेंद्र मोदी : एक प्रखर कौशल  हिम-गंगा सी निर्मल चाहत, सपनों में था देश महान, एक स्वयंसेवक बोला, "कर दूँगा भारत का उत्थान !" संघ की शाखाओं में सीखा, अनुशासन का दृढ़ विज्ञान, माँ के सानिध्य से सीखा , महा संघर्षों पर विजय का वरदान। संघ की प्रेरणा में पाया, कर्म-योग का तेज प्रखर, कर्म-पथ पर चलकर उसने, बदल दिया राजनीती का शिखर । राष्ट्रसेवा की पुकार हुई, जनता ने विश्वास दिया, विकास-मंत्र की किरणों से उसने नवभारत का प्रकाश किया । घर -घर गूँजती जिसकी, सेवा-भाव की सदभावनायें , कर्मठता के पथ से परिणाम पाता है, नये नये आयाम बनाता है। विश्व-मंच पर  नया भारत , नई ताकत, नया साहस, नया शौर्य, “सबका साथ और सबका विकास” यही दृढ़ विश्वास जगाता है। त्याग, तपस्या और परिश्रम का अद्भुत तपस्थली बना भारत। मोदी जी के अद्भुत कौशल से सीना ताने खड़ा नया भारत। ------------------ 🎶 “मोदी का सफ़र, मोदी का जज़्बा” 🎶 चल पड़ा एक दीवाना, लेकर भारत का अफसाना, मोदी–मोदी गूँजे धरती, उभरा कर्म और धर्म का परवाना। चल पड़ा… चल पड़ा… उसके साथ, स्वप्न लिए नया जमाना, मोदी का सफ़र, मोदी का जज़्बा, देश ने दिल से है म...

सावधान भारत : अमेरिका मोदी विरोधी प्लान में लिप्त है

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भारतीय जनता पार्टी नेता प्रतिपक्ष श्री राजन सिंह जी राठौड़ सर्किट हाउस पहुंचे..... मोदीजी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब भी बिना किसी विशेष बात के अमेरिका नें वीजा बैन कर दिया था...जबकि गोधरा कांड कांग्रेस नें करवाया था और जब वे प्रधानमंत्री बन गये तब यह वैन खोला था.... इसलिए यह याद रहें कि आतंकवाद परस्त ताकतों के साथ अमेरिका के रिश्ते कितने मज़बूत हैँ। वे आतंकवाद विरोधी होनें का मात्र नाटक करती है। वास्तविकता यही है कि अमेरिका ब्रिटेन गठजोड़ ही आतंकवाद और बिभिन्न देशों में अस्थिरता के जनक हैँ। ये अपनी उत्पादन क्षमता को बनाये रखने के लिए दूसरे देशों की उत्पादन क्षमता प्रभावित करते हैँ। *मोदी और मुसद्दिक* *ईरान 1951 और भारत 2024, क्या इनमें कोई समानता है...?* क्या आपने कभी सोचा है कि ईरानी लोग अमेरिका को "शैतानों की भूमि" क्यों कहते हैं...? कभी ईरान के तेल पर ब्रिटेन का वर्चस्व था। ईरान के तेल उत्पादन का 84% हिस्सा इंग्लैंड को जाता था, और केवल 16% ही ईरान को मिलता था। 1951 में एक सच्चे देशभक्त मोहम्मद मुसद्दिक ईरान के प्रधानमंत्री बने। वे नहीं चाहते थे कि...

अंता उपचुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत तय, कांग्रेस को जमानत बचाने के लाले पड़ेंगे — अरविन्द सिसोदिया Anta up chunav

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अंता उपचुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत तय, कांग्रेस को जमानत बचाने के लाले पड़ेंगे — अरविन्द सिसोदिया कोटा, 16 अगस्त। भारतीय जनता पार्टी राजस्थान मीडिया विभाग के कोटा संभाग प्रभारी अरविन्द सिसोदिया ने कहा कि " अंता उपचुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत सुनिश्चित है, जबकि कांग्रेस की स्थिति इतनी कमजोर हो गई है कि उसे अपनी जमानत बचाने के भी लाले पड़ गये हैं।" सिसोदिया ने कांग्रेस की नामांकन रैली पर कटाक्ष करते हुए कहा “जब किसी प्रत्याशी को रैली में भीड़ जुटाने के लिए 100-100 किलोमीटर दूर से लोगों को बुलाना पड़े, तो यह साफ़ संकेत है कि उस प्रत्याशी का स्थानीय जनाधार पूरी तरह समाप्त हो चुका है। कांग्रेस की रैली में स्थानीय लोग नहीं थे, केवल भीड़ दिखाने के लिए दूसरे क्षेत्रों से लोगों को लाया गया था।” उन्होंने कहा कि “कांग्रेस की नामांकन सभा में मंच पर वही राजनैतिक रूप से अस्वीकार हो चुके चेहरे मौजूद थे, जिनके नेतृत्व में कांग्रेस का जहाज डूबा था। " उन्होंने कहा कि " याद रहे कि पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, प्रदेश अध्यक्ष गोविंद...

