अंग्रेज गए, गुलाम व्यवस्था छोड़ गए - अरविन्द सिसोदिया
भारत में प्रशानिक अधिकारीयों एवं जबावदेह संस्थाओं पर जबावदेही बिल लागू करनें की क्यों जरूरत है । उसके कारण और निवारण को समझनें के लिए, एक प्रसंग मुझे फेसबुक पर मिला हर । यह हमें इतना समझनें में सहयोग देता है कि अंग्रेज गए और जो क्लर्क छोड़ गए , उनकी मानसिकता क्या है । वह आज भी जनता को अंग्रेजों की गुलाम जनता की तरह समझता है । अफसरशाही और राजनीति नें प्रसासनिक तन्त्र को इतना भ्रष्ट और गैरजिम्मेवार बना दिया है कि हालात अंग्रजों के जमानें से भी ज्यादा बदतर हो गए हैं। --//-- *कृपया जिम्मेदारी से पढ़ें : आवश्यकता और आनंद हेतु....* भारत में सेवा करने वाले ब्रिटिश अधिकारियों को इंग्लैंड लौटने पर सार्वजनिक पद/जिम्मेदारी नहीं दी जाती थी। तर्क यह था कि उन्होंने एक गुलाम राष्ट्र पर शासन किया है जिसकी वजह से उनके दृष्टिकोण और व्यवहार में फर्क आ गया होगा। अगर उनको यहां ऐसी जिम्मेदारी दी जाए, तो वह आजाद ब्रिटिश नागरिकों के साथ भी उसी तरह से ही व्यवहार करेंगे। इस बात को समझने के लिए नीचे दिया गया वाकया जरूर पढ़ें - एक ब्रिटिश महिला जिसका पति ब्रिटिश शासन के दौरान पाकिस्तान और भारत में एक सिव...