अब जनमत विपक्षी गठबंधन के पूर्ण त्याग की और अग्रसर - अरविन्द सिसोदिया bjp rajasthan

भारत की राजनीती अपने इतिहास के सबसे गंभीर असभ्यता के दौर से गुजर रही है क्योंकि यह युग राजनैतिक राजकुमारों का है जिन्हे विरासत में राजनैतिक बर्चस्व प्राप्त हुआ है। कांग्रेस के राहुल गाँधी उस परिवार से हैँ जो मोतीलाल नेहरू जी के समय से राजनीती में है, नेशनल कांन्फ्रेंस भी शेख अब्दुल्लाह के समय से राजनीती में है और उमर संभवतः तीसरी पीढ़ी है। सपा के संस्थापक जो केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री रहे, उन मुलायम सिंह यादव के पुत्र अखिलेश यादव और राष्ट्रीय जनता दल के संस्थापक केंद्रीय मंत्री व मुख्यमंत्री रहे लालूप्रसाद के पुत्र तेजश्वी यादव और इसी तरह के राजकुमारों शिवसेना संस्थापक बाला साहेब ठाकरे के पुत्र उद्धव ठाकरे और पौत्र..., डीएमके के कुरुणानिधि के पुत्र स्टालीन आदि हैँ जो मूलतः राजकुमार मनोवृत्ति या परिस्थिति के हैँ। इनकी राजनीती स्वीकार्यता या स्थिति स्वयं के कम और परिवार के कारण अधिक है। वर्तमान विपक्ष इसी तरह के दलों का समूह है। इसमें ममता ही एक मात्र इस तरह की नेता हैँ जिन्होंने जमीन पर संघर्ष किया है। कांग्रेस नेतृत्व वाला इंडी गठबंधन को राजकुमार गठबंधन कहा जा सकता है, जो अनुभवी कमत...

सनातन वर्ण व्यवस्था : मानव समाज की सर्वकालिक और सर्वव्याप्त संरचना

सनातन वर्ण व्यवस्था : मानव समाज की सर्वकालिक और सर्वव्याप्त संरचना मानव समाज की संरचना को यदि धर्म, पंथ और संप्रदाय की सीमाओं से अलग हटकर देखा जाए, तो एक महत्वपूर्ण सत्य सामने आता है—मानव समाज स्वभावतः उन चार मूलभूत वर्गों में विभाजित होता है, जिन्हें भारतीय दर्शन में वर्ण व्यवस्था के रूप में जाना जाता है। यह व्यवस्था केवल धार्मिक अवधारणा नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक, समाजशास्त्रीय और सार्वभौमिक सिद्धांत है जो विश्व के सभी समाजों में किसी न किसी रूप में कार्यरत दिखाई पड़ता है। वेदों और गीता में वर्ण को गुण और कर्म पर आधारित बताया गया है, न कि जन्म पर। जब हम इस मूल सिद्धांत को समझते हैं, तो स्पष्ट होता है कि यह व्यवस्था सनातन—अर्थात् सर्वकालिक—और सर्वव्याप्त—अर्थात् हर समाज में विद्यमान—स्वरूप रखती है। मानव सभ्यता के विकास के साथ समाज में विभिन्न प्रकार के कार्यों की आवश्यकता बनी। हर समाज को ऐसे लोगों की आवश्यकता पड़ी जो ज्ञान और विचार प्रदान करें; ऐसे लोग जो शासन और सुरक्षा का भार उठाएँ; ऐसे लोग जो उत्पादन, व्यापार और अर्थव्यवस्था सँभालें; और ऐसे लोग जो कौशल, श्रम और सेवा-कार्य द्वारा समाज...

विपक्ष को, बदतमीज़ीपूर्ण, अपमानजनक और राष्ट्रविरोधी व्यवहार की सज़ा बिहार की जनता ने दी है – अरविन्द सिसोदिया Bihar NDA BJP

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विपक्ष को, बदतमीज़ीपूर्ण, अपमानजनक और राष्ट्रविरोधी व्यवहार की सज़ा बिहार की जनता ने दी है  – अरविन्द सिसोदिया कोटा, 15 नवम्बर।  भारतीय जनता पार्टी राजस्थान के मीडिया संपर्क विभाग के प्रदेश सहसंयोजक अरविन्द सिसोदिया ने बिहार विधानसभा चुनाव परिणामों का लोकतान्त्रिक मूल्यों की रक्षा में जनअभिव्यक्ति द्वारा दिया गया महत्वपूर्ण निर्णय करार देते हुए कहा कि " बिहार की जनता ने राष्ट्रहित के ख़िलाफ़ खड़े होने वाली बदतमीजीपूर्ण राजनीतिक गिरावट को सख़्त संदेश दिया है। " उन्होंने कहा कि  “देश के साथ, देश के जनमत द्वारा दिये गये निर्णय के साथ, चुनी गई सरकार के साथ, वर्तमान में विपक्ष का बदतमीज़ीपूर्ण, अपमानजनक और राष्ट्रविरोधी व्यवहार निंदनीय है और बिहार की जनता ने अपने जनादेश के माध्यम से बदतमीजीपूर्ण व्यवहार को कठोर सजा वोट की चोट से दी है।” सिसोदिया ने कहा कि " जिन राजनीतिक दलों ने अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए, अपनी अस्वीकार्यता पर पर्दा डालने के लिए, देश की मर्यादाओं को ठेस पहुँचाई, लोकतांत्रिक मूल्यों को भुलाया तथा प्रधानमंत्री मोदीजी और केंद्र सरकार के विरुद्...

“Truth is one — whether witnessed in a laboratory or realized in the depths of meditation.” – Arvind Sisodia

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“Truth is one — whether witnessed in a laboratory or realized in the depths of meditation.” – Arvind Sisodia “Truth is one — whether witnessed in a laboratory or realized in the depths of meditation.” – Arvind Sisodia The entire intellectual journey of human civilization has revolved around two fundamental questions. The first concerns the manner in which the finely tuned laws of nature operate; the second seeks to understand the consciousness or force that sustains this extraordinary order. The Sanatan Indian knowledge tradition addresses both questions simultaneously. In this tradition, science and spirituality are not opposing poles, but two dimensions of a single truth. It is from this integrated perspective that life, the cosmos, and consciousness have been studied for millennia. When we contemplate the emergence of new life—the formation of the embryo in the mother’s womb, the division of cells, the development of organs, and the gradual manifestation of c...

सत्य एक ही है,वह चाहे प्रयोगशाला में देखा जाए या ध्यान में अनुभव किया जाए - अरविन्द सिसोदिया Truth is one

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सत्य एक ही है,वह चाहे प्रयोगशाला में देखा जाए या ध्यान में अनुभव किया जाए - अरविन्द सिसोदिया  “Truth is one — whether witnessed in a laboratory or realized in the depths of meditation.” – Arvind Sisodia मानव सभ्यता की सम्पूर्ण बौद्धिक यात्रा दो अनिवार्य प्रश्नों के इर्द–गिर्द घुमती रही है : —  पहला, प्रकृति के सुसंगठित नियम कैसे कार्य करते हैं; और  दूसरा, इस अभूतपूर्व व्यवस्था के पीछे कौन-सी चेतना या शक्ति सक्रिय है।  सनातन भारतीय ज्ञानपरंपरा इन दोनों प्रश्नों का एक साथ उत्तर देती है। यहाँ विज्ञान और अध्यात्म विरोधी ध्रुव नहीं, बल्कि एक ही सत्य के दो आयाम माने गए हैं। इसी दृष्टिकोण से जीवन, ब्रह्मांड और चेतना को समझने का प्रयास सदियों से चलता आया है। जब हम एक नवजीवन के उद्भव पर विचार करते हैं, मां के गर्भ में भ्रूण का निर्माण, कोशिकाओं का विभाजन, अंगों का गठन, और चेतना का क्रमशः प्रकट होना—तो यह स्पष्ट हो जाता है कि प्रकृति अराजक नहीं है। उसका प्रत्येक कदम एक अदृश्य, अतिसूक्ष्म और वैज्ञानिक नियमबद्धता का अनुपालन करता है। यह जटिलता इतनी सुसंगठित है कि उसे ...